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मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना में देरी पर मंत्री रेखा आर्य नाराज, मुख्य सचिव को भेजा पत्र

उत्तराखंड में कोरोना वायरस संक्रमण के कारण माता-पिता को खोने वाले बच्चों के संरक्षण के लिए घोषित मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना के क्रियान्वयन में देरी पर महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्य ने नाराजगी जताई है।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Tue, 08 Jun 2021 07:35 AM (IST)Updated: Tue, 08 Jun 2021 07:35 AM (IST)
मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना में देरी पर मंत्री रेखा आर्य नाराज। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, देहरादून। कोरोना संक्रमण के कारण माता-पिता को खोने वाले बच्चों के संरक्षण के लिए घोषित मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना के क्रियान्वयन में देरी पर महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्य ने नाराजगी जताई है। इस संबंध में उन्होंने मुख्य सचिव को पत्र भेजकर योजना के शीघ्र क्रियान्वयन को कहा है। उधर, मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने बताया कि योजना का ड्राफ्ट तैयार है। नौ जून को होने वाली कैबिनेट की बैठक में इसे प्रस्तुत किया जाएगा। कैबिनेट की मंजूरी के बाद प्रदेश में योजना लागू कर दी जाएगी।

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मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने 23 मई को राज्य में मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना की घोषणा की थी। इस योजना के दायरे में उन बच्चों को लिया गया है, जिनके माता-पिता अथवा माता-पिता में से किसी एक की मृत्यु कोरोना संक्रमण से हुई है। साथ ही परिवार के एकमात्र कमाऊ सदस्य की मृत्यु होने पर उसके बच्चों को भी योजना में शामिल किया जाना है। ऐसे बच्चों को 21 साल तक प्रतिमाह तीन हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने के साथ ही उनकी शिक्षा पर आने वाला खर्च सरकार उठाएगी। साथ ही उन्हें रोजगारपरक शिक्षा भी दी जाएगी, ताकि वे खुद के पैरों पर खड़ा हो सकेंगे।

योजना में ऐसे बच्चों को खाद्यान्न भी दिया जाना है। यही नहीं, अनाथ हुए बच्चों की पैतृक संपत्ति को खुर्द-बुर्द होने से बचाने के लिए भी कदम उठाए जाने हैं। दो सप्ताह बाद भी योजना का क्रियान्वयन न होने पर महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास राज्यमंत्री रेखा आर्य ने सोमवार को मुख्य सचिव ओमप्रकाश को पत्र भेजा। पत्र में उन्होंने कहा कि कोविड महामारी में माता-पिता को खोने वाले बच्चों की जिम्मेदारी सरकार ने अपने कंधों पर ली है।

महिला कल्याण एवं बाल विकास विभाग ने इस योजना का प्रारूप तैयार किया है। हालांकि, योजना में शिक्षा, खाद्य, राजस्व विभागों को सम्मिलित किया गया है, ताकि उनसे अपेक्षित सहयोग प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा कि योजना के क्रियान्वयन में विलंब से अनाथ बच्चों के हित प्रभावित हो रहे हैं। इस स्थिति को कतई संतोषजनक नहीं कहा जा सकता।

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