Move to Jagran APP

डॉक्टर ने किया रेफर, अस्पताल में सास ने कराया प्रसव

उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं के बुरे हाल हैं। प्रसव के लिए पहुंची महिला को डॉक्टरों ने जब रैफर कर दिया तो सास ने ही बहू की डिलीवरी करा दी।

By BhanuEdited By: Published: Sat, 22 Sep 2018 10:07 AM (IST)Updated: Sat, 22 Sep 2018 10:07 AM (IST)
डॉक्टर ने किया रेफर, अस्पताल में सास ने कराया प्रसव
डॉक्टर ने किया रेफर, अस्पताल में सास ने कराया प्रसव

त्यूणी, देहरादून [जेएनएन]: स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर देहरादून जिले की स्थिति दयनीय बनी हुई है। राजकीय अस्पताल त्यूणी लाई गई एक गर्भवती को चिकित्सकों ने संसाधनों के अभाव का हवाला देते हुए हिमाचल प्रदेश स्थित रोहड़ू के लिए रेफर कर दिया। इस दौरान महिला की प्रसव पीड़ा बढ़ी तो साथ आई सास ने ही अस्पताल में प्रसव कराया। जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।

loksabha election banner

चकराता ब्लॉक के सुदूरवर्ती कावा खेड़ा गांव के रहने वाले नवीन की पत्नी लखनी को प्रसव पीड़ा हुई। परिजन उसे निजी वाहन से अटाल बाजार तक लाए और यहां से 108 एंबुलेंस के जरिये राजकीय अस्पताल त्यूणी पहुंचाया। चिकित्सकों ने परिजनों से कहा कि अस्पताल में प्रसव के लिए संसाधन नहीं हैं। वे उसे लेकर रोहड़ू अस्पताल ले जाएं। 

महिला के पति नवीन ने बताया कि वे लोग रोहड़ू जाने की तैयारी कर ही रहे थे कि तभी प्रसव पीड़ा तेज हो गई। इस पर नवीन की मां सुमित्रा देवी बहू को अस्पताल के ही एक कमरे में ले गईं और प्रसव करा दिया। इसके बाद परिजन जच्चा और बच्चा को लेकर रोहड़ू रवाना हुए।

अस्पताल के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि महिला सात माह की गर्भवती थी। प्री-मैच्योर होने के कारण इस अस्पताल में प्रसव कराना संभव नहीं था। संसाधन न होने के कारण महिला को हायर सेंटर के लिए रेफर करना पड़ा।

महिला अस्पताल में लापरवाही की इंतहा

दून महिला अस्पताल में लापरवाही की इंतहा देखिए। यहां मरीज भगवान भरोसे हैं। एक दिन पहले हुई जच्चा-बच्चा की मौत के बाद भी स्थिति में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं दिखा। शुक्रवार को भी महिलाएं परेशान होती रहीं। भगवानपुर हरिद्वार निवासी आठ माह की गर्भवती एक दिव्यांग महिला आशा (28) के पेट में दस दिन से बच्चा मृत है, पर चार दिन पहले अस्पताल में भर्ती होने पर उसे बेड तक नहीं मिला। 

वह बरामदे में व्हील चेयर पर बैठी रही। आरोप है कि चिकित्सकों ने उसके ऑपरेशन में भी देरी की। मीडिया के अस्पताल पहुंचने पर उसे लेबर रूम में ले जाया गया। यहां दून निवासी बहन उनकी देखरेख कर रही है। उन्होंने बताया कि अल्ट्रासाउंड कराने पर डॉक्टर ने बताया कि उनका बच्चा पिछले दस दिन पहले मर गया है। 

तब से वह लोग ऑपरेशन करने की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन किसी ने सुना नहीं। ऑपरेशन करने में डॉक्टर आनाकानी करते रहे। उन्हें खतरा है कि कही पेट में मृत बच्चे की वजह से उसकी जान जोखिम में न पड़ जाए। उधर, मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रदीप भारती गुप्ता का कहना है कि अल्ट्रासाउंड जाच में बच्चा मृत पाया गया था। खून की कमी के चलते उसका ऑपरेशन नहीं किया गया। ब्लड बैंक से खून उपलब्ध हो गया है। अब खून चढ़ाकर उसका ऑपरेशन कर दिया जाएगा। 

स्ट्रेचर पर तड़पती रही महिला 

हरिद्वार के सिंघद्वार की एक महिला छह दिन से अस्पताल में स्ट्रेचर पर तड़प रही है। परिजनों ने डॉक्टरों पर इलाज न देने का आरोप लगाकर हंगामा किया। उनका कहना था कि उसके टाके खराब हो गए हैं। अब पेट में रसोली बता दी गई है, पर कोई सुध लेने को तैयार नहीं है। महिला के पति द्वारिका ने बताया कि उनकी पत्‍‌नी किरण का चार तारीख को ऑपरेशन हुआ था। 

दिक्कत हुई तो छह दिन पहले वह उसे अस्पताल ले आए। लेकिन यहां बेड नहीं मिला। परिजनों ने कहा कि डॉक्टर प्राइवेट में ले जाने की सलाह दे रहे हैं, पर कोई लिखकर देने को तैयार नहीं। इस पर प्राचार्य का कहना है कि मामला उनके संज्ञान में नहीं है। इसकी जानकारी की जाएगी।

डिलिवरी का भार अकेले ढो रहा महिला अस्पताल

ऐसा लगता है कि सरकार अनुभवों से भी सीख नहीं लेना चाहती। एक के बाद एक घटनाएं स्वास्थ्य सेवाओं को आइना दिखा रही हैं। पर हुक्मरान इसमें झांकने को तैयार नहीं। सुरक्षित मातृत्व का डंका जरूर पीटा जाता है, पर अस्पतालों का हाल बुरा है। दून महिला अस्पताल में जच्चा-बच्चा की मौत ने एक बार फिर सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को लेकर बहस छेड़ दी है। 

सवाल इसलिए भी बड़ा है क्योंकि यह सब किसी दूरस्थ क्षेत्र में नहीं बल्कि राजधानी दून में हुआ है। प्रदेश में हरेक अंतराल बाद किसी गर्भवती या नवजात की मौत की खबर आती है। कारण समय पर या सही उपचार न मिलना। पर सरकारों का हाल देखिए कि वह करीब 18 साल से स्वास्थ्य सेवाएं सुदृढ़ करने का प्रयास ही कर रही हैं। 

इन दावों की हकीकत जाननी है तो जरा दून महिला अस्पताल का एक चक्कर मार आइए। यहां न सिर्फ दून बल्कि प्रदेश के दुरुह क्षेत्र की महिलाएं भी भर्ती मिलेंगी। यानी पहाड़ के अस्पताल इस लायक भी नहीं बन सके हैं कि सुरक्षित प्रसव करा सकें। 

उत्तरकाशी, टिहरी, पौड़ी और तमाम क्षेत्रों से मरीज बस दून ठेले जा रहे हैं। उस पर शहर का हाल देखिए। यहां रायपुर से लेकर प्रेमनगर अस्पताल में प्रसव की सुविधा है। हाल में गांधी नेत्र चिकित्सालय को मैटरनिटी केयर यूनिट के तौर पर विकसित किया गया है। पर दबाव फिर भी अकेले दून महिला अस्पताल पर है। 

प्रदेश की छोड़िए, यहां यूपी व हिमाचल से भी मरीज आ रहे हैं। सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकारी अस्पतालों के बीच कितना तालमेल है। विकल्प मौजूद हैं पर संसाधनों का सही ढंग से इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। एक तरफ जहां मरीजों की भरमार है, वहीं दूसरी तरफ गिनती की ही डिलिवरी हो रही हैं। 

दून महिला अस्पताल 

कुल बेड:111 

भर्ती मरीज:160-165 

स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ: आठ 

कोरोनेशन अस्पताल 

कुल बेड:70 

डिलिवरी का सुविधा नहीं 

प्रेमनगर अस्पताल 

कुल बेड:30 

16-18 महिलाओं को भर्ती की सुविधा 

स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ: चार 

गांधी नेत्र चिकित्सालय 

कुल बेड: 170 

30 बेड महिला एवं प्रसूति रोग 

11 प्राइवेट रूम 

16 प्री और पोस्ट ऑपरेटिव केयर 

स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ:छह 

रायपुर अस्पताल 

कुल बेड: 25 

स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ:एक 

लेडी मेडिकल ऑफिसर:दो 

होगी अधिकारियों की बैठक 

अपर सचिव स्वास्थ्य युगर किशोर पंत के अनुसार इस मामले में सभी अस्पतालों के अधिकारियों की बैठक ली जाएगी। आपसी तालमेल से इस समस्या से निपटा जा सकता है। यह प्रयास रहेगा कि सामान्य डिलिवरी सब अपने स्तर पर करें और क्रिटिकल केस दून महिला में भेजे जाएं। 

जच्चा-बच्चा की मौत और अव्यवस्थाओं की जांच करेगी समिति

दून महिला अस्पताल में जच्चा-बच्चा की मौत के बाद सरकार व शासन अब हरकत में दिख रहा है। शुक्रवार को अपर सचिव चिकित्सा शिक्षा युगल किशोर पंत ने अस्पताल का औचक निरीक्षण किया। यहा लेबर रूम में पंखे खराब होने, सीलन देख उनका पारा चढ़ गया। उन्होंने 15 दिन के भीतर लेबर रूम किसी बड़ी जगह शिफ्ट करने और अन्य तमाम व्यवस्थाएं दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं। 

उन्होंने पूर्व स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अर्चना श्रीवास्तव की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय समिति की है। यह समिति 15 दिन में अपनी रिपोर्ट देगी। इसमें एक चिकित्सक एम्स और एक अस्पताल की डॉक्टर रहेंगी। अपर सचिव ने सबसे पहले चिकित्सकों, नर्सिग स्टाफ की बैठक ली। उन्होंने जच्चा की तबीयत बिगड़ने पर उपचार न मिलने, अस्पताल में पैसे मागे जाने, इंजेक्शन, दवा, धागा बाहर से मंगाए जाने समेत अन्य तमाम आरोपों की जाच के लिए तीन सदस्यीय टीम गठित कर दी। 

इसके बाद उन्होंने लेबर रूम, महिला वार्ड का निरीक्षण किया। पत्रकारों से बात करते उन्होंने कहा कि यहां व्यस्थाएं मानकों के अनुरूप नहीं हैं। इसमें सुधार की आवश्यकता है। इसके लिए अस्पताल प्रबंधन को 15 दिन का समय दिया गया है। उन्होंने कहा कि नर्सिग स्टाफ की कमी पूरी करने और अन्य संसाधनों को जुटाने के लिए विभाग प्रयास कर रहा है।

नई बिल्डिंग निर्माणाधीन है, इसके बनने के बाद व्यवस्थाओं में सुधार हो जाएगा। इस दौरान पूर्व स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अर्चना श्रीवास्तव, मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रदीप भारती गुप्ता, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा, महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. मीनाक्षी जोशी, डॉ. चित्रा जोशी, एनएस कृष्णा रावत, सतीश धस्माना आदि मौजूद रहे।

कोई पैसा मांगे तो डायल कीजिए 104 

महिला अस्पताल में स्टाफ द्वारा पैसे मांगने की भी कई शिकायतें सामने आई हैं। जिस पर अपर सचिव ने कहा कि इससे सख्ती से निपटा जाएगा। यदि कोई भी कर्मचारी पैसे की मांग करता है तो इसकी सूचना इंटीग्रेटेड हेल्पलाइन 104 पर दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि इस विषय में सभी अस्पतालों में सूचना चस्पा की जाएगी। इस तरह की कोई भी शिकायत आने पर उससे सख्ती से निपटा जाएगा। 

तिमारदारों को रखा दूर 

अपर सचिव के निरीक्षण के दौरान अस्पताल प्रशासन बचाव की मुद्रा में दिखा। कई तीमारदार बेड और उपचार न मिलने पर अपनी बात रखना चाहते थे। पर उन्हें अपर सचिव से दूर रखा गया। सुरक्षा कर्मी उन्हें बरामदे से बाहर ही रोके रहे। 

सीएम के आने की सूचना से हड़कंप 

महिला अस्पताल में जच्चा-बच्चा की मौत के बाद सीएम के निरीक्षण की बात कही जा रही थी। जिस कारण अस्पताल प्रशासन के हाथ पाव फूले रहे। अमूमन गर्भवती व तिमारदार बरामदे में बैठे दिखते हैं। पर उन्हें पार्क में बैठा दिया गया। अस्पताल में साफ-सफाई भी कराई गई। अन्य व्यवस्थाएं भी दुरुस्त की गई।

सरकार ने दी सफाई, मृतका के भाई ने नकारा

दून महिला अस्पताल में जच्चा-बच्चा की मौत के मामले में सरकार ने सफाई दी है। अपर सचिव स्वास्थ्य युगल किशोर पंत के अस्पताल के निरीक्षण और अभिलेखों की जांच के आधार पर कहा कि मृतका भर्ती होने के बाद से कई बार अपने बेड पर मौजूद नहीं पाई गई। आंतरिक परीक्षण करवाने और कैथेटर नली डलवाने की अनुमति भी उसने नहीं दी। जिससे चिकित्सकों को इलाज करने में असुविधा हो रही थी। 

बुखार होने और फेफड़ों में संक्रमण के लक्षण होने पर भी अपने बेड और लेबर रूम में नहीं आ रही थी। उसे दो यूनिट ब्लड भी चढ़ाया गया था। मृत बच्चे को उसने जन्म दिया। चिकित्सक तमाम प्रयास के बाद भी महिला को नहीं बचा सके। 

उधर, मृतका के भाई मकान सिंह ने सरकार के इस दावे को सिरे से नकार दिया है। उनका कहना है कि सरकार व अधिकारी चिकित्सकों की बात पर भरोसा कर रहे हैं। उनकी बहन को बेड और सही उपचार मिल जाता तो उसकी मौत ही क्यों होती। इस घटना के बाद तमाम लोग सुचिता को बचाने की गुहार लगाते रहे, पर अस्पताल स्टाफ ने एक न सुनी।

दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सर्जन ने दर्ज कराया मुकदमा

दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कार्यरत वरिष्ठ सर्जन ने कोतवाली नगर में मुकदमा दर्ज कराया है। आरोप लगाया कि कुछ लोगों ने उनके फर्जी हस्ताक्षर कर नियुक्ति पत्र जारी कर दिए और उन्हें अब ब्लैकमेलिंग कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने कुछ लोगों पर उनके साथ गालीगलौच कर अभद्रता करने का भी आरोप लगाया। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

कोतवाली नगर में दिए गए तहरीर में वरिष्ठ सर्जन डॉ. वाईएस थपलियाल ने कहा कि आठ अगस्त को वह अपने कार्य कर रहे थे तो सुनील कुमार निवासी जोशीमठ कुछ महिलाओं और पुरुषों के साथ वहां आए और उसके साथ गाली गलौच करने लग गए। कहने लगे कि उन्होंने उन्हें नियुक्ति पत्र जारी किए हैं, लेकिन अभी तक नियुक्ति नहीं दी है। जिस पर उन्होंने इसका विरोध किया तो वह उसके साथ मारपीट करने लगे। जिस पर उन्होंने बामुश्किल अपनी जान बचाई। 

डॉ. थपलियाल के मुताबिक जब वह सीएमओ के पद पर कार्यरत थे, उसी दौरान कुछ लोगों ने उनकी मुहर का इस्तेमाल कर कुछ लोगों को फर्जी नियुक्ति पत्र दे दिए। जबकि उन्होंने किसी को नियुक्ति पत्र जारी नहीं किए थे। आरोप लगाया कि कुछ लोग जानबूझ कर उनकी छवि को धूमिल करना चाहते हैं। 

उन्होंने इसमें कार्यालय के कुछ लोगों की संलिप्तता का आरोप लगाते हुए मामले की जांच की मांग की है। बताते दे कि हाल ही में सीएमओ कार्यालय से कुछ लोगों को कैलाश अस्पताल रुद्रपुर, जिला चिकित्सालय दून, टीबी विभाग और वार्ड ब्वाय का फर्जी नियुक्ति पत्र जारी होने का मामला सामने आया था। जिसमें सीएमओ की मुहर लगी हुई थी।

यह भी पढ़ें: महिला की फर्श पर कराई डिलीवरी, जच्‍चा बच्‍चा की मौत पर हंगामा

यह भी पढ़ें:  दून महिला अस्पताल में डिलीवरी के दौरान महिला और नवजात की मौत, हंगामा

यह भी पढ़ें: गर्भवती महिला की मौत पर परिजनों ने की अस्पताल में तोड़फोड़


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.