अब उत्तराखंड में निकायों की अनुमति से लगेंगे मोबाइल टावर
अब मोबाइल टावर बिना स्थानीय निकायों की अनुमति के नहीं लग सकेंगे। निकाय ही यह देखेंगे कि जिस क्षेत्र में टावर लगाया जाना है वह उसे लगाने के लिए उपयुक्त है या नहीं।
देहरादून, [विकास गुसाईं]: प्रदेश में अब मोबाइल टावर बिना स्थानीय निकायों की अनुमति के नहीं लग सकेंगे। निकाय ही यह देखेंगे कि जिस क्षेत्र में टावर लगाया जाना है वह उसे लगाने के लिए उपयुक्त है या नहीं। मोबाइल टावर के लाइसेंस भी पांच वर्ष के लिए दिया जाएगा, इसके बाद नए सिरे से क्षेत्र का सर्वे कर इसे रिन्यू कर दिया जाएगा। मोबाइल टावर के निर्माण अथवा इस पर जनता की आपत्ति की सुनवाई को राज्य एवं जिला स्तरीय समिति भी बनाई गई है। मोबाइल टावर कंपनियों को भी सुविधा देते हुए इनको अनुमति देने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम बनाया गया है, जिसके तहत आवेदन करने के एक माह पश्चात इन्हें अनुमति दी जा सकेगी।
प्रदेश में समय के साथ कई मोबाइल कंपनियां आई हैं। प्रदेश में संचार व्यवस्था को दुरुस्त करने में भी इनकी अहम भूमिका है। दूरस्थ स्थानों तक संचार की सुविधा पहुंचाने के लिए मोबाइल टावर भी लगाए जाने आवश्यक है। हालांकि, इन टावरों से निकलने वाले रेडिएशन से दुष्प्रभाव की आशंका भी बरकरार रहती है।
राज्य में अभी मोबाइल टावर लगाने को कोई अलग नीति नहीं है। इससे मोबाइल नेटवर्क प्रदाता कंपनियों के साथ ही जनता के सामने भी असमंजस की स्थिति बनी रहती है। अब शासन ने मोबाइल टावर लगाने के लिए विस्तृत गाइडलाइन जारी की है। इसमें मोबाइल टावर कंपनियों को सुविधा देने के साथ ही जनता की परेशानी का भी ध्यान रखा गया है। टावर लगाने के लिए बाकायदा नियम बनाए गए हैं। यह भी स्पष्ट किया गया है कि मोबाइल टावर लगाने से पहले स्थानीय निकाय के बिल्डिंग बायलॉज का पूरा ध्यान रखना होगा। मोबाइल टावर किस स्थान पर लगाया जाना है और वहां की स्थिति क्या है, इसका भी पूरा जिक्र आवेदन पत्र में करना होगा। मौका मुआयना के बाद यह तय होगा कि इसकी अनुमति दी जा सकती है या नहीं। इसके अलावा इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि कंपनियों को किस-किस प्रकार की अनुमति लेनी आवश्यक है और किन बातों का ध्यान रखना होगा।
जनता भी मोबाइल टावर को लेकर अपनी आपत्ति जिला समिति के समक्ष रख सकती है। यहां संतुष्ट न होने पर वह राज्य स्तरीय समिति के सामने भी अपना पक्ष रख सकती है। इसके लिए बाकायदा समितियों का गठन भी कर दिया गया है। सचिव रविनाथ रमन की ओर से इस संबंध में सूचना जारी कर दी गई है। इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि जरूरत पडऩे पर प्रदेश सरकार इसमें परिवर्तन भी कर सकती है।
जिला स्तरीय समिति
अध्यक्ष - जिलाधिकारी
एसएसपी, टेलीकॉम प्रवर्तन एवं नियंत्रण के प्रतिनिधि, नगर निकाय व पंचायत के अधिकारी, जिला परिषद के सीइओ, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य, सीएमओ, पीडब्लूडी के रोड व बिल्डिंग के इंजीनियर, बीएसएनल समेत सभी सभी टेलीकॉम कंपनियों के जिला मुखिया व एडीएम
राज्य स्तरीय समिति
अध्यक्ष- नामांकित अधिकारियों में सबसे वरिष्ठ अधिकारी
सदस्य- सूचना प्रौद्योगिकी, गृह, शहरी विकास, स्वास्थ्य, पीडब्लूडी, राजस्व और आपदा प्रबंधन, वन एवं पर्यावरण के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव अथवा सचिव, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव अथवा सचिव, टेलीकॉम प्रवर्तन एवं नियंत्रण के डिप्टी डायरेक्टर जनरल, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सचिव, बीएसएनएल के राज्य प्रमुख, सूचना प्रौद्योगिकी के अपर सचिव व डायरेक्टर आइटीडीए।
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