दंत चिकित्सालयों के मेडिकल वेस्ट निस्तारण की दरें तय, जानिए शुल्क
उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की मध्यस्थता में दंत चिकित्सालयों से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए दरें तय कर दी गई हैं।
देहरादून, जेएनएन। दंत चिकित्सालयों के बायोमेडिकल वेस्ट (जैव अपशिष्ट) के निस्तारण को लेकर चला आ रहा गतिरोध अब समाप्त हो गया है। उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की मध्यस्थता में दंत चिकित्सालयों से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए दरें तय कर दी गई हैं। अब सभी दंत चिकित्सालयों को अनिवार्य रूप से अपना मेडिकल कचरा निस्तारण के लिए उपलब्ध कराना होगा। शुल्क की बात करें तो यह प्रतिष्ठान की क्षमता के आधार पर निर्धारित किया गया है। एक चेयर वाले अस्पताल को प्रति माह 750 रुपये देने होंगे। जबकि एक से ज्यादा चेयर वाले चिकित्सा प्रतिष्ठानों को क्षमता के आधार पर हर माह प्रति चेयर 300 से 500 रुपये तक का भुगतना करना होगा।
शनिवार को शुल्क निर्धारण के लिए इंडियन डेंटल एसोसिएशन और मेडिकल पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी की बैठक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) के सदस्य सचिव एसपी सुबुद्धि की अध्यक्षता में आयोजित की गई। जिसमें शुल्क निर्धारण को लेकर लंबी कसरत की गई। काफी देर तक डेंटल एसोसिएशन और पॉल्यूशन कंट्रोल सोसाइटी के पदाधिकारियों के बीच दरों को लेकर खींचतान चलती रही। आखिरकार चिकित्सालयों को चार वर्गों में बांटकर शुल्क निर्धारित कर दिए गए। साथ ही वार्षिक पंजीकरण शुल्क 250 रुपये पर भी अंतिम मुहर लगा दी गई। बैठक में बोर्ड के पर्यावरण अभियंता अंकुर कंसल, इंडियन डेंटल एसोसिएशन के प्रतिनिधि डॉ. प्रशांत सिंह, डॉ. कृष्णा प्रकाश, डॉ. अभिनय पुरी, डॉ. विश्वजीत वालिया, पॉल्यूशन कंट्रोल सोसायटी के प्रतिनिधि डॉ. विशाल सिंह, डॉ. सृष्टि शर्मा आदि मौजूद रहे।
हर वर्ष 10 फीसद बढ़ेंगे शुल्क
बैठक में इस पर भी सहमति बनी कि शुल्कों में प्रति वर्ष 10 फीसद का इजाफा किया जाएगा। यह बढ़ोत्तरी एक अप्रैल 2020 से प्रभावी मानी जाएगी।
बायोमेडिकल वेस्ट निस्तारण के ये होंगे शुल्क
01 चेयर का चिकित्सालय, 750 रुपये प्रतिमाह
02 से 10 चेयर वाला चिकित्सालय, 500 रुपये प्रति चेयर
11 से 100 चेयर वाला चिकित्सालय, 400 रुपये प्रति चेयर
101 से अधिक चेयर वाला चिकित्सालय, 300 रुपये प्रति चेयर
65 फीसद दंत चिकित्सालय नहीं देते कचरा
किसी भी बायोमेडिकल वेस्ट का निस्तारण सामान्य तरीके से नहीं किया जा सकता। न ही इस कचरे को सामान्य कचरे के साथ मिलाया जा सकता है। इसके बाद भी प्रदेश में 65 फीसद दंत चिकित्सालयों का कचरा कहां जा रहा है, किसी को पता नहीं। इसकी वजह यह है कि इन चिकित्सा प्रतिष्ठानों ने कचरे के निस्तारण के लिए मेडिकल पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी में पंजीकरण ही नहीं कराया है।
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डेंटल एसोसिएशन अब तक तमाम चिकित्सालयों के पंजीकरण न कराने के पीछे यह तर्क देती रही कि पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए प्रति चेयर 1200 रुपये वसूल करती है और पंजीकरण के लिए पांच हजार रुपये मांगे जाते हैं। हालांकि, अब न सिर्फ दरें अपेक्षाकृत काफी कम करके तय की गई हैैं, बल्कि बोर्ड ने भी अपना अनुमति शुल्क 80 फीसद तक कम कर दिया है।
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प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव एसपी सुबुद्धि का कहना है कि अब दंत चिकित्सालयों का किसी भी तरह का बहाना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रदेश में करीब 2800 दंत चिकित्सा प्रतिष्ठान हैैं और अभी तक सिर्फ 1000 प्रतिष्ठान ही अपना कचरा सुरक्षित निस्तारण के लिए भेज रहे हैं। अब सभी के लिए पंजीकरण कराना जरूरी है। जो भी प्रतिष्ठान अब पंजीकरण नहीं कराएगा, उसके खिलाफ विधिक कार्रवाई की जाएगी।
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