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जीएसटी और नोटबंदी के बाद अब कॉमन टैक्स की उम्मीद

केंद्र सरकार एक फरवरी को अपने कार्यकाल का आखिरी पूर्णकालिक बजट पेश करेगी। इस बजट में आम लोगों की तरह नौकरी-पेशा को भी कई उम्मीदें हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sat, 27 Jan 2018 02:24 PM (IST)Updated: Sat, 27 Jan 2018 09:15 PM (IST)
जीएसटी और नोटबंदी के बाद अब कॉमन टैक्स की उम्मीद
जीएसटी और नोटबंदी के बाद अब कॉमन टैक्स की उम्मीद

देहरादून, [जेएनएन]: राज्य के कर्मचारियों ने बजट में पर्सनल इनकम टैक्स छूट की सीमा पांच लाख रुपये करने की मांग की है। कहा कि इससे न केवल वेनतभोगियों को लाभ मिलेगा, बल्कि सातवें वेतनमान बढ़ने से टैक्स की मार भी कम हो जाएगी। इसके अलावा महंगाई पर नियंत्रण और बैंकिंग सेवाओं पर लगने वाले कई तरह के सरचार्ज को भी कॉमन टैक्स में शामिल करने की उम्मीद की है। 

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केंद्र सरकार एक फरवरी को अपने कार्यकाल का आखिरी पूर्णकालिक बजट पेश करेगी। इस बजट में आम लोगों की तरह नौकरी-पेशा को भी कई उम्मीदें हैं। खासकर आने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भी बजट में फायदे देखे जा रहे हैं। अलग-अलग विभागों के कर्मचारियों से आम बजट 2018 की उम्मीदों को लेकर बातचीत की तो हर किसी ने इनकम टैक्स की छूट को बढ़ाने की वकालत की। कहा कि छूट में इजाफा होने से कर्मचारियों को फायदा होगा। इसके अलावा वर्षों से स्टैंडर्ड डिडक्शन की दरों में कोई इजाफा न होने पर इसे बढ़ाने की मांग की गई। ताकि नौकरी-पेशा को इसका लाभ मिल सके।

कर्मचारियों ने मेडिकल सेवा को टैक्स फ्री रखने, जीएसटी और नोटबंदी से उपजे हालातों को देखते हुए बैंकों द्वारा लगाए जा रहे सरचार्ज को वनटाइम टैक्स या कॉमन टैक्स में शामिल करते हुए कर्मचारियों को इसमें छूट दी जानी चाहिए। साथ ही घरेलू उपयोगी वस्तुओं पर भी टैक्स से छूट दिए जाने की मांग की गई। कर्मचारियों ने सातवें वेतनमान के बाद सैलरी में इजाफा कम और टैक्स की मार को ज्यादा बताया। ऐसे में कर्मचारी हित को देखते हुए बजट में प्रावधान रखे जाएं। 

केंद्रीय कर्मचारी अनिल कुमार का कहना है कि स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा में इजाफा किया जाए। बैंक, जीएसटी में अलग से टैक्स की बजाए कर्मचारियों को कॉमन टैक्स का लाभ मिले। टैक्स के स्लैब में कर्मचारियों का हित देखा जाए। 

जीएमवीएन महासंघ के महासचिव अजयकांत शर्मा का कहना है कि इनकम टैक्स छूट की सीमा कम से कम पांच लाख की जाए। कर्मचारियों सैलरी एकाउंट से होने वाले लेन-देन पर टैक्स न लगाया जाए। न्यूनतम बैलेंस समेत अन्य पर सरचार्ज में छूट मिले। 

वहीं महिला कर्मचारी नीतू कटोच का कहना है कि महिलाओं के लिए बजट में विशेष प्रावधान किए जाएं। दैनिक उपभोग की वस्तुओं पर टैक्स में छूट मिले। जीएसटी, नोटबंदी को देखते हुए टैक्स व्यवस्था को लचीला बनाया जाना चाहिए। 

कर्मचारी नेता सुनील दत्त कोठारी का कहना है कि इस बजट से महंगाई में नियंत्रण की उम्मीद है। खासकर घरेलू सामग्री और दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर टैक्स कम होना चाहिए। कर्मचारियों को मेडिकल सेवा में टैक्स की छूट मिले। 

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