देश-दुनिया को नामचीन पर्वतारोही देने वाले निम को गाइडलाइन का इंतजार, रियायत मिलने की उम्मीद
नेहरू पर्वतारोहण संस्थान सरकार की गाइडलाइन का इंतजार रहा है जिसमें पर्वतारोहण का कोर्स करने के लिए कुछ रियायत मिल सके।
उत्तरकाशी, जेएनएन। देश-दुनिया को दर्जनों नामचीन पर्वतारोही देने वाला नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) हिमालय का सरताज है। वह इसलिए कि निम के पर्वतारोहियों को हिमालय के चप्पे-चप्पे और दर्रे-दर्रे का पता है। लेकिन, इस बार कोरोना संक्रमण ने पर्वतारोहण अभियान के साथ ही पर्वतारोहण के बेसिक, एडवांस और एडवेंचर कोर्स पर ब्रेक लगा दिया। अब निम सरकार की गाइडलाइन का इंतजार रहा है, जिसमें पर्वतारोहण का कोर्स करने के लिए कुछ रियायत मिल सके।
निम की स्थापना 14 नवंबर 1964 को उत्तरकाशी में हुई थी। पर्वतारोहण में निम ने बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। संस्थान से प्रशिक्षित पर्वतारोही एवरेस्ट और शीशा पांग्मा समेत तीन दर्जन से अधिक चोटियों पर तिरंगा फहरा चुके हैं। संस्थान में चलने वाले एडवेंचर, बेसिक, एडवांस, सर्च एंड रेस्क्यू और मैथड ऑफ इंस्ट्रक्शन कोर्स सहित कई स्पेशल, रॉक क्लाइंबिंग व स्कीइंग कोर्स में करीब 31 हजार देशी-विदेशी पर्वतारोही प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। सर्च एंड रेस्क्यू कोर्स कराने वाला यह एशिया का इकलौता संस्थान है। लेकिन, कोरोना संक्रमण के चलते इस वर्ष अभी तक एक भी कोर्स शुरू नहीं हो पाया। जबकि, निम के कोर्स हर वर्ष मार्च से शुरू हो जाते थे।
निम से प्रशिक्षण प्राप्त प्रमुख पर्वतारोही
भारतीय महिला एवरेस्टर सुश्री बछेंद्री पाल, चंद्रप्रभा ऐतवाल, संतोष यादव, डॉ. हर्षवंती बिष्ट, अर्जुन वाजपेयी, कृष्णा पाटिल, सुमन कुटियाल, सरला नेगी, अरुणिमा सिन्हा, जुड़वां बहनें नुंग्शी और ताशी, पूनम राणा, विष्णु सेमवाल आदि।
नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट ने बताया कि सरकार की गाइडलाइन का इंतजार किया जा रहा है। इसके बाद ही बेसिक और एडवांस कोर्स शुरू किए जाएंगे। उम्मीद है कि जल्द इसके लिए कुछ सकारात्मक दिशा-निर्देश मिलेंगे।