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स्वास्थ्य पैकेज पर भड़के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन संविदा कर्मचारी, पढ़ि‍ए पूरी खबर

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन संविदा कर्मचारियों ने सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाया है। एनएचएम कर्मियों का कहना है कि स्वास्थ्य क्षेत्र को किए गए 205 करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा में सरकार उनके योगदान को भूल गई।

By Sunil NegiEdited By: Published: Wed, 28 Jul 2021 03:36 PM (IST)Updated: Wed, 28 Jul 2021 03:36 PM (IST)
स्वास्थ्य पैकेज पर भड़के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन संविदा कर्मचारी, पढ़ि‍ए पूरी खबर
स्वास्थ्य पैकेज पर भड़के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन संविदा कर्मचारी।

जागरण संवाददाता, देहरादून। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन संविदा कर्मचारियों ने सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि स्वास्थ्य क्षेत्र को किए गए 205 करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा में सरकार उनके योगदान को भूल गई। उन्होंने पैकेज में संशोधन कर उनके लिए प्रोत्साहन राशि देने का प्रविधान करने की मांग की है।

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मंगलवार को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन संविदा कर्मचारी संगठन की प्रदेश कार्यकारिणी की आनलाइन बैठक हुई। संगठन पदाधिकारियों ने कहा कि आश्वासन के बाद भी प्रबंधन की ओर से उनकी मांगों पर कार्रवाई न करना चिंताजनक बात है। प्रदेश अध्यक्ष सुनील भंडारी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में पदाधिकारियों ने सरकार पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए जो आर्थिक पैकेज देने की घोषणा की है, वह बहुत पहले हो जाती तो सही रहता। वहीं पैकेज में उनका जिक्र न होने से यह महसूस हो रहा है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में एनएचएम कर्मियों का कोई योगदान ही नहीं है।

उन्होंने कहा कि कोरोनाकाल में कोविड चिह्नित अस्पतालों, कोविड केयर सेंटर, सैंपलिंग, क्वारंटाइन केंद्र, सर्विलांस, कोविड कंट्रोल रूम, टीकाकरण कार्यक्रम आदि में एनएचएम कर्मियों की अहम भागीदारी रही है। लेकिन जब प्रोत्साहन की बारी आई तो सरकार एनएचएम कर्मियों को भूल गई।

नर्सें बोलीं, सम्मान नहीं तो अपमान क्यों

स्वास्थ्य पैकेज की घोषणा को लेकर नर्सेज संघ में भी नाराजगी है। उत्तराखंड नर्सेज एसोसिएशन ने इसे नर्सों के साथ भेदभाव बताया है। मंगलवार को हुई गूगल मीट में नर्सेज संघ के पदाधिकारियों ने एक स्वर में कहा कि इस स्वास्थ्य पैकेज को नर्सेज संघ अस्वीकार करता है। एसोसिएशन की प्रांतीय अध्यक्ष मीनाक्षी जखमोला ने कहा कि सरकार की इस घोषणा से नर्सों में आक्रोश है। क्योंकि कोरोनाकाल में सबसे ज्यादा सेवा और कोरोना संक्रमित मरीजों के सबसे अधिक संपर्क में नर्सें ही रही हैं। उन्होंने कहा कि सरकार यदि एक जैसा सम्मान सभी हेल्थ केयर वर्कर्स को नहीं दे सकती है तो उनका इस तरह का अपमान भी नहीं करना चाहिए था। बैठक में प्रांतीय महामंत्री कांति राणा, इंदु शर्मा, भारती जुयाल, विद्या चौबे, पुरुषोत्तम त्यागी, नरेंद्र तिवारी, गिरीश आदि शामिल हुए।

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