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उत्तराखंड में जल्द बनेगा राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, सरकार ने दी मंजूरी

उत्तराखंड में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की स्थापना की सरकार की मंशा अब पूरी होने जा रही है। रानीपोखरी में इसकी स्थापना को सरकार मंजूरी दे चुकी है। अब इसके प्रारंभिक निर्माण कार्यों के लिए 50 लाख की राशि भी सरकार जारी कर चुकी है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 06 Dec 2021 07:42 PM (IST)Updated: Mon, 06 Dec 2021 07:42 PM (IST)
उत्तराखंड में जल्द बनेगा राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, सरकार ने दी मंजूरी
उत्तराखंड में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की स्थापना की सरकार की मंशा अब पूरी होने जा रही है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की स्थापना की सरकार की मंशा अब पूरी होने जा रही है। रानीपोखरी में इसकी स्थापना को सरकार मंजूरी दे चुकी है। अब इसके प्रारंभिक निर्माण कार्यों के लिए 50 लाख की राशि भी सरकार जारी कर चुकी है। प्रदेश में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय को लेकर असमंजस अब दूर हो गया है। इस विश्वविद्यालय को पहले नैनीताल जिले में स्थापित करने का निर्णय लिया गया था, लेकिन जमीन की उपलब्धता में दिक्कत खड़ी होने से इस पर अमल नहीं हो सका। बाद में सरकार ने इसके लिए देहरादून जिले के रानीपोखरी में भूमि की तलाश की। रानीपोखरी (लिस्ट्राबाद) में 10 एकड़ भूमि विश्वविद्यालय के लिए चिह्नित की गई है।

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दरअसल, इस विश्वविद्यालय की स्थापना के संबंध में कई आवश्यक सुविधाओं का ध्यान रखा गया। केंद्र सरकार की मदद से बनने वाले इस विश्वविद्यालय में अध्यापन के लिए नैनीताल हाईकोर्ट समेत देशभर के हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट से नामचीन अधिवक्ता एवं न्यायमूर्ति आते हैं। रानीपोखरी की देहरादून और हरिद्वार से नजदीकी तो है ही। साथ में जौलीग्रांट एयरपोर्ट के समीप ही यह क्षेत्र है। इससे बाहर से आने वाली फैकल्टी को आवाजाही में दिक्कत नहीं उठानी पड़ेगी। इसके साथ ही राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय से नाम जुडऩे का लाभ रानीपोखरी को भी मिलना तय है।

राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की स्थापना का मामला 10 वर्ष से अधिक समय से लंबित है। पहले विश्वविद्यालय की स्थापना नैनीताल हाईकोर्ट के समीप ही नैनीताल जिले में करने का निर्णय लिया गया था। जमीन की उपलब्धता में पेच फंसने की वजह से यह मामला लंबे समय तक लटका ही रहा। सरकारों ने इस मामले में मजबूत इच्छाशक्ति दिखाने से गुरेज किया। बाद में 2017 में भाजपा सरकार बनने के बाद विश्वविद्यालय के लिए भूमि के मसले का समाधान ढूंढ़ा गया। विश्वविद्यालय की स्थापना नहीं होने से अधिवक्ता समुदाय भी चिंतित था। बार काउंसिल आफ इंडिया भी इस मामले में नाराजगी जता चुका है। अब 50 लाख की राशि विश्वविद्यालय के प्रारंभिक निर्माण कार्यों के लिए जारी की जा चुकी है।

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