बिल्डिंग और बोर्ड बदले, नहीं बदली अस्पतालों में व्यवस्था; पढ़िए पूरी खबर
कहने को जौनसार-बावर के प्रवेश द्वार कालसी व सीमांत त्यूणी क्षेत्र में दो राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है। लेकिन यहां स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं है।
चकराता (देहरादून), चंदराम राजगुरु। कहने को जौनसार-बावर के प्रवेश द्वार कालसी व सीमांत त्यूणी क्षेत्र में दो राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है। लेकिन यहां स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं है। अस्पताल के बाहर लगे सीएचसी के रंगीन बोर्ड क्षेत्र के लोगों को सिर्फ बड़े अस्पताल होने का एहसास कराते हैं। पीएचसी से सीएचसी में अपग्रेड हुए इन दोनों अस्पतालों में स्वास्थ्य संसाधनों व स्टाफ की कमी से मरीजों को पहले की तरह हायर सेंटर रेफर करने का सिलसिला अभी भी जारी है। इन अस्पतालों में लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं कब नसीब होगी इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है।
उत्तराखंड राज्य को बने दो दशक का लंबा समय हो गया। पर्वतीय क्षेत्र जौनसार-बावर में स्वास्थ्य सेवा की बदहाली किसी से छिपी नहीं है। पहाड़ के दूर-दराज के गांवों में बसे लोग आज भी स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी का रोना रो रहे हैं। सरकार के हुक्मरानों ने जौनसार-बावर के प्रवेश द्वार कहे जाने वाले कालसी व सीमांत त्यूणी क्षेत्र में ग्रामीण जनता की स्वास्थ्य सेवा को खोले गए दो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को कुछ समय पहले अपग्रेड कर उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनाने का सपना दिखाया। पीएचसी से सीएचसी में अपग्रेड हुए त्यूणी व कालसी अस्पताल की नई बिल्डिंग बनकर तैयार हो गई।
इन अस्पतालों के बाहर बाकायदा दो बड़े बोर्ड भी लगा दिए गए, जो लोगों को सीएचसी अस्पताल का एहसास कराते हैं। लेकिन यहां दुर्भाग्यवश सीएचसी अस्पताल जैसी स्वास्थ्य सेवा के नाम पर कुछ नहीं है। इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड (आइपीएचएस) के मानकों के तहत 10 से 30 बेड की क्षमता वाले सीएचसी अस्पताल में नौ विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती की व्यवस्था है। इसके अलावा सीएचसी में फार्मेसिस्ट, स्टाफ नर्स व पैरामेडिकल स्टाफ जरूरी है। साथ ही अस्पताल में अल्ट्रासाउंड, डिजिटल एक्स-रे, पैथोलॉजी लैब व सिजेरियन ऑपरेशन की सुविधा भी होनी चाहिए।
नव क्रांति स्वराज मोर्चा के प्रदेश संयोजक एडवोकेट गंभीर सिंह चौहान, तरुण संघ खत लखवाड़ के पूर्व अध्यक्ष जितेंद्र सिंह चौहान, सामाजिक कार्यकर्ता रविंद्र सिंह पंवार, ग्रामीण युवा समिति के अध्यक्ष बसंत शर्मा, क्षेत्र पंचायत सदस्य विक्रम सिंह पंवार व जौनसार-बावर जनकल्याण विकास समिति अध्यक्ष बचना शर्मा ने कहा कि दिखावे के लिए त्यूणी व कालसी में अस्पताल के बाहर सीएचसी के बोर्ड तो लगा दिए गए पर स्वास्थ्य सेवा से बेहाल ग्रामीण मरीजों को आज तक सुविधाएं नहीं मिली।
सीएचसी में अपग्रेड हुए इन दोनों अस्पतालों में तंत्र की उदासीनता से दूर-दराज के गांवों से इलाज कराने आए लोगों को बड़ी परेशानी उठानी पड़ती है। खासकर आपातकालीन समय में सड़क दुर्घटना में घायलों, गंभीर रोग से पीड़ित मरीजों व प्रसव पीड़िता को समय पर उपचार नहीं मिलने से कई बार उनकी जान पर बन आती है।
भगवान भरोसे लोगों की जिंदगी
पीएचसी से सीएचसी में अपग्रेड हुए त्यूणी व कालसी अस्पताल में नई बिल्डिंग बने हुए काफी समय हो गया। इन दोनों अस्पतालों में प्रतिदिन 120 से डेढ़ सौ के बीच मरीज ओपीडी में आते हैं। जबकि यहां महिने में औसतन 25 से 30 डिलीवरी केस आते हैं। इसके अलावा यहां आपातकालीन समय में सड़क दुर्घटना के केस काफी संख्या में आते हैं। स्टाफ व संसाधनों की कमी के चलते ज्यादातर केस प्राथमिक उपचार के बाद हायर सेंटर विकासनगर देहरादून के लिए रेफर करने पड़ते हैं। इससे सीमांत त्यूणी क्षेत्र से रेफर केस को विकासनगर व देहरादून पहुंचने में चार से पांच घंटे का लंबा सफर तय करना पड़ता है। लोगों की जिंदगी भगवान भरोसे है।
त्यूणी में एक, कालसी में तीन डॉक्टर
सीमांत क्षेत्र के राजकीय अस्पताल त्यूणी में कहने को एक महिला चिकित्सक व दो पुरुष चिकित्सक समेत तीन डॉक्टरों की तैनाती की गई है। जिसमें महिला चिकित्सक पीजी कोर्स के लिए बाहर गई हैं और एक चिकित्सक डीजी ऑफिस देहरादून से संबद्ध है। यहां तैनात एकमात्र चिकित्सक स्वास्थ्य सेवा का जिम्मा संभाले हैं। जबकि स्वास्थ्य उपकेंद्र अटाल में तैनात महिला चिकित्सक को कोविड-19 के चलते त्यूणी से संबद्ध कर दिया गया है। कालसी अस्पताल में एक महिला चिकित्सक, दो पुरुष चिकित्सक के अलावा एक आयुष चिकित्सक तैनात है। इन दोनों अस्पतालों में स्टाफ नर्स व पैरामेडिकल स्टाफ नहीं है। यहां अल्ट्रासाउंड, डिजिटल एक्सरे, पैथोलॉजिक जांच व ऑपरेशन की कोई सुविधा नहीं है।
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क्या कहते हैं स्वास्थ्य अधिकारी
डिप्टी सीएमओ व नोडल अधिकारी डॉ. दिनेश चौहान ने कहा कि पीएचसी से सीएचसी में अपग्रेड हुए त्यूणी व कालसी अस्पताल में केंद्र सरकार के नए मानक व नियमों के तहत पदों को सृजित करने में तकनीकि समस्या आड़े आ रही है। पदों को भरने व स्वास्थ्य संसाधन जुटाने का मामला शासन स्तर का है।