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राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बने 'जेंडर चैंपियन', पढ़िए पूरी खबर

लिंग आधारित भेदभाव को खत्म करने के लिए उत्तराखंड महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की ओर से चार जेंडर चैंपियन का चयन किया गया है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 28 Jan 2020 02:37 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jan 2020 08:20 PM (IST)
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बने 'जेंडर चैंपियन', पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, रीतिका पठानिया। समाज में लिंग आधारित भेदभाव को खत्म करने के लिए उत्तराखंड महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की ओर से चार 'जेंडर चैंपियन' का चयन किया गया है। यह चारों चैंपियन विभिन्न खेलों में न केवल राष्ट्रीय, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं। ये अब जिले में विभिन्न माध्यम से समाज में लैंगिक भेदभाव को कम करने में अपना योगदान देंगे। साथ ही लोगों को जागरूक भी किया जाएगा। 

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'जेंडर चैंपियन' में अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी रोहित रतूड़ी और प्रिंस चतुर्वेदी, अंतरराष्ट्रीय बॉक्सिंग चैंपियन पवन गुरुंग और राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक हासिल करने वाले एथलेटिक्स हर्षदीप सिंह का नाम शामिल है। महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक विभाग की ओर से सहसपुर और कालसी ब्लॉक स्तर पर 13 स्थानीय चैंपियन का भी चयन किया गया है, जिसमें रायपुर ब्लॉक से मानसी पंत, सिमरन, साक्षी, प्रियांशी, अनुष्का थापा, सहसपुर ब्लॉक से गीता मौर्या, बाला शर्मा, कालसी ब्लॉक से किरण डिमरी, रेखा खन्ना, रिषिका राणा, अनिशा बिष्ट, तमन्ना शर्मा और चकराता से कृपा रांटा का नाम शामिल हैं। 

क्या है 'जेंडर चैंपियन' 

'जेंडर चैंपियन' लिंग आधारित भेदभाव को खत्म करके समाज में समानता का माहौल तैयार कराता है, जिससे समाज के विभिन्न वर्गों का नजरिया बदले और समाज में लड़कियों का सम्मान हो। समाज और महिला हित में काम करने का इच्छुक कोई भी युवा जेंडर चैंपियन में शामिल हो सकता है। 

यह हैं 'जेंडर चैंपियन' के कर्तव्य   

- हम उम्र साथियों को लैंगिक मुद्दों पर निर्देशित करना। 

- छात्र वर्ग, सामाजिक और महिला संगठन के साथ मीडिया के जरिए जागरूकता फैलाना। 

- लैंगिक भेदभाव वाले क्षेत्रों को चिह्नित कर इसे कम करने का काम करना। 

- जेंडर चैंपियन क्लब को संस्थानों में प्राथमिकता देने का कार्य करना। 

-ब्लॉग और वेबसाइट के माध्यम से अनकही बातें सामने लाना, जिससे किसी महिला-छात्रा की जिंदगी बदली हो।

- लैंगिक समानता पर फिल्म फेस्टिवल, कार्यशाला, पेंटिंग प्रतियोगिता आयोजन करना। 

महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी अखिलेश मिश्रा ने बताया कि पुरुष 'जेंडर चैंपियन' में चयनित खिलाड़ियों को जल्द चयन प्रमाण पत्र देकर कर्तव्यों से अवगत करवाया जाएगा। 

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अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी प्रिंस चतुर्वेदी का कहना है कि हमेशा मैदान में ही प्रतिभा दिखाई है। अब मैदान से बाहर महिला सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाने का मौका मिला है। उसे भी बखूबी निभाने का प्रयास किया जाएग।अंतरराष्ट्रीय बॉक्सिंग चैंपियन पव गुरुंग ने कहा, नई जिम्मेदारी के काबिल समझने के लिए विभाग का धन्यवाद। अन्य युवाओं के सहयोग से समाज में फैली कुरीतियों को समाप्त करने का प्रयास करूंगा। 

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एथलेटिक हर्षदीप का कहना है कि यह नई पहल समाज में नया बदलाव लाएगी। मुझे इस बात की खुशी है कि इस पहल का मैं भी हिस्सा हूं। अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी रोहित रतूड़ी का कहना है कि हमेशा से महिलाओं के लिए मन में कुछ अच्छा करने की इच्छा थी। आज वह भी पूरी हो गई। काफी अच्छा लग रहा है। 

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