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डेंगू से मरीजों के बचाव को मच्छर मार मच्छरदानी की मदद Dehradun News

डेंगू की रोकथाम के लिए अस्पतालों में मच्छर मार मच्छरदानी की मदद ली जा रही है। यह मच्छरदानी न केवल मच्छरों से बचाती है बल्कि मच्छरों की काल बन जाती है।

By BhanuEdited By: Published: Mon, 26 Aug 2019 09:24 AM (IST)Updated: Mon, 26 Aug 2019 09:24 AM (IST)
डेंगू से मरीजों के बचाव को मच्छर मार मच्छरदानी की मदद Dehradun News
डेंगू से मरीजों के बचाव को मच्छर मार मच्छरदानी की मदद Dehradun News

देहरादून, जेएनएन। डेंगू की रोकथाम के लिए अस्पतालों में मच्छर मार मच्छरदानी की मदद ली जा रही है। यह मच्छरदानी न केवल मच्छरों से बचाती है, बल्कि मच्छरों की काल बन जाती है। कारण ये कि इसके धागे में एक खास किस्म का कीटनाशक लगाया गया है। यह इंसानों के लिए खतरनाक नहीं है, लेकिन मच्छरों का दुश्मन है।

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डेंगू सामान्य तौर पर एडीज प्रजाति के मच्छरों के काटने से होता है। मादा एडीज मच्छर इसके वायरस फैलाती है, जो दिन में काटती है। जैसे ही कोई मादा एडीज मच्छर स्वस्थ व्यक्ति को काटती है, यह उसके खून में डेन वायरस छोड़ देती है। ऐसे में वायरस से संक्रमित रोगी को अगर सामान्य एडीज मच्छर काट ले तो वह भी संक्रमित हो जाता है। 

ऐसे में अस्पताल के स्तर पर डेंगू वार्ड को लेकर खास सतर्कता बरती जाती है। यहां मरीज को मच्छरदानी में रखा जाता है। ताकि मच्छर डेंगू के वायरस को एक से दूसरे व्यक्ति तक न पहुंचा सकें। 

उत्तराखंड में डेंगू का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। जनपद देहरादून में अब तक डेंगू के 541 मामले सामने आ चुके हैं। स्थिति ये कि मरीजों की बढ़ती संख्या के आगे अस्पतालों में इंतजाम भी नाकाफी साबित होने लगे हैं। जिसके बाद स्वास्थ्य सचिव विभाग भी अधिकारियों को जरूरी दिशा निर्देश जारी कर चुके हैं। 

एक तरफ जहां एलाइजा जांच के लिए विकल्प बढ़ाए जा रहे हैं, वहीं डेंगू पीडि़तों के लिए बेड भी बढ़ाए जा रहे हैं। इसके अलावा तमाम स्वास्थ्य इकाईयों में जापानी कंपनी द्वारा निर्मित खास मच्छरदानी लगाई गई हैं। इस मच्छरदानी के धागे में कीटनाशक का लेप लगा है। जिला वैक्टर जनित रोग नियंत्रण अधिकारी सुभाष जोशी के अनुसार इस मच्छरदानी को धोने से भी उसका प्रभाव कम नहीं होता है, क्योंकि इसके धागे के उत्पादन में ही कीटनाशक का उपयोग किया गया है। खास बात यह कि इसे एक ही धागे से बनाया गया है, इसलिए इसमें कहीं जोड़ भी नहीं है। उन्होंने बताया कि सभी अस्पतालों में मच्छरदानी भेजी गई हैं। 

डेंगू के चलते बाजार में बढ़ी कीवी की डिमांड

डेंगू की वजह से कीवी की भी जबरदस्त डिमांड बढ़ गई है। दून मंडी में डिमांड 15 से बढ़कर 30 कुंतल तक पहुंच गई है। यही नहीं बाजार में कीवी 25 से बढ़कर अब 40 रुपये की बिक रही है। 

शहर में डेंगू का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। डेंगू के डर से लोग तरह- तरह के उपाय कर रहे हैं। इन्हीं उपायों के कारण कीवी की खपत भी बढ़ गई है। देहरादून के मंडी सचिव विजय प्रसाद थपलियाल ने बताया कि जो पेटी पहले 600 रुपये की थी, वो इन दिनों 800 रुपये की हो गई है। एक पेटी में 40 पीस कीवी होती है। 

दूसरे फलों की तरह कीवी बहुत ज्यादा चलन में नहीं है। इसलिए इसके बारे में लोग कम जानते हैं। कीवी एक पहाड़ी फल है, जिसमें कई गुण होते हैं। इसमें विटामिन और मिनरल होते हैं। ये दावा किया जाता है कि इसमें मौजूद विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट्स, फाइबर, पोटेाशियम व अन्य तत्व डेंगू से लड़ने  में मददगार साबित होते हैं। 

साथ ही दावा ये भी किया जाता है कि डेंगू बुखार होने पर बॉडी की ब्लड प्लेटलेट्स तेजी से गिरने लगती हैं, इसे रोकने में कीवी काफी सहायक है। हालांकि, दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. केसी पंत ने बताया कि डेंगू से लड़ने में कीवी असरदार है, इसका कोई प्रमाण नहीं है। 

बकरी के दूध को भी मारामारी 

शहर से लेकर गांवों तक फैली डेंगू की दहशत का आलम ये है कि लोग कोई भी नुस्खा आजमाने से नहीं हिचकिचा रहे हैं। इसी क्रम में आजकल बकरी के दूध की भी डिमांड बढऩे लगी है। बताया जाता है कि दूध की वायरलरोधी प्रकृति डेंगू में कारगर है। आयुर्वेद चिकित्सक डॉ.नवीन जोशी के अनुसार बकरी का दूध औषधीय गुणों से भरपूर है। दूध में प्रोटीन की अच्छी खासी मात्रा तो है ही, इसके अलावा यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।

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