लीड--लखवाड़ बांध परियोजना निर्माण को सहमति
करीब साढ़े तीन दशक से यमुना नदी पर प्रस्तावित तीन सौ मेगावाट क्षमता की लखवाड़ बांध परियोजना के निर्माण कार्य को अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व वीएस बुदियाल की अध्यक्षता में जनसुनवाई हुई।
संवाद सूत्र, कालसी : करीब साढ़े तीन दशक से यमुना नदी पर प्रस्तावित तीन सौ मेगावाट क्षमता की लखवाड़ बांध परियोजना के निर्माण कार्य को अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व वीएस बुदियाल की अध्यक्षता में जनसुनवाई हुई। इस दौरान स्थानीय ग्रामीणों व बांध प्रभावितों ने परियोजना का निर्माण जल्द शुरू करने पर सहमति जताई। उन्होंने कहा कि लखवाड़ बांध बनने से जनजाति क्षेत्र जौनसार-बावर व टिहरी गढ़वाल के सीमांत ग्रामीण इलाकों का विकास तेजी से होगा। लखवाड़ बांध विकास समिति ने सरकार व सचिव प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड उत्तराखंड से बांध प्रभावितों की प्रमुख समस्याएं सुलझाने की मांग की।
सरकार के निर्देशानुसार बुधवार को लखवाड़ में हुई जनसुनवाई में बांध प्रभावितों व स्थानीय ग्रामीणों से परियोजना को लेकर सुझाव मांगे गए। तीन सौ मेगावाट बहुउद्देशीय लखवाड़ बांध विकास समिति के अध्यक्ष बचन सिंह पुंडीर, महासचिव जितेंद्र सिंह चौहान, ग्रामप्रधान रुचि चौहान, संदीप चौहान, शंकरदत्त उनियाल, गंभीर सिंह चौहान, राजेंद्र चौहान व नरेश चौहान आदि ने कहा कि वर्ष 1986 से लंबित यमुना नदी पर प्रस्तावित लखवाड़ बांध परियोजना का निर्माण अधर में लटकने से क्षेत्रीय जनता में निराशा है। समिति के महासचिव जितेंद्र चौहान ने कहा कि समान भौगोलिक परिस्थिति वाले पड़ोसी राज्य हिमाचल की अपेक्षा उत्तराखंड राज्य पावर प्रोजेक्ट सेक्टर में काफी पीछे है। कहा कि लखवाड़ बांध परियोजना निर्माण से देहरादून जनपद के जनजाति क्षेत्र जौनसार-बावर व टिहरी जनपद के सीमांत ग्रामीण इलाकों का विकास तेजी से होगा। पहाड़ में क्षेत्र विकास की इस बहुउद्देशीय परियोजना के बनने से स्थानीय नौजवानों को घर के पास रोजगार के अवसर मिलेंगे। साथ ही पहाड़ से जारी पलायन पर भी अंकुश लगेगा। परियोजना के कार्य में देरी होने से उसकी लागत कई गुना ज्यादा बढ़ जाती है। समय रहते परियोजना का कार्य पूरा होने से देश-प्रदेश में ऊर्जा की कमी दूर होगी। समिति के महासचिव जितेंद्र चौहान ने कहा कि पूर्व में लखवाड़ बांध परियोजना निर्माण को देहरादून जनपद के 13 गांव व टिहरी जनपद के 22 गांव समेत कुल 35 गांवों के प्रभावित परिवारों की भूमि व परिसंपत्तियों का अधिग्रहण किया गया था। लेकिन प्रभावितों की शेष बची भूमि, मकान, घराट, दुकानें, खलियान व बाग-बगीचे का मुआवजा अभी तक नहीं दिया गया है। स्थानीय ग्रामीणों व बांध प्रभावितों ने लंबित मुआवजे का भुगतान सरकार की नई पुर्नवास नीति वर्ष 2013-14 के आधार पर ग्रामीण इलाकों में सर्किल रेट का चार गुना ज्यादा करने की मांग की। साथ ही प्रत्येक बांध प्रभावित परिवार से एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने व एकमुश्त व्यवस्था के तहत बेरोजगारी भत्ता देने की मांग की। ग्रामीणों ने तीन दशक से बंद पड़े जुड्डो से मसूरी बैंड मार्ग को जल्द यातायात के लिए खोलने की मांग की। समिति ने परियोजना कार्य में स्थानीय ठेकेदारों को एकल टेंडर व्यवस्था के तहत पचास लाख तक कार्य देने की मांग की। परियोजना निर्माण से प्रभावित ग्रामीण परिवारों को विकासनगर के पास भूमि उपलब्ध कराने, विस्थापित करने व तीन सौ यूनिट बिजली प्रतिमाह मुफ्त देने की मांग की। इस मौके पर एसडीएम कालसी संगीता कनौजिया, भोपाल सिंह चौहान, पुनीत चौहान, प्रवीन चौहान, सोहनलाल, प्रतिमा देवी, पुष्पा तोमर, रीमा, भजन सिंह तोमर, विजय समेत प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी आदि मौजूद रहे।