मंत्री धन सिंह रावत बोले, मानसून सीजन में आपदा से निपटने को तैयार रहें अधिकारी
आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत ने समस्त अधिकारियों को निर्देशित किया कि पूरी मानसून अवधि के लिए वह तैयार रहें। किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए त्वरित कार्रवाई की तैयारियां संबंधित विभाग आज से शुरू कर दें।
जागरण संवाददाता, देहरादून। आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत ने समस्त अधिकारियों को निर्देशित किया कि पूरी मानसून अवधि के लिए वह तैयार रहें। किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए त्वरित कार्रवाई की तैयारियां संबंधित विभाग आज से शुरू कर दें, ताकि जानमाल की हानि से बचा जा सके।
जिलाधिकारी सभागार में बुधवार को आपदा प्रबंधन की समीक्षा बैठक में डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि बरसात के दिनों में पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन की घटनाएं बहुतायत होती हैं, जिससे कई बार खेत-खलिहान से लेकर पशुधन व जनहानि भी होती रहती है। विशेषकर कालसी, साहिया, चकराता, त्यूनी, लाखामंडल, हाजा-दसोउ, क्वानू-मिनस व मसूरी वाले मोटर मार्गों पर भूस्खलन होता है, जिससे यातायात बाधित होता रहता है। सड़क बंद होने से गांवों में जरूरी सामान की किल्लत होती है। बागवानी करने वाले काश्तकारों की फसल मंडी तक समय पर ना पहुंचने से खराब भी हो जाती है।
इसको देखते हुए उन्होंने लोक निर्माण विभाग को निर्देशित किया कि कालसी क्षेत्र के सभी पहाड़ी रूटों पर पहले से ही जेसीबी मशीन तैनात कर दें, जिससे यदि यातायात बाधित होता है तो उसको तत्काल खोला जा सके। उन्होंने सिंचाई विभाग व पेयजल निगम को भी सभी तैयारी करने के निर्देश दिए। खाद्य आपूर्ति विभाग को पर्वतीय क्षेत्रों के गोदामों में तीन माह की अग्रिम रसद पंहुचा देने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कालसी, चकराता, त्यूनी व मसूरी के उप जिलाधिकारियों को अपने-अपने क्षत्रों में आपदा कंट्रोलरूम को पर्याप्त उपकरणों के साथ 24 घंटे अलर्ट रहने को कहा।
उन्होंने अपर जिलाधिकारी को दून शहर में गिरासू भवनों का सर्वे करते हुए उनको खाली करवाने व वहां की आबादी को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करवाने को कहा। बैठक में जिलाधिकारी डॉ. आशीष कुमार श्रीवास्तव ने आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ.धन सिंह रावत को अवगत कराया कि आगामी मानसून सीजन में पर्वतीय व मैदानी दोनों क्षेत्रों की प्रकृति के अनुरूप तैयार रहने के लिए जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए जा चुके हैं।
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