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धोखाधड़ी पर अस्पताल का अनुबंध निरस्त, वापस होगा भुगतान

अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना में धोखाधड़ी के मामले में योजना के मुख्य कार्यकारी अधिकारी युगल किशोर पंत ने प्रिया अस्पताल धनपुरा लक्सर रोड का राज्य स्वास्थ्य अभिकरण (एसएचए) के साथ किया अनुबंध निरस्त कर दिया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 May 2019 09:46 PM (IST)Updated: Sat, 25 May 2019 09:46 PM (IST)
धोखाधड़ी पर अस्पताल का अनुबंध निरस्त, वापस होगा भुगतान

राज्य ब्यूरो, देहरादून: अटल आयुष्मान, उत्तराखंड योजना में धोखाधड़ी के मामले में योजना के मुख्य कार्यकारी अधिकारी युगल किशोर पंत ने प्रिया अस्पताल, धनपुरा, लक्सर रोड का राज्य स्वास्थ्य अभिकरण (एसएचए) के साथ किया अनुबंध निरस्त कर दिया है। इसके साथ ही अस्पताल को अभी तक इलाज के लिए प्राप्त की गई 1,78,200 रुपये सात दिन के भीतर वापस करने के निर्देश दिए गए हैं। शेष 118800 रुपये के भुगतान पर भी रोक लगा दी गई है। इसके अलावा योजना कार्यालय द्वारा जसपुर मेट्रो अस्पताल, ऊधमसिंह नगर पर अनुबंध के उल्लंघन, धोखाधड़ी और षडयंत्र के आरोपों को प्रथम दृष्टया सही पाते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया है। अस्पताल प्रबंधन को 15 दिन के भीतर जवाब देने को कहा गया है।

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अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के तहत अनुबंधित निजी अस्पतालों द्वारा मरीजों के इलाज में धोखाधड़ी और गलत सूचनाएं देने के कई मामले सामने आए हैं। अब कार्यालय, अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना द्वारा ऐसे मामलों में सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। इस कड़ी में शनिवार को योजना के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) ने प्रिया अस्तपाल, हरिद्वार का अनुबंध निरस्त करने के आदेश जारी किए। इसमें स्पष्ट किया गया है कि अस्पताल ने अनुबंध के समय यह उल्लेख किया था कि उनके यहां डॉ. जार्ज सैमुअल के अतिरिक्त कोई अन्य चिकित्सक तैनात नहीं है और वह 24 घंटे उपलब्ध हैं। जबकि, डॉ. सैमुअल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ढंडेरा, रायसी में पूर्णकालिक के रूप में अभी तक तैनात र्ह। ऐसे में वह राजकीय केंद्र में होने के साथ ही निजी चिकित्सालय में एकमात्र चिकित्सक होने के कारण पूर्ण रूप से उपलब्ध नहीं रह सकते। स्पष्ट है कि योजना का गलत तरीके से फायदा लेने के लिए झूठी जानकारी दी गई। इसके लिए उनका अनुबंध निरस्त किया जाता है।

वहीं, योजना के सीईओ ने जसपुर के मेट्रो अस्पताल को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। अस्पताल पर यह आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने बिना पूर्व स्वीकृति के मरीजों का इलाज किया। इसके अलावा कई मरीजों से अवैध रूप से इलाज का शुल्क लेने के बाद उनके बिल भी योजना के तहत भुगतान के लिए भेजे गए। यहां तक कि भुगतान लेने के लिए कागजों में हेरा फेरी की गई है। सीईओ ने अस्पताल को इन सभी आरोपों का जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया है। तब तक अस्पताल का अनुबंध निलंबित कर अस्पताल को अभिकरण के सिस्टम पर ब्लॉक करने के निर्देश भी जारी किए गए हैं।

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