कोरोनाकाल में भाषा को मिला नया आयाम
जागरण संवाददाता देहरादून भाषा जनसंचार और समाज पर कोरोना के प्रभाव को लेकर आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार में देश भर से जुड़े शिक्षाविदों और जनसंचार विशेषज्ञों ने कहा कि भाषा और मीडिया दोनों पर कोरोना का व्यापक प्रभाव पड़ा है।
जागरण संवाददाता, देहरादून: भाषा, जनसंचार और समाज पर कोरोना के प्रभाव को लेकर आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार में देश भर से जुड़े शिक्षाविदों और जनसंचार विशेषज्ञों ने कहा कि भाषा और मीडिया, दोनों पर कोरोना का व्यापक प्रभाव पड़ा है।
चमनलाल स्नातकोत्तर महाविद्यालय के अंग्रेजी विभाग द्वारा आयोजित वेबिनार में मुख्य वक्ता के तौर पर गुरुकुल कागड़ी विश्वविद्यालय के प्रो. डॉ. श्रवण कुमार शर्मा ने कहा कि कोरोना प्रसार के इस दौर में इंसान को सभी रास्ते बंद नजर आ रहे हैं, लेकिन सभी को विश्वास रखना होगा कि मानवता को जल्द ही नया रास्ता नजर आएगा। इस समय साहित्य, भाषा और मीडिया अधिक गहनता से आपस में जुड़ गए हैं। वरिष्ठ पत्रकार निशीथ जोशी ने कहा कि कोरोना के संक्रमण काल में सोशल मीडिया महत्वपूर्ण रोल अदा कर रहा है। इस दौर में नए-नए शब्द निकल कर आ रहे हैं। आज से पहले जनता कर्फ्यू और लॉकडाउन शब्दों को कोई नहीं जानता था, लेकिन अब ये आम प्रचलित शब्द बन गये है।
उत्तराखंड राजभवन के सूचना उपनिदेशक डॉ. नितिन उपाध्याय ने कहा कि कोरोना संक्रमण सबसे बुरा प्रभाव प्रिंट मीडिया पर पड़ा है, मौजूदा हालात चुनौतीभरे हैं, लेकिन प्रिंट मीडिया दोबारा अपने पुराने स्वरूप में लौटेगा। वहीं, ग्राफिक एरा हिल यूनिवíसटी की सहायक प्रोफेसर डॉ. शिखा शुक्ला ने कहा कि कोरोना के फैलाव के चलते लॉकडाउन में बीते कुछ महीने से लोग सोशल मीडिया पर ज्यादा समय बिता रहे हैं। जिसका प्रभाव मन-मस्तिष्क पर पड़ रहा है। इस अवसर पर दिल्ली की वरिष्ठ पत्रकार पारुल शर्मा बुधकर, वरिष्ठ पत्रकार प्रभात ओझा, चमनलाल महाविद्यालय के प्राचार्य एवं भाषा विज्ञानी प्रो. सुशील उपाध्याय, वेबिनार की समन्वयक डॉक्टर सरोज शर्मा, सहसमन्वयक डॉ अपर्णा शमा, दीपा अग्रवाल समेत 10 राज्यों के सौ से अधिक प्रोफेसर, शिक्षाविद्, पत्रकार व शोधार्थी वेबिनार से जुड़े।