दूर संचार की कमी से जूझ रहा मसराड़ गांव
संवाद सूत्र, कालसी: देश में भले ही डिजिटल भारत का नारा बुलंद हो रहा हो, लेकिन उत्तराखंड में कई गंाव
संवाद सूत्र, कालसी: देश में भले ही डिजिटल भारत का नारा बुलंद हो रहा हो, लेकिन उत्तराखंड में कई गंाव ऐसे भी है जहां संचार सुविधा से लोग महरुम है। जौनसार-बावर परगने में अब भी एक बड़ी आबादी संचार क्रांति से अछूती है। ज्यादातर कस्बों में मोबाइल नेटवर्क पहुंचने के बावजूद कई पहाड़ी गांव ऐसे भी है जहां इसकी पहुंच नहीं है।
कालसी ब्लाक का पांच सौ की आबादी वाला मसराड़ गांव अभी तक संचार नेटवर्क से नही जुड़ पाया है। ग्रामीणों को अपनो से फोन पर बात करने के लिए दस किमी की दुरी तय कर साहिया आना पड़ रहा है। कालसी तहसील मुख्यालय से तीस किमी की दूरी पर बसा मसराड़ गांव में करीब पचास परिवारों के पांच सौ की लोग रहते है। आबादी वाले इस गांव की एक खासियत है कि यहां अभी तक पलायन शुरु नहीं हुआ है। गांव के लोग खेती कर परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं। जबकि कुछ युवा साहिया जैसे ग्रामीण बाजार में खुद के लिए आजीविका के साधन जुटाते रहते हैं। लेकिन संचार सुविधा नहीं होने से ग्रामीण बाहरी दुनिया से नहीं जुड़ पा रहे हैं। डीएवी पीजी कॉलेज में पढ़ने वाले गांव के रघुवीर ¨सह चौहान, जयपाल चौहान, जसवीर, सुंदर चौहान ने बताया कि प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की घोषणा के बाद गांव में संचार सुविधा विकसित होने की उम्मीद जगी थी। लेकिन लंबा अरसा बीत जाने के बावजूद संचार सुविधा विकसित नही हो पाई है। संचार सुविधा नहीं होने से ग्रामीणों को कई महत्वपूर्ण योजनाओं की जानकारी नही मिल पाती है। इतना ही नहीं संचार सुविधा नहीं होने से ग्रामीणों को कृषि के उन्नत तकनीक की जानकारी भी नहीं मिलती है जिससे गांव में अभी भी परंपरागत खेती ही की जा रही है। उधर, एसडीएम कालसी बीके तिवारी ने बताया कि तहसील क्षेत्र के संचार सुविधा से विहीन गांवों की सूची शासन को सौंपी गई है। इस ओर शीघ्र कार्यवाही होने की उम्मीद है।