यहां महाभारत काल के निशां होंगे जीवंत, 'महाभारत सर्किट' लेगा आकार
राज्य सरकार ने महाभारत सर्किट बनाने का निर्णय लिया है। इस सिलसिले में प्रोजेक्ट केंद्र सरकार को मिल चुका है और अगले हफ्ते इस पर प्रस्तुतीकरण दिया जाएगा।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: देवभूमि में 'महाभारत सर्किट' अब जल्द आकार लेगा। राज्य सरकार की ओर से इस सिलसिले में प्रोजेक्ट केंद्र सरकार को मिल चुका है और अगले हफ्ते इस पर प्रस्तुतीकरण दिया जाएगा। केंद्रीय पर्यटन राज्यमंत्री केजे अलफोंस ने इन्वेस्टर्स समिट के दौरान पत्रकारों से बातचीत में इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि पर्यटन विकास के लिहाज से इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को जल्द ही मंजूरी दे दी जाएगी।
जनजातीय जौनसार बावर क्षेत्र में देहरादून के चकराता, त्यूणी, देववन और लाखामंडल के साथ ही उत्तरकाशी जिले के पुरोला तक पसरे महाभारत काल के निशां फिर से जीवंत करने के साथ ही इन्हें पर्यटकों की निगाह में लाने के मकसद से राज्य सरकार ने महाभारत सर्किट बनाने का निर्णय लिया है। हालांकि, लाखामंडल स्थित लाक्षागृह समेत अन्य स्थलों को देखने सैलानी जाते हैं, मगर इनकी संख्या बेहद कम है। इसकी मुख्य वजह इस क्षेत्र में पर्यटन से जुड़ी सुविधाओं का न पसर पाना है।
इस लिहाज से सर्किट बनने पर वहां न सिर्फ सुविधाएं उपलब्ध होंगी, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित हो सकेंगे। इस सबको देखते हुए उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद की ओर से महाभारत सर्किट का कॉन्सेप्ट तैयार कर केंद्र सरकार को भेजा गया, ताकि इसे स्वदेश दर्शन योजना में शामिल किया जा सके। केंद्र ने इसे सराहा और कुछ दिशा निर्देश देते हुए संशोधित प्रस्ताव भेजने को कहा।
राज्य की ओर से भेजा गया यह प्रस्ताव अब केंद्र को मिल चुका है। केंद्रीय पर्यटन राज्यमंत्री के मुताबिक जल्द ही इसे मंजूरी दे दी जाएगी। बता दें कि केंद्र से हरी झंडी मिलने के बाद स्वदेश दर्शन में शामिल किए जाने वाले इस प्रोजेक्ट का केंद्रीय टीम खुद मौका मुआयना कर अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंपेगी। इसके बाद योजना के लिए केंद्र सरकार सौ करोड़ की राशि जारी करेगा।
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