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उत्तराखंड में कोरोना के कारण फिर अटका माडल जेल मैन्युअल, वर्षों पुराने कानून से ही चल रहा काम

उत्तराखंड में जेल के वर्षों पुराने कानून के स्थान पर नया माडल जेल मैन्युअल (नियमावली) लागू करने की कवायद कोरोना के कारण अटक गई है। इसके लिए गठित समिति ने नए मैन्युअल पर काम तो शुरू किया लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के कारण यह आगे नहीं बढ़ पाया है।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Mon, 24 May 2021 03:19 PM (IST)Updated: Mon, 24 May 2021 03:19 PM (IST)
उत्तराखंड में कोरोना के कारण फिर अटका माडल जेल मैन्युअल।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड में जेल के वर्षों पुराने कानून के स्थान पर नया माडल जेल मैन्युअल (नियमावली) लागू करने की कवायद कोरोना के कारण अटक गई है। इसके लिए गठित समिति ने नए मैन्युअल पर काम तो शुरू, किया लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के कारण यह आगे नहीं बढ़ पाया है। माना जा रहा है कि अब व्यवस्था दुरुस्त होने के बाद ही इस पर आगे काम हो पाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2019 में सभी राज्यों को वर्षों पुराने जेल मैन्युअल के स्थान पर नया जेल मैन्युअल अपनाने को कहा था। 

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उत्तराखंड ने भी इसके लिए तैयारी शुरू की। इसके लिए सचिव गृह नितेश झा की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया। इस समिति में अपर सचिव न्याय और महानिरीक्षक जेल को शामिल किया गया। इस समिति का काम केंद्र के मैन्युअल का अध्ययन कर प्रदेश का अपना अलग मैन्युअल बनाना था। दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा जारी मैन्युअल में कैदियों की सुविधाओं, विशेषकर स्वास्थ्य आदि पर काफी फोकस किया है। 

यह भी स्पष्ट किया गया है कि बैरक में कितने कैदी रहेंगे और इन्हें क्या सुविधा दी जाएगी। इसमें कैदियों की पढ़ाई के साथ ही स्वरोजगार परक शिक्षा पर भी जोर दिया गया है। उत्तराखंड में अभी तक वर्षों पुराने जेल मैन्युअल के मुताबिक ही काम चल रहा है। यहां जेलों के हालात बहुत अच्छे नहीं है। उत्तराखंड में 13 जेल हैं, जिनकी कैदी रखने की क्षमता तकरीबन 3500 है। इसके सापेक्ष यहां 5600 से अधिक कैदी हैं। इससे कैदियों को पूरी सुविधा नहीं मिल पा रही है। 

जेल मैन्युअल बनाने के लिए गठित समिति ने मैन्युअल पर काम करना शुरू कर दिया था। इस बीच बीते वर्ष कोरोना के कारण लागू लाकडाउन के कारण यह आगे नहीं बढ़ पाया। वर्ष के अंत तक स्थिति ठीक हुई तो कार्य आगे बढ़ाया गया। अब इसे अंतिम रूप दिया जा रहा था, इस बीच कोरोना की दूसरी लहर आ गई। शासन व जेल प्रशासन का फोकस कैदियों की सुरक्षा में लग गया। ऐसे में यह मैन्युअल एक बार फिर अटक गया है।

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