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उत्‍तराखंड में एकेडमिक क्रेडिट बैंक की राह में कई चुनौतियां, पढ़िए पूरी खबर

केंद्र की नई शिक्षा नीति के तहत यूजीसी एकेडमिक क्रेडिट्स बैंक की स्थापना की चुकी है। अब उत्‍तराखंड सरकार भी इस व्यवस्था को अमल में लाना चाहता है। सूबे के उच्च शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत ने कहा है कि सूबे में एकेडमिक क्रेडिट बैंक की स्थापना की जाएगी।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 15 Aug 2021 07:45 AM (IST)Updated: Sun, 15 Aug 2021 07:45 AM (IST)
उत्‍तराखंड में एकेडमिक क्रेडिट बैंक की राह में कई चुनौतियां, पढ़िए पूरी खबर
उच्च शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत कह चुके हैं कि प्रदेश में एकेडमिक क्रेडिट बैंक की स्थापना की जाएगी।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। प्रदेश में नई शिक्षा नीति के तहत एकेडमिक क्रेडिट्स बैंक की स्थापना की राह में कई चुनौती हैं। राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रमों में एकरूपता लाने समेत ढांचागत सुधार को लेकर सरकार को शिद्दत से प्रयास करने होंगे। फिलहाल इन प्रयासों को अंजाम देने के लिए उच्च शिक्षा विभाग के स्तर पर कार्ययोजना बनाने का इंतजार किया जा रहा है।

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दरअसल, केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति के तहत यूजीसी एकेडमिक क्रेडिट्स बैंक की स्थापना और संचालन की अधिसूचना जारी कर चुकी है। इस अधिसूचना के जारी होने के बाद राज्य सरकार ने भी इस व्यवस्था को अमल में लाने का संकल्प जताया। उच्च शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत कह चुके हैं कि प्रदेश में एकेडमिक क्रेडिट बैंक की स्थापना की जाएगी। आने वाले समय में उच्च शिक्षा में अध्ययनरत विद्यार्थियों के एकेडमिक क्रेडिट खाते खोले जाएंगे।

एकेडमिक क्रेडिट की यह व्यवस्था को उच्च शिक्षा में क्रांतिकारी बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि प्रदेश में उच्च शिक्षा के मौजूदा ढांचे को देखते हुए इस बदलाव पर जल्द अमल करना आसान नजर नहीं आ रहा है। राज्य में बहुत कम संख्या में ऐसे उच्च शिक्षण संस्थान हैं, जहां एकेडमिक क्रेडिट की व्यवस्था लागू है। एकेडमिक क्रेडिट खाते होने के बाद छात्र-छात्राओं को बीच में किसी कारणवश बंद की गई पढ़ाई को चालू करने के मौके तो मिलेंगे ही, अच्छे संस्थानों में भी उनकी एंट्री संभव होगी।

एकेडमिक क्रेडिट खाते खुलने के बाद छात्र-छात्राएं अध्ययन किए गए पाठ्यक्रमों से अर्जित शैक्षणिक क्रेडिट्स को स्टोर और ट्रांसफर कर सकेंगे। स्कोर के आधार पर विश्वविद्यालय अथवा स्वायत्त महाविद्यालय उन्हें डिग्री, डिप्लोमा या प्रमाणपत्र प्रदान करेंगे। विद्यार्थी यदि कालेज बीच में छोड़ देता है तो उसकी पढ़ाई बेकार नहीं जाएगी। वह दोबारा पढ़ाई शुरू करना चाहता है तो उसकी व्यवस्था भी की गई है। यह व्यवस्था बैंक खाते सरीखी तो होगी, लेकिन इसके लिए राज्य में शैक्षिक व्यवस्था में आमूलचूल बदलाव की जरूरत पड़ेगी।

खासतौर पर विश्वविद्यालयों के विभिन्न पाठ्यक्रमों में एकरूपता लाने और इसके आधार पर शैक्षणिक स्टाफ की तैनाती बेहद आवश्यक है। फिलहाल ये मोर्चा ही राज्य की सबसे कमजोर कड़ी भी है। राज्य विश्वविद्यालयों से लेकर डिग्री कालेजों में शिक्षकों, प्राचार्यों के बद बड़ी संख्या में रिक्त हैं। बगैर शिक्षक और पढ़ाई के किसी छात्र के अच्छे एकेडमिक स्कोर की अपेक्षा नहीं की जा सकती है। उधर, इस संबंध में उच्च शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत का कहना है कि राज्य में उच्च शिक्षा की कार्ययोजना को जल्द अंतिम रूप दिया जाएगा। इसमें एकेडमिक क्रेडिट बैंक, खातों और स्कोर को लेकर नीति तय की जाएगी। विभागीय अधिकारियों को इस संबंध में तैयारी करने को कहा गया है।

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