देहरादून राउंडटेबल कॉन्फ्रेंसः सुरक्षा की चुनौती से निबटने को जन और तंत्र की भागीदारी जरूरी
हालात सुरक्षा को लेकर भी बिगड़ रहे हैं। जिस दून शहर में एक छोटे से अपराध को लेकर वातावरण में हफ्तों तक माहौल अशांत दिखाई पड़ता था, वहां अपराधों का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है।
शांत फिजां और बेहतरीन आबोहवा की पहचान रखने वाले देहरादून में अब तमाम तरह की चुनौतियां खड़ी हो रही हैं। शहरीकरण की दौड़ में हम तेजी से कदम जरूर बढ़ा रहे हैं, लेकिन उतनी ही त्वरित गति से दूसरी समस्याएं भी साथ जुड़ती चली जा रही हैं। अनियोजित विकास की दौड़ में नीति नियंता भ्रमित से नजर आ रहे हैं। बात शहर को सुव्यवस्थित करने की हो या फिर आमजन की सुरक्षा को लेकर, हर तरफ सवाल खड़े हैं और जिम्मेदारों के पास इसका न तो कोई दूरगामी हल दिखाई पड़ रहा और न दृढ़ इच्छाशक्ति ही।
हालात सुरक्षा को लेकर भी बिगड़ रहे हैं। जिस दून शहर में एक छोटे से अपराध को लेकर वातावरण में हफ्तों तक माहौल अशांत दिखाई पड़ता था, वहां अपराधों का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। महिलाएं घर की देहरी से लेकर बाहर तक खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हैं। स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है। व्यापारी बेधड़क अपना कारोबार करने से हिचकिचा रहे हैं।
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यही नहीं, सड़क पर निकलने वाला शख्स सुरक्षित घर पहुंच जाए, इसकी कोई गारंटी नहीं। ऊपर से साइबर अपराधों ने नई मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। कुल मिलाकर दून की तस्वीर चिंता की लकीरें खींच रही है। ऐसा नहीं कि इनसे पार पाना मुश्किल है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि समुदाय के बीच तंत्र को जगाने और समुदाय की खुद की जिम्मेदारी तय होनी बाकी है।
'माय सिटी माय प्राइड' महाभियान के तहत शनिवार को दैनिक जागरण कार्यालय में आयोजित राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस (आरटीसी) में इस पर समाज के विभिन्न तबकों और सुरक्षा से सीधे तौर पर जुड़े पुलिस महकमे के आला अफसरों के बीच मंथन हुआ तो कुछ इस तरह की बातें निचोड़ के रूप में सामने आईं।
कानून के हाथ लंबे हुए हैं, काफी कुछ करना बाकी
आरटीसी में अपर पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा कि दून के हालात देश के तमाम शहरों से बेहतर हैं। यहां लड़कियां देर रात तक स्वछंद होकर घूम सकती हैं। पुलिस की क्षमता में इजाफा होने से अपराध पर अंकुश लगा है। हालांकि, राज्य गठन से पहले दून की जो स्थिति थी, अब हालात उतने बेहतर नहीं हैं। दूसरी तरफ भूमाफिया और साइबर क्राइम ने यहां अपनी जड़ें जरूर मजबूत की है।
दून में अपराध बढ़ेंगे, करनी होगी पूरी तैयारी
पुलिस उपमहानिरीक्षक सीबीसीआईडी पुष्पक ज्योति ने कहा कि दून में अपराध में इजाफा होने का अंदेशा है। क्योंकि दुष्कर्म के मामलों को ही देखें तो रोजाना सात-आठ तक सामने आ जा रहे हैं। हत्या, लूट आदि की वारदात भी बढ़ रही हैं। ऐसे में पुलिस, प्रशासन और समाज को साथ मिलकर अपराध के खिलाफ एक प्रभावी माहौल बनाने की जरूरत है।
महिला सुरक्षा में जमीन-आसमान का अंतर
सहकारिता विभाग में डिप्टी रजिस्ट्रार एवं राज्य महिला आयोग की पूर्व सदस्य सचिव रमिंद्री मंद्रवाल ने कहा कि राज्य गठन के दौरान एक माह में चार के करीब ही महिला हिंसा के मामले सामने आते थे, जबकि आज यह संख्या 1500 को पार कर गई है। महिलाओं के खिलाफ हर तरह के अपराध तेजी से बढ़े हैं। यह अपराध समाज में बढ़ी विकृतियों की देन हैं। इन पर अंकुश लगाने के लिए स्कूल स्तर से ही जेंडर सेंसेटाइजेशन पर बल दिए जाने की जरूरत है।
30-40 फीसद अपराध महिलाओं के खिलाफ
साइबर एक्सपर्ट अंकुर चंद्रकांत ने कहा कि अपराध के 30-40 फीसद तक प्रकरण महिलाओं के खिलाफ अपराध के हैं। इसमें वह प्रकरण भी हैं, जो ऑनलाइन अभद्र टिप्पणी के रूप में होते हैं। विभिन्न पोर्न साइट भी अपराध को बढ़ावा देने का काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि यदि लोग सामूहिक रूप से ऐसी साइट के खिलाफ एकजुट हो जाएं तो इन पर प्रतिबंध लगाने की व्यवस्था है।
अकेले रहने वाले बुजुर्गों में बढ़ी असुरक्षा की भावना
दून में बड़ी संख्या में निवास करने वाले बुजुर्गों में भी असुरक्षा की भावना बढ़ रही है और वह घर से बाहर निकलने में कतराते हैं। सिविल डिफेंस के उप प्रभागीय वार्डन योगेश अग्रवाल ने अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए यह बात कही। उन्होंने उदाहरण रखते हुए यह भी कहा कि किस तरह असामाजिक तत्व और माफिया ऐसे लोगों की संपत्ति हड़पने के लिए भय दिखाते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि पुलिस अपने क्षेत्र के हिसाब से ऐसे लोगों से नियमित संवाद करे तो माहौल को बदला जा सकता है।
पुलिस अब नहीं करती परस्पर संवाद
सिविल डिफेंस के उप प्रभागीय वार्डन की बात से इत्तेफाक रखते हुए भारतीय पेट्रोलियम संस्थान के सेवानिवृत्त वैज्ञानिक हरबंस सिंह ने कहा कि पुलिस वरिष्ठ नागरिकों के साथ अब परस्पर संवाद नहीं करती है। इससे खासकर बुजुर्ग लोगों की सुरक्षा का खतरा बढ़ गया है। यह स्थिति तब है, जब हर थाना-चौकीवार अकेले रह रहे बुजुर्ग लोगों की सूची होती है।
सीसीटीवी की क्षमता बढ़ाएं, मगर यह विकल्प नहीं
एथिकल हैकर और साइबर एक्सपर्ट आदित्य जोशी ने कहा कि शहर में लगाए जा रहे सीसीटीवी कैमरों की क्षमता बढ़ाने की जरूरत है, ताकि अपराधियों की पहचान की जा सके। हालांकि, यह विकल्प नहीं है। पुलिस को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि कैसे वारदात पर अंकुश लगाया जा सके।
सामाजिक जागरूकता बढ़ाने की जरूरत
दून रेजीडेंट्स वेलफेयर फ्रंट के अध्यक्ष डॉ. महेश भंडारी ने कहा कि बढ़ते अपराधों पर तभी अंकुश लगाया जा सकता है, जब समाज के बीच भी जागरूकता बढ़े। अपराध पर अंकुश लगाने की अकेली जिम्मेदारी पुलिस पर नहीं डाली जा सकती।
बढ़ती आबादी के मुताबिक योजनाएं नहीं
लोनिवि के अधिशासी अभियंता देवेंद्र शाह ने कहा कि दून में सड़क सुरक्षा और जाम से निजात के लिए जो भी योजनाएं बन रही हैं, वह बढ़ती आबादी के लिए नाकाफी साबित हो रही हैं। जाम से निजात दिलाने की ही बात करें तो दिनोंदिन वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है, लेकिन उसके अनुसार पार्किंग की व्यवस्था नहीं की जा रही। दून की क्षमता के हिसाब से नए सिरे से प्लानिंग करने की जरूरत है।
विक्रमों को बाहर करने के 4.5 करोड़ लौटाए
सड़क व परिवहन मामलों के जानकार अजय गोयल ने कहा कि जाम की समस्या को दूर करने के लिए सरकार अपेक्षित कदम ही नहीं उठा पाई है। अब तक सड़कों का वाजिब सर्वे भी नहीं हुआ है कि यहां किस तरह के यातायात की जरूरत है। कुछ साल पहले केंद्र से विक्रमों को शहर से बाहर करने के लिए 4.5 करोड़ रुपये मिले थे। सरकार ने यह राशि यह कहते हुए ज्यों की त्यों लौटा दी कि उनके पास कोई योजना नहीं है।
पैनलिस्ट की राय
दुष्कर्म के उन मामलों के लिए कानून में संशोधन किया जाना जरूरी है, जिसमें यह बात सामने आती है कि किसी महिला या युवती ने लंबे संबंध के बाद दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया है। इसके लिए सामाजिक जागरूकता की भी जरूरत है।
- अशोक कुमार, अपर पुलिस महानिदेशक (उत्तराखंड)
स्कूल से बच्चों को लाने के लिए अभिभावक रोजाना अपने बच्चों को एक पास कोड जरूर दें। थोड़ी सी जागरूकता अपनाकर लोग अपने बच्चों की सुरक्षा पुख्ता कर सकते हैं।
- पुष्पक ज्योति, डीआईजी (सीबीसीआइडी)
अब समय आ गया है कि स्कूली स्तर से लड़कों की काउंसिलिंग कराई जाए। इसके अलावा उन्हें नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाया जाना भी जरूरी है। यदि यह कदम उठाए जाएं तो जाने-अनजाने अपराध की घटनाओं पर अंकुश लग जाएगा।
- रमिंद्री मंद्रवाल, डिप्टी रजिस्ट्रार सहकारिता विभाग एवं पूर्व सदस्य सचिव राज्य महिला आयोग
जो भी ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए जा रहे हैं, उनमें सुधार के प्रयास होने चाहिए। इसके अलावा शहर में निर्धारित स्थानों पर फ्लाईओवर बनाए जाएं और रिंग रोड की परिकल्पना को भी साकार करने का समय आ गया है।
- देवेंद्र शाह, अधिशासी अभियंता, लोनिवि (मुख्यालय)
पुलिस यदि प्रशासन के साथ मिलकर नागरिकों से परस्पर संवाद कायम करे तो न सिर्फ इससे असुरक्षा के कारणों का पता चल पाएगा, बल्कि उसका प्रभावी समाधान भी निकल सकेगा।
- योगेश अग्रवाल, उप प्रभागीय वार्डन (सिविल डिफेंस)
विशेषज्ञों की राय
दून को उसका सुकून लौटाने के लिए सत्यापन अभियान पुख्ता बनाया जाए। खासकर यहां देशभर के छात्र पढ़ने आ रहे हैं। शिक्षण संस्थान यदि सहयोग करें तो वह छात्रों का अपने स्तर पर सत्यापन करा सकते हैं।
- डॉ. महेश भंडारी, अध्यक्ष (दून रेजीडेंट्स वेलफेयर फ्रंट)
यातायात सुरक्षा के लिए सड़कों का नए सिरे से सर्वे कराए जाने की जरूरत है। इस दिशा में सरकार तमाम योजनाओं पर काम कर रही है। सही सर्वे से शहर की क्षमता व जरूरत के हिसाब से बेहतरी के कार्य हो पाएंगे।
- अजय गोयल, सड़क व परिवहन मामलों के जानकार
छोटी उम्र से ही बच्चों को साइबर सुरक्षा के प्रति जागरुक करने की जरूरत है। उनकी संस्था इस तरह के विभिन्न कोर्स करा रही है। यदि सरकार साथ दे थे प्रति बच्चा 500 रुपये का खर्च आएगा, जिसमें 250 रुपये संस्था वहन करेगी।
- अंकुर चंद्रकांत, साइबर एक्सपर्ट
इंटरनेट का प्रयोग नियंत्रित करने की जरूरत है। खासकर बात जब छोटे बच्चों की हो तो अभिभावकों को अधिक सतर्क रहकर उन्हें इंटरनेटयुक्त मोबाइल फोन थमाएं। इसके अलावा साइबर ठगों से बचाव के लिए हर वर्ग को जागरुक होने की जरूरत है।
- आदित्य जोशी, एथिकल हैकर और साइबर एक्सपर्ट
समाज में खुलापन होना जरूरी है। हालांकि यह खुलापन उसी दायरे में स्वीकार्य होना चाहिए, जिसे समाज के सभी वर्ग के लोग सहज रूप से स्वीकार कर सकें। खासकर युवा पीढ़ी को अपने संस्कारों का ख्याल रखने की जरूरत है।
- हरबंस सिंह, रिटायर्ड साइंटिस्ट (भारतीय पेट्रोलियम संस्थान)
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