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उत्तराखंड में मंत्रियों को सीआर लिखने का अधिकार, लेकिन नहीं कर पाते इस्तेमाल; जानिए वजह

मंत्रियों को विभागीय सचिवों की सीआर (गोपनीय चरित्र प्रविष्टि) लिखने का अधिकार तो हासिल है लेकिन मंत्री इसका इस्तेमाल ही नहीं कर पाते। दरअसल मंत्रियों का कहना है कि वे अपने इस अधिकार से वाकिफ हैं पर उन्हें फाइल नहीं भेजी जाती।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sat, 26 Sep 2020 06:00 AM (IST)Updated: Sat, 26 Sep 2020 06:00 AM (IST)
उत्तराखंड में मंत्रियों को सीआर लिखने का अधिकार, लेकिन नहीं कर पाते इस्तेमाल; जानिए वजह
मंत्रियों को सीआर लिखने का अधिकार, लेकिन नहीं कर पाते इस्तेमाल।

देहरादून, विकास धूलिया। उत्तराखंड में मंत्रियों को विभागीय सचिवों की सीआर (गोपनीय चरित्र प्रविष्टि) लिखने का अधिकार तो हासिल है, लेकिन मंत्री इसका इस्तेमाल ही नहीं कर पाते। दरअसल, मंत्रियों का कहना है कि वे अपने इस अधिकार से वाकिफ हैं, मगर शासन से उनके पास सचिवों की सीआर लिखने के लिए फाइल भेजी ही नहीं जाती।

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उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद से ही नौकरशाही की मनमानी के किस्से तो अकसर सुर्खियां बनते रहे हैं, लेकिन अब एक अजग-गजब बात सामने आई है। इन दिनों महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्य और विभागीय अपर सचिव एवं निदेशक वी षणमुगम के बीच का विवाद चर्चा में है। शुक्रवार को पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज राज्य मंत्री रेखा आर्य के पक्ष में आगे आए। उन्होंने बाकायदा मीडिया के समक्ष बयान दिया कि इस तरह की घटनाओं पर तब ही अंकुश लगेगा, जब विभागीय सचिव की सीआर लिखने का अधिकार मंत्री को मिल जाए। बकौल महाराज, उत्तर प्रदेश समेत तमाम राज्यों में इस तरह की व्यवस्था चली आ रही है।

'दैनिक जागरण' ने जब इसकी पड़ताल की तो खासी रोचक जानकारी सामने आई। पता चला कि मंत्रियों को विभागीय सचिवों की सीआर लिखने का अधिकार तो पहले से ही मिला हुआ है। मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि विभागीय मंत्री के पास अपने सचिव की सीआर लिखने का अधिकार उत्तराखंड में भी है। अगर मंत्री सीआर लिखते हैं, तो अंतिम अनुमोदन के लिए संबंधित फाइल को मुख्यमंत्री के पास भेजा जाता है। उन्होंने बताया कि जो विभाग मुख्यमंत्री के पास होते हैं, उनके सचिवों और मुख्य सचिव की सीआर लिखने का अधिकार मुख्यमंत्री के पास होता है।

सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने भी मंत्रियों के इस अधिकार पर हामी भरी, लेकिन जब कुछ अन्य मंत्रियों से बात की गई तो तस्वीर का दूसरा पहलू सामने आया। वन-पर्यावरण और आयुष मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि उन्हें मालूम है कि वे अपने विभाग के सचिव की सीआर लिख सकते हैं, लेकिन उन्हें आज तक शासन से किसी सचिव की फाइल सीआर लिखने के लिए भेजी ही नहीं गई।

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कमोबेश ऐसा ही कुछ कहना है कृषि मंत्री सुबोध उनियाल का। उनियाल के मुताबिक, मंत्रियों को अपने विभागों के सचिवों की सीआर लिखने का अधिकार है, मगर इस परंपरा का निर्वहन नहीं हो रहा है। मुख्य सचिव को चाहिए वह सभी सचिवों की सीआर मंत्रियों को नियमित रूप से भिजवाना सुनिश्चित कराएं। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा एक बार सीआर लिखने के लिए फाइल मांगी गई थी, मगर यह उपलब्ध ही नहीं कराई गई।

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