Move to Jagran APP

National Teacher Award 2020: उत्तराखंड के दो शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार, सीएम ने दी बधाई

दो शिक्षकों को इस वर्ष राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुना गया है। इनमें एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय जोगला की सुधा व राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पुड़कूनी के डॉ. कांडपाल शामिल हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 21 Aug 2020 09:18 PM (IST)Updated: Fri, 21 Aug 2020 10:15 PM (IST)
National Teacher Award 2020: उत्तराखंड के दो शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार, सीएम ने दी बधाई
National Teacher Award 2020: उत्तराखंड के दो शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार, सीएम ने दी बधाई

देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड के दो शिक्षकों को इस वर्ष राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुना गया है। इनमें एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय जोगला, कालसी (देहरादून) की उप प्रधानाचार्य सुधा पैन्यूली और राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पुड़कूनी, कपकोट (बागेश्वर) के प्रधानाध्यापक डॉ. केवलानंद कांडपाल शामिल हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दोनों शिक्षकों को बधाई दी है।  

loksabha election banner

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयनित शिक्षकों की सूची जारी की। कुल 47 शिक्षकों की इस सूची में उत्तराखंड के दोनों मंडलों गढ़वाल और कुमाऊं से एक-एक शिक्षक शामिल हैं। पुरस्कार के लिए शिक्षकों का चयन राष्ट्रीय स्तर पर स्वतंत्र ज्यूरी ने किया। 

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित इन शिक्षकों ने प्रदेश का नाम रोशन किया है। उन्होंने इस सम्मान को अन्य शिक्षकों के लिए भी प्रेरणादायी बताया। देश में एकलव्य आदर्श विद्यालयों में सम्मानित होने वाली सुधा पैन्यूली पहली अध्यापिका हैं। यह प्रदेश के लिए गर्व की बात है।

बालिका शिक्षा में विशेष योगदान को अवॉर्ड 

राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पुड़कूनी(बागेश्वर) के प्रधानाध्यापक डॉ. केवलानंद कांडपाल को यह पुरस्कार बालिका शिक्षा में विशेष योगदान और शिक्षा के विकास के लिए उत्कृष्ट कार्य करने पर मिला है। इससे पहले वह शैलेश मटियानी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। डॉ. कांडपाल 2017 में पदोन्नत होकर दुर्गम राउमावि पुड़कूनी के प्रधानाचार्य बने। जब वह विद्यालय गए तो वहां शिक्षा को लेकर विशेष जागरूकता नहीं था। खासतौर पर बालिकाएं शिक्षा छोड़ रही थी। 

यह भी पढ़ें:  श्रीदेव सुमन विवि से संबद्धता पर 177 कॉलेजों के आवेदनों पर लगाई आपत्ति, जानिए वजह

ऐसे समय में उन्होंने बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए समुदाय को जागरूक करने का फैसला लिया। उन्होंने विद्यालय में मां-बेटी सम्मेलन शुरू करवाया। घर-घर जाकर अभिभावकों को बेटियों को शिक्षित करने के लिए प्रेरित किया। उनका यह प्रयास रंग लाया और पहले ही साल विद्यालय छोड़ चुकी दो छात्राओं ने पुनः प्रवेश लिया। इसके अलावा उन्होंने शिक्षा के विकास के लिए सेवानिवृत कर्मचारियों, पुरातन छात्रों और समुदाय के लोगों को साथ लेकर चलने का निर्णय लिया। उनकी मदद से विद्यालय में संसाधन जुटाए। शैक्षिक माहौल बनाने के लिए विजन मिशन तैयार किया। 

यह भी पढ़ें: सरकारी नौकरी को भर्ती परीक्षा के स्वरूप में बदलाव, युवाओं में जगी नई उम्मीद; होंगे कई फायदे


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.