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कैबिनेट फैसलाः उत्तराखंड में मलिन बस्तियों को तीन साल की राहत

कैबिनेट बैठक में उत्तराखंड ग्राम पंचायत विकास अधिकारी संशोधन नियमावली को मंजूरी दी गर्इ है। जबकि सातवें वेतनमान के भत्तों के लिए वित्त मंत्री की अध्यक्षता में समिति गठित की है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 25 Jul 2018 07:12 PM (IST)Updated: Fri, 27 Jul 2018 02:36 PM (IST)
कैबिनेट फैसलाः उत्तराखंड में मलिन बस्तियों को तीन साल की राहत
कैबिनेट फैसलाः उत्तराखंड में मलिन बस्तियों को तीन साल की राहत

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: अतिक्रमण हटाओ अभियान से भयभीत राज्य की 582 मलिन बस्तियों में रह रहे तकरीबन 15 लाख लोगों को त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने आखिरकार राहत दे दी। मंत्रिमंडल ने तकरीबन तीन साल तक इस अभियान की जद में आ रही मलिन बस्तियों का बचाव करते हुए उत्तराखंड (नगर निकायों एवं प्राधिकरणों के लिए विशेष प्रावधान) अध्यादेश-2018 को मंजूरी दी। उक्त अवधि तक बस्तियों पर दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी। 

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उधर, सातवें वेतनमान के भत्तों को लेकर राज्य कर्मचारियों को अभी और इंतजार करना होगा। लंबे इंतजार के बीच कर्मचारियों को भरोसा बंधाते हुए भतों पर निर्णय लेने को मंत्रिमंडल ने वित्त मंत्री प्रकाश पंत की अध्यक्षता में समिति गठित की है। 

सचिवालय में बुधवार शाम मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में कुल 12 प्रस्तावों में आठ पर ही चर्चा के बाद फैसले लिए गए। चार प्रस्तावों पर मंत्रिमंडल की अगली बैठक में विचार होगा। 

हाईकोर्ट के आदेश पर अतिक्रमण हटाओ अभियान में मलिन बस्तियों पर की जा रही कार्रवाई से सरकार की आंखों की नींद उड़ी हुई है। आगामी नगर निकाय चुनाव को देखते हुए मंत्रिमंडल ने मलिन बस्तियों को राहत देने को तोड़ ढूंढ निकाली है। 

मंत्रिमंडल के फैसलों को ब्रीफ करते हुए सरकार के प्रवक्ता व शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि राज्य के नगर निकायों में मलिन बस्तियों के लिए पिछली सरकार की ओर से वर्ष 2016 में एक्ट लागू किया गया। इस एक्ट की नियमावली के प्रस्तर 8 (11) में उल्लिखित है कि श्रेणी तीन की मलिन बस्तियों में कब्जे वाले परिवारों को स्व-स्थल पर कोई भू-स्वामित्व अधिकार प्रदान नहीं किया जा सकेगा, किंतु लोक हित में प्रभावित समुदाय से परामर्श के बाद उन्हें मूलभूत अवस्थापना वाले वैकल्पिक स्थलों में पहचानपत्र के आधार पर भू-स्वामित्व अधिकारों के साथ पुनर्वासित-पुनर्व्यवस्थापित किया जा सकेगा। ऐसे परिवारों से भूमि एवं भवन की धनराशि राज्य सरकार द्वारा निर्धारित दर के आधार पर ली जाएगी। 

उन्होंने बताया कि श्रेणी-तीन में संभावित वर्गीकृत 125 मलिन बस्तियों में ही लगभग 40 हजार परिवार निवास कर रहे हैं। इनकी अनुमानित जनसंख्या लगभग दो लाख है। समान परिस्थितियां अन्य नगर निकायों में भी हैं। 

नगर निकायों में इतनी बड़ी जनसंख्या का पुनस्थापन एवं पुनर्वासन करना एक बड़ी चुनौती है। बहुत बड़े क्षेत्र में सर्वेक्षण, चिन्हीकरण, वर्गीकरण के बाद विनियमितीकरण, पुनर्वासन व पुनर्स्थापन और उक्त क्षेत्रों में आधारभूत संरचनाओं एवं सेवाओं के विकास को अभी तीन वर्ष का समय लगना है। 

लिहाजा मलिन बस्तियों के सुधार और अतिक्रमण रोकने को आवश्यक रणनीति बनाने और उन पर अमल करने को अतिरिक्त समय की आवश्यकता देखते हुए अध्यादेश लाने का निर्णय लिया गया है। अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही के लिए समय सीमा को बढ़ाया गया है। केंद्र सरकार संचालित प्रधानमंत्री आवास योजना व सबके लिए आवास (शहरी) के अधीन आवास निर्माण की समयावधि 2022 तक निर्धारित है। बस्तियों के नियोजित विकास व निवासरत परिवारों के लिए समय सीमा 2022 तक बढ़ाने की जरूरत है। 

उन्होंने बताया कि अध्यादेश से मलिन बस्तियों के निवासियों को दंडात्मक कार्यवाही से संरक्षण मिलेगा। अध्यादेश के तहत नई नियमावली लागू होने तक वर्ष 2016 का एक्ट प्रभावी रहेगा। सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि सातवें वेतनमान के भत्तों को देने के संबंध में अब वित्त मंत्री प्रकाश पंत की अध्यक्षता में गठित समिति फैसला लेगी। 

इस समिति में मुख्य सचिव के साथ ही वित्त सचिव भी शामिल हैं। समिति तमाम कर्मचारी संगठनों से वार्ता के बाद भत्तों के संबंध में निर्णय लेगी। 

कैबिनेट के कुछ अन्य महत्वपूर्ण फैसले 

-उत्तराखंड नगर निकाय एवं प्राधिकरण हेतु विशेष प्रावधान प्रावधान 2018 अध्यादेश कैबिनेट में पास। इसके अंतर्गत लागू तिथि से तीन साल तक कोई भी दंडात्मक कार्यवाही नहीं की जाएगी। पूर्व में 2016 के अध्यादेश की नियमावली कब तक लागू रहेगी, जब तक नई नियमावली नहीं बन जाती है। इस अध्यादेश का संबंध केवल मलिन बस्तियों के लिए ही है।

-किशोरी बालिका सेनेटरी नैपकिन योजना के अंतर्गत प्रति पैकेट आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को दो रुपये प्रोत्साहन धनराशि दी जाएगी। इसके लिए राज्य सरकार छह करोड़ रुपए का रिवॉल्विंग फंड बनाएगी। 

-राज्य पुनर्गठन आयुक्त कार्यालय उत्तराखंड लखनऊ को धन कर संबंधित कार्मिकों को देहरादून वापस बुलाया जाएगा। इस वक्त चार कार्मिक कार्यरत हैं।

-न्यायालय शुल्क संशोधन विधेयक 2018 को मंजूरी। कोर्ट फीस ट्रेजरी के अतिरिक्त ई-पेमेंट को मिली मंजूरी। यह व्यवस्था नैनीताल हाईकोर्ट और अधीनस्थ न्यायालय में होगी लागू। 

-उत्तराखंड पुलिस निरीक्षक एवं उप निरीक्षक सेवा नियमावली 2018 को मंजूरी।

-डब्ल्यूएचओ सहायतित उत्तराखंड परियोजना मे 25 आइटीआइ को चुनकर उन्हें अपग्रेड किया जाएगा। 

-उत्तराखंड निवेश सम्मेलन 2018 को मंजूरी, 25 करोड़ का बजट स्वीकृत। 1250 करोड़ जारी करने को मिली मंजूरी। 

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