बंद आंखों से लिखी सफलता की इबारत, जानिए इनके हौसेले की कहानी
राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तीकरण संस्थान के छात्र-छात्राओं ने सीबीएसई 12वीं के नतीजों में एक बार फिर अपना लोहा मनवाया है।
देहरादून, जेएनएन। आंखों में ज्योति नहीं तो क्या, विपरीत परिस्थितियों में सफलता हासिल करने का जज्बा हो तो सबकुछ मुमकिन है। राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तीकरण संस्थान (एनआइईपीवीडी) के छात्र-छात्राओं ने इस कथन को भली-भांति चरितार्थ करके भी दिखाया। शारीरिक अक्षमता के बावजूद मजबूत हौसले के दम पर दुनिया को जीतने की इच्छाशक्ति इनमें है। देश के ये कर्णधार आइएएस, समाज सेवक, लेक्चरर बनकर देश सेवा करना चाहते हैं।
गुरुवार को घोषित हुए सीबीएसई 12वीं के नतीजों में एक बार फिर संस्थान के छात्र-छात्राओं ने अपना लोहा मनवाया। सीबीएसई बोर्ड की उत्तराखंड मैरिट सूची में दृष्टिबाधित छात्र मेहराज 94.83 प्रतिशत अंक पाकर स्कूल में टॉपर रहे। वहीं, महेंद्र 93.6 प्रतिशत अंकों के साथ दूसरे व हिमानी 92.8, रेनु 92.4, दिनेश 92.1 प्रतिशत अंकों के साथ क्रमश: तीसरे, चौथे व पांचवें पायदान पर रहे। स्कूल का परिणाम भी शत-प्रतिशत रहा। 12वीं कक्षा के कुल 22 छात्र-छात्राओं में सभी अच्छे अंकों से उतीर्ण हुए हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सबसे कम अंक पाने वाले छात्र मुकुल का अंक प्रतिशत भी 79.16 रहा।
एक परीक्षा पास करने के बाद अभी इन होनहारों का मकसद पूरा नहीं हुआ है। अब इनमें से कोई आइएएस बनकर देश की सेवा करना चाहता है तो कोई लेक्चरर बन नई पीढ़ी में शिक्षा के बीज बोने को लालायित है। तो कई समाज सेवा को अपना जीवन अर्पित करना चाहते हैं। जाहिर है कि ये छात्र-छात्राएं उनके लिए प्रेरणा बन रहे हैं जो तमाम सुविधाओं के बावजूद खुद को साबित नहीं कर पाते।
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