हिंदी ने पिरोया है देश को एक सूत्र में, सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है हिंदी
देश में अपनी मातृ भाषा के अलावा दूसरी भाषा या तीसरी भाषा की बात की जाए तो सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा हिंदी ही है।
देहरादून, [सुमन सेमवाल]: हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई, आपस में हैं भाई-भाई। देश अगर इस सूत्र वाक्य पर आगे बढ़ रहा है तो इसकी मुख्य वजह है हिंदी भाषा। भाषाई विविधता वाले भारत देश में भले ही 123 मातृ भाषाएं हैं, मगर अपनी मातृ भाषा के अलावा दूसरी भाषा (बाइलिंगुअलिज्म) या तीसरी भाषा (ट्राइलिंगुअलिज्म) की बात की जाए तो सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा हिंदी ही है।
भारत के महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त कार्यालय की ओर से जारी ताजा आंकड़ों में पता चला है कि जिन लोगों की मातृ भाषा हिंदी नहीं है, ऐसे 13.89 करोड़ लोगों की दूसरी भाषा हिंदी ही है। यदि तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को शामिल किया जाए तो यह आंकड़ा और भी ऊपर चला जाता है।
जनगणना के आंकड़ों के अनुसार जिन लोगों ने अपनी भाषा का स्पष्ट उल्लेख किया है, उनकी संख्या 117 करोड़ से अधिक है। इस तरह हिंदी को मातृ भाषा मानने वाले लोगों की संख्या करीब 45 फीसद है, जबकि अन्य मातृ भाषा वाले ऐसे लोगों को भी शामिल कर दिया जाए, जिन्होंने अपनी दूसरी भाषा को हिंदी माना है तो यह आंकड़ा 57 फीसद को पार कर जाता है। इसमें अगर हिंदी को अपनी तीसरी भाषा मानने वाले लोगों की बात करें तो हिंदी का दायरा करीब 65 फीसद लोगों तक पहुंच जाता है।
ग्लोबल विलेज की तरफ भी बढ़ रहा देश
इसे वैश्विक समरसता कहें या बेहतर कॅरियर की चाह, वैश्विक भाषा अंग्रेजी को अपनी दूसरी भाषा का दर्जा देने वाले लोगों की संख्या हिंदी के बाद सर्वाधिक है। चौंकाने वाली बात यह कि अंग्रेजी को मातृ भाषा मानने वाले लोगों की संख्या देश में महज 2.59 लाख है, जबकि अंग्रेजी को अपनी दूसरी भाषा मानने वाले लोगों की संख्या कहीं अधिक 8.26 करोड़ है। हालांकि जिन लोगों की मातृ भाषा अंग्रेजी है, उन्होंने भी 48 फीसद लोगों की दूसरी भाषा हिंदी ही है।
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