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पढ़ाई से लेकर खेल में हमेशा आगे रहते थे शहीद मेजर चित्रेश, जानिए उनकी जिंदगी से जुड़े पहलू

दून के लाडले मेजर चित्रेश की शहादत पर परिजनों के साथ सभी गमजदा हैं। गंभीर, सरल, सौम्य स्वभाव चित्रेश की पहचान थी। पढ़ाई से लेकर खेल में भी हमेशा आगे रहते थे।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 18 Feb 2019 09:56 AM (IST)Updated: Mon, 18 Feb 2019 09:56 AM (IST)
पढ़ाई से लेकर खेल में हमेशा आगे रहते थे शहीद मेजर चित्रेश, जानिए उनकी जिंदगी से जुड़े पहलू
पढ़ाई से लेकर खेल में हमेशा आगे रहते थे शहीद मेजर चित्रेश, जानिए उनकी जिंदगी से जुड़े पहलू

देहरादून, जेएनएन। दून के लाडले मेजर चित्रेश की शहादत पर परिजनों के साथ सभी  गमजदा हैं। मेजर चित्रेश के घर पहुंचे स्कूलिंग के दोस्तों ने पुरानी यादें ताजा कर कहा कि गंभीर, सरल, सौम्य स्वभाव चित्रेश की पहचान थी। पढ़ाई से लेकर खेल में भी हमेशा आगे रहते थे। 15 दिसंबर को सेंट जोजफ्स की एल्युमिनाई मीट में हर दोस्त से मिले और शादी में जरूर शामिल होने का न्योता दिया।

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मूल रूप से पिपली गांव, रानीखेत (अल्‍मोड़ा) के रहने वाले एसएस बिष्ट पुलिस इंस्पेक्टर पद से सेवानिवृत्त हुए हैं और वर्तमान में नेहरू कॉलोनी में रहते हैं। उनका एक बेटा नीरज यूके में इंजीनियर है, जबकि चित्रेश 2010 में एनडीए टेक्निकल से सेना में भर्ती हुए थे। शुरुआती एक साल आइएमए में ट्रेनिंग के बाद तीन साल कॉलेज ऑफ मिलिट्री इंजीनियरिंग पुणे से बीटेक किया। इसके बाद दोबारा कमिशनिंग के लिए आइएमए आए और सेना की इंजीनियरिंग कोर का हिस्सा बने। उन्हें 21 जीआर इंजीनियरिंग कोर में तैनाती मिली। कैप्टन से मेजर पद पर प्रमोशन पाने के बाद चित्रेश इन दिनों राजौरी जिले के नौशेरा के झंगड़ सेक्टर में एलओसी पर तैनात थे। 

यहां शनिवार को पाकिस्तान की बार्डर एक्शन टीम (बैट) की ओर से बिछाई गई आइईडी को डिफ्यूज करते समय हुए विस्फोट में मेजर चित्रेश बिष्ट शहीद हो गए। उनके शहीद होने की सूचना जैसे ही उनके घर पहुंची, घर में कोहराम मच गया। मेजर चित्रेश की दून में सात मार्च को शादी होनी थी। इसके लिए सभी जगह कार्ड बंट गए थे। चित्रेश की शहादत की सूचना मिलते ही हर कोई उनके घर की तरफ दौड़ा पड़ा। घर में सांत्वना देने वालों का जमावड़ा लग गया। घटना से हर कोई स्तब्ध था। आंखों में आंसू और चेहरे पर गम से हर कोई दुश्मनों को कोसता रहा। 

आइईडी डिफ्यूज में माहिर थे चित्रेश 

मेजर चित्रेश ने इंजीनियरिंग करने के बाद कई मेडल अपने नाम किए थे। यही कारण था कि वह हमेशा तकनीकी के रूप में दूसरे अफसरों से आगे रहते थे। महज सात साल की नौकरी में मेजर चित्रेश ने 30 से ज्यादा आइईडी को डिफ्यूज किए थे। शनिवार को भी वह चार आइईडी डिफ्यूज करने में सफल रहे थे। मगर, पांचवें आइईडी में ब्लास्ट होते ही वह शहीद हो गए।

अल्फा अवार्ड से हुए थे सम्मानित  

हाल ही में मऊ में हुए इंजीनियरिंग प्रतिस्पर्धा में मेजर चित्रेश को इंजीनियरिंग की सबसे बड़ी उपाधि अल्फा अवार्ड से नवाजे गए थे। यह अवार्ड 400 अफसरों में से सिर्फ नौ अफसरों को मिला था। उनमें मेजर चित्रेश का नाम भी शामिल थे।

पालने में दिख गए थे पूत के पांव

समय से पहले यानि सात माह में चित्रेश ने जन्म लिया। इस पर परिवार में चिंता रही, लेकिन धीरे-धीरे सब ठीक हो गया। शरीर से कमजोर होने के बावजूद चित्रेश ने 10 माह की उम्र में चलना शुरू कर दिया। खेल, पढ़ाई और अनुशासन चित्रेश की रग-रग में बसा था। यही कारण है कि चित्रेश परिवार से लेकर दोस्तों के दिल में खास जगह बना चुके थे।

अफसर बनने पर भी थी सादगी

मेजर चित्रेश बिष्ट सेना में अफसर बनने के बाद भी सादगी के साथ रहते थे। दोस्त भी दून के गिने-चुने स्कॉलर। स्कूलिंग से लेकर नौकरी तक बिना माता-पिता की अनुमति के कहीं नहीं जाना। कपड़े पहनने से लेकर व्यवहार भी पूरी तरह से सादगीभरा। पिता बिष्ट ने कहा कि कोतवाली में तैनाती के दौरान जब पुलिस सिपाही उनका खाने का टिफिन लेने आते तो चित्रेश मना कर देते और स्वयं कोतवाली तक पिता का टिफिन पहुंचाते थे।

कार चलाने का था शौक

मेजर चित्रेश को सिर्फ कार चलाने का शौक था। अपने लिए एसयूवी कार खरीदी थी। कार से खूब घूमे और परिजनों को भी घुमाया। ड्यूटी पर आते-जाते वक्त स्वयं ही कार ड्राइव करते थे। पिता एसएस बिष्ट ने 30 साल से ज्यादा पुलिस सेवा की। मगर, कार चलानी नहीं आई। पिता से कहा कि कार चलाओ। बेटे के अनुरोध पर पिता ने कार चलानी कुछ समय पहले ही सीखी।

शहीद चित्रेश का प्रोफाइल

  • नाम-चित्रेश बिष्ट
  • पिता-रिटायर्ड इंस्पेक्टर एसएस बिष्ट
  • माता-रेखा बिष्ट
  • वर्तमान पता-नेहरू कॉलोनी, देहरादून
  • मूल गांव-पिपली, रानीखेत अल्मोड़ा
  • भाई- नीरज बिष्ट, यूके में है सेटल
  • स्कूली शिक्षा: 2006 में देहरादून के सेंट जोजेफ्स एकेडमी से 12वीं पास।
  • उच्च शिक्षा: सीएमए पुणो से इंजीनियरिंग और आइएमए देहरादून से जून-2010 में पासआउट।
  • नियुक्ति: सेना में इंजीनियर कोर में लेफ्टिनेंट पद पर नियुक्त हुए और वर्तमान में मेजर थे।
  • वैवाहिक स्थिति: अविवाहित थे, 18 दिन बाद सात मार्च को होना था विवाह।

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