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आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं चंद्रबनी और सेवलाकला क्षेत्र

सेवलाकला और चंद्रबनी क्षेत्र में सुविधाएं पहाड़ के गांवों से भी बदतर हैं। यहां सफाई की कोई व्यवस्था न होने से कचरे से गलियों के साथ ही सड़क और नाली पटी पड़ी है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Mon, 07 Jan 2019 01:40 PM (IST)Updated: Mon, 07 Jan 2019 01:40 PM (IST)
आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं चंद्रबनी और सेवलाकला क्षेत्र
आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं चंद्रबनी और सेवलाकला क्षेत्र

देहरादून, जेएनएन। सेवलाकला और चंद्रबनी क्षेत्र कहने को तो राजधानी से लगे हुए हैं। लेकिन सुविधाएं पहाड़ के गांव से बदतर हैं। यहां सफाई की कोई व्यवस्था न होने से कचरे से हर गली, सड़क और नाली पटी पड़ी है। बिजली की आंख मिचौनी इस कदर है कि हर दिन 10 से 12 बार कट लगते हैं। ग्राम पंचायत से नगर निगम क्षेत्र में शामिल होने के बाद क्षेत्र के लोग विकास के सपने संजोए हुए हैं। मगर, विकास कब धरातल पर उतरेगा, इसकी शुरूआत नजर नहीं आ रही है। 

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शिमला बायपास के वन विहार, मेहूंवाला से लेकर मोहब्बेवाला की बाउंड्री तक लगे सेवलाकला और चंद्रबनी क्षेत्र समस्याओं से घिरे हुए हैं। 14 हजार वोटर वाले इस क्षेत्र की आबादी करीब 35 हजार पार पहुंच गई। लेकिन सुविधाओं के नाम पर सुरक्षित सड़क तक नहीं बनी। क्षेत्र के यमुनोत्री एन्क्लेव के कई फेज में कॉलोनियां बस रही हैं। लेकिन सड़क, नाली, फुटपाथ, सफाई के इंतजाम फिलहाल नजर नहीं आ रहे हैं। 

कस्बे की मुख्य सड़क और गलियों में हर जगह कचरे के ढेर लगे हुए हैं। ग्राम पंचायत से नगर निगम में शामिल होने के बावजूद यहां न तो सफाई होती और न ही कूड़ेदान रखे गए। ऐसे में लोग खुले में कचरा फेंकने को मजबूर हैं। मुख्य सड़क की नालियों से बदबू उठने से आस-पास के लोग परेशान हैं। बारिश के दौरान यहां पानी की निकासी न होने से जलभराव की स्थिति रहती है।

सेवलाकला के पुराने क्षेत्र के अलावा चंद्रबनी तक बिजली का संकट बना हुआ है। यहां एक दिन में 10 से 12 बार कट लगते हैं। इससे अक्सर लोग अंधेरे में रहते हैं। स्ट्रीट लाइट के नाम पर ग्राम पंचायत ने जो व्यवस्थाएं की गई थी, वह निगम बनते हुए ध्वस्त हो गई। ऐसे में यहां की मुख्य सड़कों और गलियों में अंधेरे में आवाजाही होती है। यही स्थिति पीने के पानी की भी है। कस्बे से एक किमी दूर पित्थूवाला में पानी का दफ्तर है। मगर, पीने के पानी का भी यहां संकट बना हुआ है। ऐसे में सेवलाकला और चंद्रबनी क्षेत्र के लोग राजधानी के नजदीक होने के बावजूद सुविधाओं के नाम पर ठेठ गांव जैसा हालात हैं। 

निगम ने दी 10 लाइटें 

करीब तीन किमी क्षेत्र से ज्यादा हिस्से में बसे चंद्रबनी और सेवलाकला के लिए नगर निगम ने 10 लाइटें दी हैं। सफाई के नाम पर अभी तक एक बार भी सफाई नहीं हुई है। क्षेत्रीय पार्षद ने स्वयं मजदूर लगाकर चोक हुए नालियों की सफाई कराई गई। कूड़ेदान और स्ट्रीट लाइटें भी अभी नहीं लगी। 

बंदरों के आतंक से परेशान लोग 

कस्बे में बंदरों का आतंक इस कदर है कि लोगों पर भी कई बार हमला बोल दिया है। बंदर घरों में घुसकर झपटने लगे हैं। घरों के कीमती सामान को नुकसान पहुंचा रहे हैं। यही नहीं घरों के आंगन में लगी सब्जी और फलों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। बंदरों के आतंक से घरों के बाहर और अंदर रहना मुश्किल हो गया है। 

पार्षद हरि प्रसाद भट्ट बताते हैं कि सफाई, स्ट्रीट लाइटें, सड़क, बिजली और पानी क्षेत्र की प्रमुख समस्याएं हैं। इनके निदान को लेकर लगातार संबंधित विभागों को लिखा जा रहा है। बोर्ड बैठक में समस्याओं के प्रस्ताव रखे जाएंगे। उम्मीद है कि व्यवस्थाओं में सुधार होगा। 

यमुनोत्री एन्क्लेव निवासी बाला चौहान बताते हैं कि सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। नालियां न होने से बारिश का पानी सड़कों पर बहता है। कई जगह तालाब जैसी स्थिति बन जाती है। 

चंद्रबनी रोड निवासी महिपाल राणा बताते हैं कि स्ट्रीट लाइटें न होने से अंधेरे में आवाजाही होती है। हर दिन 10 से 12 बार बिजली की कटौती होती है। इससे जरूरी काम नहीं हो पाते। 

सड़क और नालियां गंदगी से पटी पड़ी है। कभी भी सफाई नहीं होती है। नगर निगम बनने के बार भी स्थिति जस की तस है। ये कहना है कि सेवलाकला निवासी सरोज ध्यानी का। 

जिलाधिकारी एसए मुरुगेशन का कहना है कि नगर निगम क्षेत्र में शामिल हुए नए इलाकों के विकास को योजनाएं बन रही हैं। जल्द सफाई और कूड़ेदान की व्यवस्था की जाएगी। बिजली, पानी में सुधार किया जाएगा।

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