उत्तराखंड में स्वास्थ्य के मोर्चे पर दिख रही नई उम्मीद, बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने पर जोर
कोरोना संकट ने स्वास्थ्य प्रणाली और विशेषकर सार्वजनिक क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति और उनकी आवश्यकताओं पर सोचने को मजबूर किया है। यह कहना गलत नहीं होगा कि बीता साल चुनौतीपूर्ण रहा मगर इसने आत्म मूल्यांकन और भविष्य की रणनीति बनाने का अवसर भी दिया।
जागरण संवाददाता, देहरादून: कोरोना संकट ने स्वास्थ्य प्रणाली और विशेषकर सार्वजनिक क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति और उनकी आवश्यकताओं पर सोचने को मजबूर किया है। यह कहना गलत नहीं होगा कि बीता साल चुनौतीपूर्ण रहा, मगर इसने आत्म मूल्यांकन और भविष्य की रणनीति बनाने का अवसर भी दिया। स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करना और तकनीकी व मानव संसाधन की पर्याप्त उपलब्धता मौजूदा वक्त की जरूरत है। राज्य के बजट इसे लेकर उम्मीद दिखती है।
चिकित्सक, नर्सों की नहीं रहेगी कमी
भले ही स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर प्रदेश में अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की कमी नहीं है, लेकिन मानव संसाधन के अभाव में ये स्वास्थ्य केंद्र शोपीस ही बने रहे। इस मोर्च पर अब उम्मीद दिख रही है। साल 2017 से पहले मात्र एक हजार, 747 चिकित्सक विभिन्न अस्पतालों में कार्यरत थे, जिनकी संख्या अब दो हजार, 138 हो गई है। वहीं 763 चिकित्सकों और दो हजार, 500 नर्सों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। ऐसे में आस बंधी है कि स्वास्थ्य सेवाएं सुदृढ़ और आम जन के लिए सुलभ होंगी।
तीन मेडिकल कॉलेजों का शुरू होगा निर्माण
मानव संसाधन के लिहाज से फीडर का काम करने वाले मेडिकल कॉलेजों पर भी सरकार का खास फोकस है। राज्य में तीन नए मेडिकल कॉलेज हरिद्वार, पिथौरागढ़ व रुद्रपुर मेडिकल कॉलेज की स्वीकृति केंद्र से मिल चुकी है। इनका निर्माण इसी वित्तीय वर्ष में शुरू हो जाएगा। इनके लिए 228 करोड़, 99 लाख रुपये का प्रविधान बजट में किया गया है। वहीं अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में भी अकादमिक वर्ष 2021 से कक्षाएं संचालित करने का प्रयास है।
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बुनियादी ढांचे के सुदृढ़ीकरण पर फोकस
राज्य के बजट में स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने का संकल्प साफ दिखता है। देहरादून जनपद के हर्रावाला में 300 बेड का कैंसर एवं मेटरनिटी हॉस्पिटल जल्द तैयार होगा। इसके अलावा कोरोनेशन अस्पताल के विस्तारीकरण के तहत 100 अतिरिक्त बेड के लिए नए भवन का भी निर्माण किया जा रहा है। वहीं शारीरिक के साथ ही मानसिक स्वास्थ्य पर भी राज्य सरकार का फोकस है। जिसके तहत राजकीय मानसिक चिकित्सालय को 100 बेड के अस्पताल के रूप में उच्चीकृत करने का निर्णय लिया गया है।
आयुष्मान भव:
अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना जन स्वास्थ्य के लिहाज से एक बड़ा कदम है। योजना के संचालन के लिए इस दफा 150 करोड़ रुपये की धनराशि का प्रविधान किया गया है। योजना शुरू होने से अब तक 42 लाख लाभाॢथयों के गोल्डन कार्ड बनाए गए हैं। दो लाख, 35 हजार, 920 लाभाॢथयों पर लगभग 254 करोड़ रुपये का उपचार व्यय किया गया है।
पर्वतीय क्षेत्रों में विशेषज्ञ सेवाएं
प्रदेश में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी को देखते हुए हेल्थ सिस्टम परियोजना के माध्यम से पर्वतीय एवं असेवित क्षेत्रों में विश्व बैंक की सहायता से चिह्नित जिला अस्पतालों को क्लस्टर पद्धति के अनुसार विकसित किया गया है। इस लिए बजट में 200 करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया है। सरकार के इस कदम से पर्वतीय क्षेत्रों में भी विशेषज्ञ सेवाएं मरीजों को मिल सकेंगी।
लाइफ सपोर्ट सिस्टम भी हो रहा मजबूत
कोरोना से सबक लेकर सरकार अब लाइफ सपोर्ट सिस्टम को भी खास तवज्जो दे रही है। जिला चिकित्सालयों में ऑक्सीजन पाइप लाइन, आइसीयू एवं वेंटीलेटर की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। इसके लिए 3319 करोड़, 63 लाख रुपये का प्रविधान किया गया है। फिलहाल राज्य में 780 आइसीयू बेड, 690 वेंटिलेटर, तीन हजार, 343 ऑक्सीजन सपोर्ट बेड उपलब्ध हैं।
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