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राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर शिक्षक संगठन आशंकित

केंद्र सरकार की ओर से प्रस्तावित नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर शिक्षकों के मन में कई शंकाएं हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 01 Aug 2019 10:00 PM (IST)Updated: Thu, 01 Aug 2019 10:00 PM (IST)
राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर शिक्षक संगठन आशंकित

राज्य ब्यूरो, देहरादून

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केंद्र सरकार की ओर से प्रस्तावित नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर शिक्षकों के मन में कई शंकाएं हैं। शिक्षकों के संगठनों को नई नीति के जरिये निजी क्षेत्र को शिक्षा में ज्यादा प्रोत्साहन का अंदेशा है तो स्कूल कॉम्प्लेक्स, स्थानीय समुदाय की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए स्कूल मैनेजमेंट कमेटी को ज्यादा अधिकार दिए जाने के साथ ही नेशनल ट्यूटर्स प्रोग्राम और रेमेडियल इंस्ट्रक्शन ऐड प्रोग्राम को भी व्यावहारिक नहीं माना है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2019 के मसौदे के संबंध में एससीईआरटी की ओर से आयोजित गोष्ठी में शिक्षकों की ओर से सुझाव दिए जा चुके हैं। इन सुझावों के अतिरिक्त भी शिक्षक संगठनों की ओर से केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सुझाव भेजे गए हैं। उत्तराखंड प्राथमिक शिक्षक संघ ने शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति के स्थान पर संविदा या सेवानिवृत्त शिक्षकों के योगदान लेने अथवा शिक्षा में रुझान रखने वाले कार्मिकों का बतौर शिक्षक सहयोग लेने को निजी क्षेत्र के हस्तक्षेप के रूप में देखा है। संघ की ओर से विस्तार से अपने सुझाव प्रस्तुत किए गए हैं। संघ स्कूल मैनेजमेंट कमेटी को ज्यादा अधिकार दिए जाने को ग्रामीण क्षेत्रों के लिहाज से उपयुक्त नहीं मानता। संघ के प्रदेश अध्यक्ष दिग्विजय सिंह चौहान का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल मैनेजमेंट कमेटी में शामिल सदस्य अभिभावक बैठकों में भाग लेने का समय तक निकाल नहीं पा रहे हैं। वही निजी स्कूलों के प्रबंध तंत्र के सामने इस कमेटी के मायने नहीं हैं।

संघ ने प्री प्राइमरी शुरू किए जाने के प्रस्ताव को अच्छा कदम माना है, लेकिन इसके बाल मनोविज्ञान के आधार पर अलग पाठ्यक्रम व व्यवस्था की पैरवी की है। इसीतरह राजकीय शिक्षक संघ उत्तराखंड की एससीईआरटी इकाई अध्यक्ष डॉ अंकित जोशी ने अपने सुझाव में नेशनल ट्यूटर्स प्रोग्राम के संचालन को अल्प प्रतिनिधित्व वाले समूह से ट्यूटर्स की सिफारिश को विरोधाभासी करार दिया है। इसे लागू नहीं करने की पैरवी की गई है। इसीतरह उन्होंने शुरुआती दस वर्षो के लिए रेमेडियल इंस्ट्रक्शन ऐड प्रोग्राम के जरिए स्थानीय समुदायों से अनुदेशकों की तैनाती को शिक्षण की संवेदनशीलता के साथ खतरा बताया है।

राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री सोहन सिंह माजिला ने कहा कि संघ की ओर से केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री को सुझाव पत्र सौंपा जाएगा। उन्होंने स्थानीय स्तर पर शिक्षकों की भर्ती को स्वागतयोग्य बताया है, लेकिन स्कूल मैनेजमेंट कमेटी को अधिकार दिए जाने का अव्यावहारिक करार दिया है। गौरतलब है कि बीती 25 जुलाई को एससीईआरटी की ओर से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे को लेकर सुझाव पत्र को अंतिम रूप दे दिया है। इस सुझाव पत्र को शिक्षा मंत्री का समर्थन मिल चुका है।

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