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हर जुबान पर जय जवान, उत्‍तराखंड में 12 फीसद से अधिक हैं सैन्य पृष्ठभूमि से जुड़े वोटर

सैन्य बहुल प्रदेश उत्तराखंड में कुल मतदाताओं के तकरीबन 12 फीसद मतदाता सैन्य परिवारों से हैं। ये वोटर पांच में से तीन सीटों पर जीत-हार में अहम भूमिका निभाते हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 24 Mar 2019 10:54 AM (IST)Updated: Sun, 24 Mar 2019 10:54 AM (IST)
हर जुबान पर जय जवान, उत्‍तराखंड में 12 फीसद से अधिक हैं सैन्य पृष्ठभूमि से जुड़े वोटर

देहरादून, विकास गुसाईं। लोकसभा चुनावों में उत्तराखंड में सैन्य वोटर अहम भूमिका निभाएंगे। देश में मौजूदा समय में जिस तरह की परिस्थितियां बनी हुई हैं, उसे देखते हुए सैन्य वोटर की भूमिका बेहद अहम हो गई है। सैन्य बहुल प्रदेश उत्तराखंड में कुल मतदाताओं के तकरीबन 12 फीसद मतदाता सैन्य परिवारों से हैं। ये वोटर पांच में से तीन सीटों पर जीत-हार में अहम भूमिका निभाते हैं। पौड़ी गढ़वाल संसदीय सीट पर तो राज्य गठन के बाद हुए चार (एक उपचुनाव भी शामिल) में से तीन चुनावों में सैनिक पृष्ठभूमि से जुड़े प्रत्याशियों ने ही जीत हासिल की है। यही कारण है कि राजनीति दल इन्हें लुभाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ते। मौजूदा परिस्थितियों में भी केंद्र व प्रदेश में सत्तासीन भाजपा व विपक्ष कांग्रेस सैन्य मसलों पर बेहद सतर्कता से बयान जारी कर रही हैं। यही वजह है कि पिछले दिनों राहुल गांधी देहरादून पहुंचे तो अपनी रैली में इस मुद्दे का जिक्र करना नहीं भूले।

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उत्तराखंड में सैन्य पृष्ठभूमि से जुड़े वोटरों का गणित सभी राजनीतिक दल बखूबी समझते हैं। यही कारण है कि ये दल पूर्व सैनिकों पर अपनी नजरें जमाए रखते हैं। हर दल में पूर्व सैनिक प्रकोष्ठ हैं। इनमें लेफ्टिनेंट जनरल स्तर तक के अधिकारियों तक शामिल किए गए हैं। केंद्र व प्रदेश सरकारों के एजेंडे में सैनिक व पूर्व सैनिकों के हितों से जुड़े मुद्दे प्रमुखता से रखे जाते हैं। प्रदेश में इस समय पूर्व सैनिकों की संख्या मुख्य रूप से देहरादून, पौड़ी, अल्मोड़ा व पिथौरागढ़ जिलों में हैं। उत्तराखंड में सैनिक वोटर विशेष रूप से पौड़ी, टिहरी व अल्मोड़ा लोकसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका में हैं। अल्मोड़ा में 80 हजार से अधिक पूर्व सैनिक, वीर नारियां और सर्विस वोटर हैं। एक परिवार में चार वोटर माने जाएं तो यह संख्या सीधे बढ़कर 3.20 लाख बैठती है। 

किसी भी दल के लिए इतने वोटर कम नहीं होते। इसी प्रकार यदि पौड़ी सीट पर नजर डाली जाए तो यहां भी 80 हजार से अधिक पूर्व सैनिक, वीर नारियां व कार्यरत सैनिक हैं। यहां भी सैन्य पृष्ठभूमि से जुड़े वोटरों की संख्या तीन लाख से अधिक है। बात करें टिहरी लोकसभा सीट की तो यहां तकरीबन 50 हजार पूर्व सैनिक, वीर नारियां और सर्विस वोटर हैं। इस तरह यहां सैन्य परिवारों के वोटों की संख्या दो लाख के आसपास है। ये वोटर निर्णायक भूमिका में रहते हैं।

हालांकि, सैनिक पृष्ठभूमि से जुड़े वोटरों के मूड को भांपना किसी दल के लिए आसान नहीं होता। प्रदेश में अभी तक हुए चुनावों में पूर्व सैनिकों के वोटर बिहेवियर पर नजर डालें तो ये मुख्य रूप से केंद्रीय मुद्दों के आधार पर ही वोटिंग करते हैं। इनका लंबा जीवन सेना में गुजरा होता है तो ये अपने मुद्दों पर काफी मुखर भी रहते हैं। इतना ही नहीं पूर्व सैन्य अधिकारी और सैनिक प्रत्याशी को लेकर इनका एक सॉफ्ट कार्नर नजर आता है। यही कारण है कि प्रदेश के दोनों ही दलों ने पूर्व सैन्य सैनिक अधिकारियों को अपने साथ जोड़ा है।

एक परिचय 

  • कुल मतदाता: 169519
  • कुल सर्विस वोटर: 88600
  • सैन्य व पूर्व सैनिक वोटर: 258119

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