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National Girl Child Day: हर क्षेत्र में अमिट छाप छोड़ रहीं हमारी बेटियां, जानें- उनके संघर्ष से सफलता तक का सफर

National Girl Child Day बेटियां दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर ऊंचे मुकाम हासिल कर रही हैं। शिक्षा खेल विज्ञान कला सिविल सेवा पुलिस आर्मी राजनीति आदि तमाम क्षेत्रों में उत्तराखंड की बेटियां अपनी छाप छोड़ रही हैं।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Sun, 24 Jan 2021 08:34 AM (IST)Updated: Sun, 24 Jan 2021 08:34 AM (IST)
National Girl Child Day: हर क्षेत्र में अमिट छाप छोड़ रहीं हमारी बेटियां, जानें- उनके संघर्ष से सफलता तक का सफर
हर क्षेत्र में अमिट छाप छोड़ रहीं हमारी बेटियां।

जागरण संवाददाता, देहरादून। National Girl Child Day बेटियां दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर ऊंचे मुकाम हासिल कर रही हैं। शिक्षा, खेल, विज्ञान, कला, सिविल सेवा, पुलिस, आर्मी, राजनीति आदि तमाम क्षेत्रों में उत्तराखंड की बेटियां अपनी छाप छोड़ रही हैं। दून और प्रदेश की कई बेटियां हैं, जिन्होंने पढ़ाई और नवाचार में अपना वर्चस्व कायम किया है। इतना ही नहीं बहादुरी का परिचय देकर साहसिक क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार जीतकर उत्तराखंड का मान बढ़ाया है। इस राष्ट्रीय बालिका दिवस पर दैनिक जागरण आपके साथ ऐसी ही कुछ बेटियों की कहानियां साझा करने जा रहा है, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन किया है।

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राष्ट्रीय विज्ञान कांग्रेस में दिखेगा तपस्या चौधरी का मॉडल

केवि आइटीबीपी की छात्र तपस्या चौधरी ने रिस्पना नदी को पुनर्जीवन देने के लिए ईको फ्रैंडली मॉडल तैयार किया है। उनके इस मॉडल को राष्ट्रीय विज्ञान कांग्रेस के लिए चयनित किया गया है। नवाचार के क्षेत्र में तपस्या द्वारा तैयार किए गए मॉडल को निर्णायक मंडल की ओर से भी खूब सराहना मिली। प्रदेशभर से आए मॉडलों में सीनियर वर्ग में उनके मॉडल को पहला स्थान मिला है। तपस्या ने बताया कि हर साल यह विज्ञान कांग्रेस स्कूलों में होती है, लेकिन इस साल कोरोना के चलते ऑनलाइन माध्यम से हुई। चार जनवरी को क्षेत्रीय प्रतियोगिता में प्रदेशभर से जुटे छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया था। उन्होंने इसके लिए अपने शिक्षक और परिवार को धन्यवाद दिया।

बोर्ड परीक्षाओं में मनवाया लोहा

दून की सुजाता ने गुरबत में सफलता की राह तलाश कर बोर्ड परीक्षाओं में बेहतर अंक हासिल कर लोहा मनवाया। विपरीत परिस्थितियों से लड़कर उन्होंने न सिर्फ मेरिट में जगह बनाई, बल्कि यह भी दिखा दिया कि सफलता पाने के लिए जज्बा होना चाहिए। फिर आप सरकारी स्कूल में भी पढ़ें तो क्या फर्क पड़ता है। जीवन के कड़े संघर्ष और परिवार की विपरीत परिस्थितियों को मात देकर दून की सुजाता ने पिछले वर्ष 12वीं में 91.8 अंक हासिल किए।

सुजाता ने दून की मेरिट में छठा और प्रदेश 14वां स्थान प्राप्त किया। सुजाता दून में कुंजापुरी विहार में रहती हैं। उनके पिता राजेश चंद रमोला का छह साल पहले निधन हो गया था। परिवार चलाने के लिए मां शैला देवी ने घरों में जाकर काम करना शुरू किया। सुजाता इंजीनियर बनकर घर की बदहाली को दूर करना चाहती हैं।

वीरता के लिए राखी को राष्ट्रीय पुरस्कार

छोटे भाई की जान बचाने को अदम्य साहस का परिचय देते हुए गुलदार से भिड़ने वाली 11 साल की राखी को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार तक मिल चुका है। राखी को गुलदार ने गंभीर घायल कर दिया था। जिसके बाद लंबे समय तक राखी का दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में उपचार चला। पौड़ी जिले के चौबट़्टाखाल तहसील की सैंधार पट्टी के देवकुंडई गांव में बीते चार अक्टूबर को गुलदार ने खेत में अपनी मां के साथ गए चार साल के मासूम राघव पर हमला कर दिया था।

साथ में मौजूद 11 वर्षीय बहन राखी भाई राघव को बचाने के लिए उसके ऊपर लेट गई और गुलदार को राघव तक नहीं पहुंचने दिया। राखी ने बहादुरी का परिचय देते हुए गुलदार से भाई को बचाया, लेकिन वह खुद भी गंभीर रूप से घायल हो गई। उनकी इसी बहादुरी के लिए उन्हें पिछले वर्ष गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से नवाजा गया था।

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