मिस इंडिया अनुकृति अब महिलाओं को बना रहीं आत्मनिर्भर, पढ़िए पूरी खबर
मिस एशिया पैसेफिक वर्ल्ड और मिस ग्रैंड इंटरनेशनल में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली मिस इंडिया ग्रैंड इंटरनेशनल अनुकृति गुसाईं पहाड़ की महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही हैं।
देहरादून, हिमांशु जोशी। ख्वाब हैं तो मंजिलें हैं, मंजिलें हैं तो रास्ते हैं, रास्ते हैं तो मुश्किलें हैं, मुश्किलें हैं तो हौसले हैं, हौसले हैं तो विश्वास है कि जीत हमारी है..’ अनाम शायर की यह पंक्तियां मिस एशिया पैसेफिक वर्ल्ड और मिस ग्रैंड इंटरनेशनल में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली मिस इंडिया ग्रैंड इंटरनेशनल अनुकृति गुसाईं पर सटीक बैठती हैं। अनुकृति ने विषम भूगोल वाले उत्तराखंड की रीढ़ कही जाने वाली मातृशक्ति के दुख-दर्द को करीब से न सिर्फ महसूस किया, बल्कि उनके उत्थान को जीवन का ध्येय बना लिया। पिछले एक साल से वह राज्य में महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई, हस्तशिल्प, फैशन डिजाइनिंग का प्रशिक्षण देकर उन्हें हुनरमंद बनाने में जुटी हैं। वह अब तक सात हजार महिलाओं को प्रशिक्षण दे चुकी हैं। अनुकृति कहती हैं कि महिलाएं आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाएं, इसके लिए स्वरोजगार सबसे अहम है।
लैंसडौन जैसे छोटे से शहर से निकली अनुकृति ने दो बार 2014 और 2017 में मिस इंडिया प्रतियोगिता जीती और विदेशों में देश का प्रतिनिधित्व किया। पेशे से इंजीनियर अनुकृति मिस इंडिया का अवार्ड जीतने वाली पहली ऐसी मॉडल हैं, जिसने दो बार विश्व पटल पर भारत को रिप्रेजेंट किया है। इसके बाद अनुकृति को फिल्मों और मॉडलिंग के तमाम ऑफर आए, लेकिन उन्होंने ठान रखी थी पहाड़ की महिलाओं के बीच में ही रहकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है।
बस यहीं से अनुकृति ने अपनी संस्था महिला उत्थान एवं बाल कल्याण संस्थान के माध्यम से पौड़ी, कोटद्वार, लैंसडौन, हरिद्वार, देहरादून और हल्द्वानी में प्रशिक्षण सेंटर बनाए हैं। इन सेंटरों में महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई, हस्तशिल्प, फैशन डिजाइनिंग, ब्यूटीशियन, अचार बनाना, बांस से विभिन्न उत्पाद बनाना, डोर मैट वेस्टीज प्रोडेक्ट, भीमल की चप्पल और लेडीज बैग बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है।
अनुकृति कहती हैं कि मैं पहाड़ से हूं। मैंने पहाड़ की महिलाओं का दर्द देखा है। मैं चाहती हूं कि महिलाएं किसी पर निर्भर न हों। वे आत्मनिर्भर बनें, उन्हें किसी के आगे हाथ न फैलाना पड़ा। यही सोचकर मैने यह सब करने का निर्णय लिया है। लोगों को मुङो काफी सहयोग भी मिला है। बड़ी संख्या में महिलाएं प्रशिक्षण लेने के लिए आ रही हैं। अनुकृति कहती हैं कि अब तक सात हजार महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है, इनमें से कुछ महिलाओं ने भी अपना रोजगार शुरू कर दिया तो समझो हम सफल हो गए।
ऑनलाइन पोर्टल भी शुरू करने की योजना
अनुकृति ने बताया कि हम महिलाओं के द्वारा बनाए गए उत्पादों की बिक्री के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल भी बना रहे हैं। इस पोर्टल के माध्यम से कोई भी इन सामग्रियों को खरीद सकता है। उन्होंने बताया कि संस्था की महिलाएं भीमल की चप्पल भी बना रही हैं। इस संबंध में हमारी कोटद्वार और लैंसडोन के होटल व्यवसायियों से वार्ता चल रही है, उन्होंने इस संबंध में हामी भी भरी है।
प्रशिक्षण के बाद भी देते हैं सपोर्ट
अनुकृति ने बताया कि महिलाओं को प्रशिक्षण देने के लिए उनको बाजार उपलब्ध कराना भी हमारी ही जिम्मेदारी है। ताकि उनकी आय होती रही, क्योंकि मेरा मानना है कि यदि महिलाओं को प्रशिक्षण देने के बाद उन्हें बाजार उपलब्ध नहीं कराया गया तो उनके प्रशिक्षण लेने का कोई फायदा नहीं है। अनुकृति कहती हैं कि प्रशिक्षण लेने के एक साल बाद तक हमारी संस्था महिलाओं के संपर्क में रहती है और हम उनके बनाए उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराते हैं।
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