National Teacher Award 2020: उत्तराखंड के दो शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार, सीएम ने दी बधाई
दो शिक्षकों को इस वर्ष राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुना गया है। इनमें एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय जोगला की सुधा व राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पुड़कूनी के डॉ. कांडपाल शामिल हैं।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड के दो शिक्षकों को इस वर्ष राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुना गया है। इनमें एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय जोगला, कालसी (देहरादून) की उप प्रधानाचार्य सुधा पैन्यूली और राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पुड़कूनी, कपकोट (बागेश्वर) के प्रधानाध्यापक डॉ. केवलानंद कांडपाल शामिल हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दोनों शिक्षकों को बधाई दी है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयनित शिक्षकों की सूची जारी की। कुल 47 शिक्षकों की इस सूची में उत्तराखंड के दोनों मंडलों गढ़वाल और कुमाऊं से एक-एक शिक्षक शामिल हैं। पुरस्कार के लिए शिक्षकों का चयन राष्ट्रीय स्तर पर स्वतंत्र ज्यूरी ने किया।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित इन शिक्षकों ने प्रदेश का नाम रोशन किया है। उन्होंने इस सम्मान को अन्य शिक्षकों के लिए भी प्रेरणादायी बताया। देश में एकलव्य आदर्श विद्यालयों में सम्मानित होने वाली सुधा पैन्यूली पहली अध्यापिका हैं। यह प्रदेश के लिए गर्व की बात है।
बालिका शिक्षा में विशेष योगदान को अवॉर्ड
राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पुड़कूनी(बागेश्वर) के प्रधानाध्यापक डॉ. केवलानंद कांडपाल को यह पुरस्कार बालिका शिक्षा में विशेष योगदान और शिक्षा के विकास के लिए उत्कृष्ट कार्य करने पर मिला है। इससे पहले वह शैलेश मटियानी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। डॉ. कांडपाल 2017 में पदोन्नत होकर दुर्गम राउमावि पुड़कूनी के प्रधानाचार्य बने। जब वह विद्यालय गए तो वहां शिक्षा को लेकर विशेष जागरूकता नहीं था। खासतौर पर बालिकाएं शिक्षा छोड़ रही थी।
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ऐसे समय में उन्होंने बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए समुदाय को जागरूक करने का फैसला लिया। उन्होंने विद्यालय में मां-बेटी सम्मेलन शुरू करवाया। घर-घर जाकर अभिभावकों को बेटियों को शिक्षित करने के लिए प्रेरित किया। उनका यह प्रयास रंग लाया और पहले ही साल विद्यालय छोड़ चुकी दो छात्राओं ने पुनः प्रवेश लिया। इसके अलावा उन्होंने शिक्षा के विकास के लिए सेवानिवृत कर्मचारियों, पुरातन छात्रों और समुदाय के लोगों को साथ लेकर चलने का निर्णय लिया। उनकी मदद से विद्यालय में संसाधन जुटाए। शैक्षिक माहौल बनाने के लिए विजन मिशन तैयार किया।