उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड बखूबी निभा रहा सामाजिक उत्तरदायित्व
आपदा के वक्त जल विद्युत निगम अपने खाद्यान्न के भंडार जनसामान्य के लिए खोलने के साथ ही राहत कार्यों में इमदाद देते थे।
देश में सामाजिक उत्तरदायित्व की परंपरा बहुत पुरानी है। अपनी संपदा अथवा लाभांश में से समाज हित के लिए कुछ हिस्सा देने की अवधारणा सदियों से चली आ रही है। प्राचीन भारत में भी व्यवसायी समाजिक कार्यों में सक्रिय भागीदारी निभाते थे। आपदा के वक्त वे अपने खाद्यान्न के भंडार जनसामान्य के लिए खोलने के साथ ही राहत कार्यों में इमदाद देते थे। यही नहीं, धर्मशाला, प्याऊ, कुएं, विद्यालय भवन, घाटों का निर्माण जैसे कार्य सामाजिक उत्तरदायित्व का ही हिस्सा थे। आजादी के बाद भी यह सिलसिला बदस्तूर चला आ रहा है और देश में तमाम कंपनियां, निगम, फर्म और बड़े व्यावसायिक प्रतिष्ठान अपने नैगमिक सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) को बखूबी निभाते आ रहे हैं।
उत्तराखंड का सूरतेहाल भी इससे जुदा नहीं है। यह कहना है उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) के प्रबंध निदेशक एसएन वर्मा का। वह कहते हैं कि निगम अपनी इस जिम्मेदारी को बखूबी समझता है और इस क्रम में कई प्रोजेक्ट संचालित किए जा रहे हैं।
शिक्षा और स्वास्थ्य पर है फोकस
उत्तराखंड में एक अप्रैल 2001 को अस्तित्व में आया यूजेवीएन वर्तमान में 13 परियोजनाएं संचालित कर रहा है, जबकि सात परियोजनाओं पर काम चल रहा है। यह निगम सिर्फ बिजली ही पैदा नहीं कर रहा, बल्कि लाभांश में से कुछ राशि सामाजिक कार्यों पर भी खर्च कर रहा है। निगम के एमडी बताते हैं कि निगम प्रतिवर्ष अपने लाभांश का दो फीसद हिस्सा सीएसआर के तहत राज्य में खर्च कर रहा है।
इसमें मुख्य फोकस शिक्षा और स्वास्थ्य पर केंद्रित है। इसके तहत जिन क्षेत्रों में निगम के प्रोजेक्ट संचालित है, उनके आसपास के गांवों में गरीब बच्चों की शिक्षा-दीक्षा का खर्च उठाने के साथ ही विद्यालय भवनों के निर्माण में भागीदारी, बालिकाओं को निश्शुल्क कंप्यूटर ट्रेनिंग के साथ ही जगह-जगह बड़े अस्पतालों से टाइअप कर स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया जाता है।
स्वच्छता जागरूकता की भी पहल
वह बताते हैं कि यूजेवीएन लेडीज वेलफेयर एसोसिएशन के माध्यम से भी शिक्षा की अलख जगाने के अलावा स्वच्छता जागरूकता को भी पहल की गई है। इस कड़ी लोगों को न सिर्फ स्वच्छता के महत्व से अवगत कराया जाता है, बल्कि कई जगह सफाई अभियान भी चलाए गए। यही नहीं, गरीबों को कंबल, वस्त्र वितरण के कार्यक्रम भी समय-समय पर संचालित किए जा रहे हैं।
दून के दो स्कूल भी सीएसआर में
यूजेवीएन के एमडी के अनुसार देहरादून के दो स्कूलों को भी निगम ने सीएसआर के तहत लिया गया है। राजपुर रोड स्थित सरकारी आवासीय विद्यालय में रहने वाले दिव्यांग विद्यार्थियों को स्कूल ड्रेस, बिस्तर के साथ ही कुछ को व्हीलचेयर भी उपलब्ध कराई गई हैं। यही नहीं, इस विद्यालय के भवन निर्माण में भी यूजेवीएन ने मदद मुहैया कराने का निश्चय किया है। इसके अलावा चकराता रोड पर किशननगर चौक के नजदीक स्थित एक सरकारी स्कूल को यूजेवीएन लेडीज वेलफेयर एसोसिएशन के माध्यम से संसाधन मुहैया कराए जा रहे हैं। निकट भविष्य में अन्य सरकारी स्कूलों में भी सीएसआर के तहत विभिन्न कार्य कराने की योजना है।