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गर्मी शुरू होते ही तेजी से चलने लगे कुम्हारों के चाक, नए डिजाइन के घड़े, सुराही और गिलास कर रहे आकर्षित

धूप की तपिश बढ़ने के साथ अब दून में देसी फ्रिज यानी मटके सुराही की मांग बढ़ने लगी है। गर्मी बढ़ते देख मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार विभिन्न डिजाइनों में मटका सुराही कुल्हड़ बोतल गिलास बनाने में जुट गए हैं।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Sun, 11 Apr 2021 01:14 PM (IST)Updated: Sun, 11 Apr 2021 01:14 PM (IST)
गर्मी शुरू होते ही तेजी से चलने लगे कुम्हारों के चाक।

जागरण संवाददाता, देहरादून। धूप की तपिश बढ़ने के साथ अब दून में देसी फ्रिज यानी मटके, सुराही की मांग बढ़ने लगी है। गर्मी बढ़ते देख मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार विभिन्न डिजाइनों में मटका, सुराही, कुल्हड़, बोतल, गिलास बनाने में जुट गए हैं, जिन्हें दुकानों में सजाने का कार्य भी शुरु कर दिया है। ऐसे में नए डिजाइन वाले मिट्टी के इन बर्तनों की खूब बिक्री होने से कुम्हारों के चेहरे भी खिल उठे हैं।

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चिलचिलाती धूप में अगर कोई कंठ को राहत देता है तो वह है मिट्टी की सुराही और घड़े का शीतल पानी। यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी नहीं है। आम से लेकर खास वर्ग के लोग को आज भी गर्मी के दिनों में उपयोग में आने वाला मटका शीतल जल से गले में ठंडक पहुंचा रहा है। अब गर्मियों को देखते हुए देहरादून के चकराता रोड स्थित कुम्हार मंडी में इन दिनों ग्राहकों की पसंद को ध्यान में रखते हुए मटकों और गिलास को स्टाइलिस लुक भी दिया जा रहा है। वहीं, चकराता रोड के किनारे भी मिट्टी के बर्तनों दुकानें सज चुकी हैं। यहां खरीदारों की खासी भीड़ उमड़ रही है। कुम्हार मंडी में भी बीते दिनों जहां एक कुम्हार हफ्ते में एक ट्राली मिट्टी के बर्तन बनाता था वह अब ढाई गुना पहुंच चुका है।

 

इनका कहना है

कुम्हार मंडी के कारीगर राकेश कुमार कहते हैं कि बीते वर्ष कोरोना संक्रमण के चलते काम ठप रहा, लेकिन इस बार गर्मी बढ़ने से सुराही, घड़े, कुल्हड़, गिलास और कुंडे की मांग बढ़ने लगी है। मिट्टी के इन बर्तनों दाम फिलहाल नहीं बढ़ाए गए हैं। कुछ दिन बाद नवरात्र है, ऐसे में आने वाले कुछ दिन बाद अच्छी बिक्री की उम्मीद है।

पटेलनगर निवासी पुष्पा का कहना है कि फ्रिज का पानी काफी ठंडा होता है जो शरीर को भी नुकसान पहुंचाता है। सुराही, घड़ा का पानी लोग कभी भी पी सकते हैं। मैं सुराही खरीदने के लिए यहां हर वर्ष गर्मियों में आती हूं।

करनपुर निवासी दिव्या कहती हैं कि मिट्टी के बर्तनों का नया लुक बेहतर है। घड़े ही नहीं तवा और बोतल भी नई डिजाइन के साथ देखने को मिल रही है। दाम ज्यादा न होने के कारण इन्हें हर कोई खरीदना चाहता है। 

घड़े और सुराही में नल लगाने की तकनीक

कुम्हार पीके प्रजापति ने बताया कि ग्राहक अब नल लगे घड़े की मांग ज्यादा करते हैं। गर्मी आते ही इन घड़ों की खपत बढ़ जाती है। देहरादून की मिट्टी में चिकनी का अभाव है, इसलिए नल लगे मिट्टी के बर्तनों को चंडीगढ़, सहारनपुर से ही मंगाते हैं।

मिट्टी के बर्तनों के दाम

घड़ा- 40 से 60

कुल्हड़- 300 रुपये प्रति 100 पीस

सुराही- 120 से 160

नल वाले टैंक- 200-300

कुंडे- 20 से 30

गिलास- 350 रुपये प्रति 100 पीस

बोतल- 150

तवा-100

नोट: मिट्टी के इन बर्तनों के दाम कुम्हार मंडी से लिए गए हैं। 

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