सरकार की चाबी घुमा गए नितिन गडकरी
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी सरकार की चाबी घुमा गए। उन्होंने कहा कि अगले साल मार्च से पहले ऑल वेदर रोड समेत अन्य राजमार्गों और नमामि गंगे से जुड़े कार्य पूरे कर लिए जाएं।
देहरादून, [विकास धूलिया]: यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट का ही असर है कि उत्तराखंड में राष्ट्रीय महत्व की बड़ी परियोजनाओं को लेकर केंद्र और राज्य सरकार बेहद संजीदा हैं। हालांकि, बड़ी चुनौती इनके तय समय पर पूरा होने को लेकर है और अब इसी पर फोकस भी है। प्रधानमंत्री मोदी खुद केदारपुरी के पुनर्निर्माण कार्यों पर नजर बनाए हुए हैं तो अन्य मंत्री दूसरी परियोजनाओं को लेकर सक्रिय हैं। कोशिश है कि 2019 के लोस चुनाव से पहले ये कार्य पूरे हो जाएं।
इस कड़ी में सोमवार को देहरादून पहुंचे केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी सरकार की चाबी घुमा गए। उन्होंने दो टूक कहा कि अगले साल मार्च से पहले ऑल वेदर रोड समेत अन्य राजमार्गों और नमामि गंगे से जुड़े कार्य पूरे कर लिए जाएं। उधर, इसका असर सरकार और मशीनरी पर दिखने भी लगा है। उम्मीद जताई जा रही कि आने वाले दिनों में कार्यों में तेजी आएगी।
दरअसल, केंद्र के सहयोग से उत्तराखंड में केदारनाथ पुनर्निर्माण, चारधाम के लिए ऑल वेदर रोड, भारतमाला परियोजना में तमाम सड़कों का निर्माण, ऋषिकेश- कर्णप्रयाग रेल लाइन और नमामि गंगे परियोजना चल रही है। ये सभी राज्य के लिहाज से अहम तो हैं ही, इनका राष्ट्रीय महत्व भी है। यही कारण भी है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही केंद्र सरकार इन परियोजनाओं को खास तवज्जो दे रही है। इनके कार्यों में तेजी लाने के मद्देनजर केंद्र लगातार मॉनीटरिंग भी कर रहा है।
इस क्रम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार को देहरादून में ऑल वेदर रोड, भारतमाला परियोजना में स्वीकृत सड़कों और नमामि गंगे परियोजना की समीक्षा की। उन्होंने इनकी प्रगति की जानकारी लेने के साथ ही निर्देश दिए कि कार्यों में तेजी लाकर इन्हें 2019 से पहले उच्च गुणवत्ता के साथ पूरा किया जाए। साथ ही यह भी कहा कि यदि केंद्र से जुड़े किसी मसले में कोई दिक्कत है तो वे इसे निबटाने के लिए तत्परता से प्रयास करेंगे।
यह गडकरी के दौरे का ही असर है कि इन परियोजनाओं को लेकर सरकार से लेकर शासन तक सक्रियता खासी बढ़ गई है। खुद मुख्यमंत्री इनके बारे में लगातार जानकारी ले रहे हैं, वहीं मुख्य सचिव ने मंगलवार को भागीरथी इको सेंसिटिव जोन के जोनल मास्टर प्लान को लेकर चर्चा की। यही नहीं, इन परियोजनाओं से जुड़े विभागों और कार्यदायी संस्थाओं में भी सक्रियता दिखी।
हालांकि, राज्य के विषम भूगोल को देखते हुए इन परियोजनाओं को तय वक्त पर पूरा करना चुनौतीपूर्ण है। अलबत्ता, यदि लोस चुनाव से पहले 70-80 फीसद कार्य भी पूरे हो गए तो यह किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं होगा। माना जा रहा कि केंद्र की मंशा भी यही है कि कम से कम इतना कार्य तो हो जाए, तो समूचे देश को नजर आए।
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