Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    छात्रवृत्ति घोटाले : गरीब बच्चों के हक पर डालते रहे डाका

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Mon, 07 Sep 2020 10:03 AM (IST)

    समाज कल्याण विभाग में अनुसूचित जाति जनजाति की छात्रवृत्ति के बंदरबाट में अगर किसी का हक मारा गया तो वह था गरीब छात्र। ...और पढ़ें

    Hero Image
    छात्रवृत्ति घोटाले : गरीब बच्चों के हक पर डालते रहे डाका

    देहरादून, जेएनएन। समाज कल्याण विभाग में अनुसूचित जाति जनजाति की छात्रवृत्ति के बंदरबाट में अगर किसी का हक मारा गया, तो वह था गरीब छात्र। जिन्होंने ने छात्रवृत्ति की बदौलत जीवन में कुछ कर गुजरने का सपना देखा था, जिसे घोटालेबाजों ने न सिर्फ तोड़ा, बल्कि गरीब बच्चों का सिस्टम पर भरोसा भी कमजोर किया। यही वजह रही कि सरकार को जब इस घोटाले का पता चला तो शिकंजा कसने में देर नहीं लगाई। करीब पांच सौ करोड़ रुपये के इस घोटाले में अब तक सौ से अधिक आरोपित जेल की हवा कहा चुके हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उत्तराखंड के सबसे चर्चित घोटाले की समाज कल्याण विभाग में धांधली यूं तो राज्य बनने के बाद से ही हो रही थी, लेकिन इसने संगठित लूट का स्वरूप वर्ष 2011 के बाद लिया। इस दौरान कॉलेजों के खातों में बिना वैरिफिकेशन के करोड़ों रुपये की छात्रवृत्ति जमा कराई गई। इनमें से ज्यादातर कॉलेज नेताओं के सगे संबंधियों के ही रहे। खास बात यह थी कि तब से लेकर 2017 में मामला कोर्ट में पहुंचने तक किसी ने भी इस लूट पर अपनी तरफ से अंकुश लगाने का प्रयास नहीं किया। अलबत्ता वह चहेतों अफसरों को अभयदान देने की राह तलाशते रहे।

    साल 2018 में मामला सरकार के संज्ञान में आया तो, इसकी जांच के समिति गठित की गई। पहले तो इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में खारिज कर दिया कि कोई घोटाला हुआ है। तत्कालीन सचिव डॉ. भूपिंदर कौर औलख ने जांच समिति की रिपोर्ट खारिज कर तत्कालीन अपर सचिव डॉ. वी. षणमुगम की अध्यक्षता में नई जांच समिति गठित की। इस समिति की जांच में घोटाले की पुष्टि हुई। समिति की रिपोर्ट पर तत्कालीन अपर सचिव मनोज चंद्रन ने घोटाले की सीबीआइ या सतर्कता जांच के साथ, घोटाले की शिकायत को निराधार बताने वाली समिति के सदस्यों के निलंबन और उनके खिलाफ विधिक कार्रवाई करने की सिफारिश तक कर दी। इसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंच गया और जांच के लिए दो अलग अलग एसआईटी का गठन कर दिया गया।

    एसआईटी प्रथम

    • प्रभारी आईपीएस मंजूनाथ टीसी
    • जांच का क्षेत्र- देहरादून व हरिद्वार
    • हरिद्वार
    • दर्ज मुकदमे-46
    • गिरफ्तारी- 24
    • घोटाले की रकम- 1,56,44,32,185
    • देहरादून
    • दर्ज मुकदमे- 16
    • गिरफ्तारी- 6
    • घोटाले की संभावित रकम- 30,70,06,255

    एसआईटी-द्वितीय

    • प्रभारी- आईजी संजय गुंज्याल
    • जांच क्षेत्र- देहरादून, हरिद्वार को छोड़ सभी 11 जिले
    • कुल मुकदमे- 53
    • गिरफ्तारी- 49
    • घोटाले की संभावित रकम- 1172307269

    एक नजर

    •  दोनों एसआईटी शैक्षणिक सत्र 2012-12 से 2015-16 के बीच प्रदेश के शिक्षण संस्थानों में हुए घोटाले की कर रही हैं जांच।
    • उत्तराखंड समेत उत्तर प्रदेश, हरियाणा के भी कई शिक्षण संस्थान घोटाले में शामिल मिले हैं। इनमें कई पर मुकदमे भी दर्ज हो चुके हैं।
    • अगस्त 2019 से दोनों एसआईटी छात्रवृत्ति घोटाले की कर रही हैं जांच।

    बोले अधिकारी

    • संजय गुंज्याल (आईजी कुम्भ मेला) का कहना है कि छात्रवृत्ति घोटाले में जो दस्तावेज एकत्रित किये गए हैं, उनका परीक्षण किया जा रहा है। यह समय कोरोना संक्रमण को रोकने का है। स्थिति सामान्य होते ही कार्रवाई होगी।
    • मंजूनाथ टीसी (एसपी जीआरपी, हरिद्वार) का कहना है कि कोरोना के खतरे के चलते छात्रवृत्ति घोटाले में जांच से जुड़े दस्तावेजों की पड़ताल की जा रही है। लॉकडाउन खुलने के बाद कार्रवाई तेज होगी।

    यह भी पढ़ें: हाईकोर्ट ने कहा क्‍यों न छात्रवृत्ति घोटाला मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी जाए