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कॉलेजों में बायोमीट्रिक हाजिरी अनिवार्य

कॉलेज आए बिना बीएड करने वालों के दिन लद गए हैं। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने सभी सरकारी एवं निजी बीएड एमएड कॉलेज व डाइट को निर्देश जारी करते हुए छात्रों एवं शिक्षकों की उपस्थिति अनिवार्य रूप से बायोमीट्रिक द्वारा भरने को कहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 12 Jul 2019 10:02 PM (IST)Updated: Fri, 12 Jul 2019 10:02 PM (IST)
कॉलेजों में बायोमीट्रिक हाजिरी अनिवार्य

जागरण संवाददाता, देहरादून : कॉलेज आए बिना बीएड करने वालों के दिन लद गए हैं। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने सभी सरकारी एवं निजी बीएड, एमएड कॉलेज व डाइट को निर्देश जारी करते हुए छात्रों एवं शिक्षकों की उपस्थिति अनिवार्य रूप से बायोमीट्रिक से दर्ज कराने को कहा है। इस संबंध में एक माह के भीतर स्टेटस रिपोर्ट तलब की है। इतना ही नहीं संबद्ध सभी संस्थानों को प्रति सप्ताह बायोमीट्रिक उपस्थिति एनसीटीई की वेबसाइट पर अपलोड करने के निर्देश भी दिए हैं।

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एनसीटीई के इस कड़े नियम के बाद उन निजी बीएड कॉलेजों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं जो छात्रों से मोटी फीस वसूल लेते हैं और बिना कॉलेज आए सीधे परीक्षा में सम्मलित कर छात्रों को बीएड की डिग्री प्रदान कर देते हैं। इस कड़ाई का असर ऐसे संस्थानों से जुड़े शिक्षकों पर भी पड़ेगा जो दो से तीन संस्थानों में अपना नाम पंजीकृत किए हुए हैं और मोटी कमाई कर रहे हैं। अब निजी कॉलेज में भी एक शिक्षक को एक ही कॉलेज में अपनी उपस्थिति देनी होगी। प्रदेश में हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विवि, उत्तराखंड श्रीदेव सुमन विवि और कुमाऊं विवि से संबद्ध करीब सौ निजी बीएड कॉलेज संचालित हो रहे हैं। जबकि प्रदेश के सभी जिलो में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाइट) में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के तहत शिक्षकों की ट्रेनिंग होती है। इनमें बीएड, एमएड, डीएलएड आदि कोर्स संचालित हैं। बायोमीट्रिक की अनिवार्यता इस प्रकार के सभी संस्थानों में प्रभावी होगी। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के सदस्य सचिव संजय अवस्थी ने बीते 10 जुलाई को पब्लिक नोटिस जारी किया है। जिसमें साफ है कि संबद्ध संस्थान एक महीने के भीतर अपने संस्थानों में बायोमीट्रिक उपकरण स्थापित करें और इसकी रिपोर्ट दें।

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'राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई)का यह निर्णय स्वागतयोग्य है। अब वही छात्र बीएड व एमएड करने की सोचेगा जो कक्षाओं में रुचि लेता हो। एनसीटीई का यह कदम शिक्षक संस्थानों में सुधार करने के रूप में देखा जाना चाहिए'

-सुनील अग्रवाल, प्रदेश अध्यक्ष, एसोसिएशन ऑफ सेल्फ फाइनेंस कॉलेज


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