Madarsa Survey : अब चलेगा पता उत्तराखंड में कहां तक पहुंची जांच, मंत्री बोले - खुद करुंगा मदरसों का निरीक्षण
Madarsa Survey उत्तराखंड में मदरसा बोर्ड के अंतर्गत 419 मदरसे पंजीकृत हैं। इनमें 192 को सरकारी सहायता मिलती है। समाज कल्याण एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री चंदन राम दास जल्द ही इसकी प्रगति की समीक्षा करेंगे। वह स्वयं भी जांच के मद्देनजर मदरसों का निरीक्षण करेंगे।
राज्य ब्यूरो, देहरादून : Madarsa Survey : उत्तराखंड में सरकारी सहायता हासिल कर रहे मदरसे इसका सदुपयोग कर रहे हैं या नहीं, इन्होंने नियमानुसार शिक्षा विभाग से मान्यता ली है अथवा नहीं, ऐसे तमाम बिंदुओं पर चल रही मदरसों की जांच कहां तक पहुंची, इसका अब पता चलेगा।
समाज कल्याण एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री चंदन राम दास जल्द ही इसकी प्रगति की समीक्षा करेंगे। साथ ही जिन जिलों में जांच की गति धीमी है, वहां इसे तेज करने के निर्देश देंगे। उन्होंने बताया कि वह स्वयं भी जांच के मद्देनजर मदरसों का निरीक्षण करेंगे।
मदरसा बोर्ड के अंतर्गत 419 मदरसे उत्तराखंड में पंजीकृत
उत्तराखंड में मदरसा बोर्ड के अंतर्गत 419 मदरसे पंजीकृत हैं। इनमें 192 को सरकारी सहायता मिलती है। कुछ समय पहले ये शिकायत आई कि मदरसों में सरकारी सहायता का सदुपयोग नहीं हो रहा है।
कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास ने इसका संज्ञान लेते हुए सितंबर में सरकारी सहायता प्राप्त कर रहे मदरसों की जांच कराने के आदेश दिए थे। इसके लिए राज्य स्तर पर कमेटी गठित की गई। लगभग दो माह की अवधि गुजरने के बाद कमेटी की जांच कहां तक पहुंची है, जल्द ही इसकी पड़ताल की जाएगी।
कैबिनेट मंत्री राम दास के अनुसार जांच की प्रगति क्या है, इसे लेकर वह जल्द ही समीक्षा करेंगे। यदि इसमें कहीं ढिलाई है या फिर कोई दिक्कत है, उसे दूर कराने के प्रयास किए जाएंगे।'
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उन्होंने कहा कि जांच में स्पष्ट होगा कि कितने मदरसे सरकारी मदद का सदुपयोग कर रहे हैं और कितने नहीं। यही नहीं, कितने मदरसे मानक पूरे करते हैं और कितने नहीं, इसकी तस्वीर भी साफ होगी। समग्र जांच रिपोर्ट मिलने के बाद मामले में निर्णय लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि सभी मदरसों को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि वे जल्द से जल्द शिक्षा विभाग से मान्यता लेना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि जो मदरसे अच्छा कार्य कर रहे हैं, उन्हें सरकार प्रोत्साहित करेगी। सरकार का उद्देश्य मदरसों में भी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना है।
मदरसों में पहले से लागू है ड्रेस कोड और एनसीआरईटी पाठ्यक्रम
उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स की ओर से मदरसों में ड्रेस कोड लागू करने संबंधी बयान पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राज्य प्रमुख मौलाना आरिफ ने कहा कि, मदरसों में पहले से ही ड्रेस कोड लागू है। यहां बालक सफेद कुर्ता-पायजामा और बालिकाएं सलवार-कमीज पहनकर आती हैं।
छात्र-छात्राओं में अनुशासन यूनिफार्म से ही दिखता है। मौलाना आरिफ ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि सियासतदां बयान ज्यादा देते हैं और काम कम करते हैं। शायद इसलिए उन्हें नहीं पता कि मदरसों में न सिर्फ पहले से ड्रेस कोड लागू है, बल्कि एनसीईआरटी पाठ्यक्रम भी लागू है। इतना ही नहीं मदरसों में अंग्रेजी, गणित, हिंदी के साथ-साथ संस्कृत भी पढ़ाई जाती है।
मदरसा दारुल उलूम रशीदिया ईदगाह के प्रबंधक और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राज्य प्रमुख मौलाना आरिफ ने आरोप लगाया कि मदरसों को कमजोर करने की नीयत से कुछ लोग अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ड्रेस कोड से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन सियासत करने वाले मदरसों की छवि खराब करने के उद्देश्य से अनर्गल बयानबाजी की जा रही है।
जबकि, मदरसों में देशसेवा, देशभक्ति और अपने मुल्क से मोहब्बत करने की शिक्षा भी छात्र-छात्राओं को दी जाती है। अध्यापक साजिद हसन ने कहा कि एनसीईआरटी की किताबों को मदरसे में लागू कराया गया है। बालक-बालिकाएं मदरसे में बेहतर शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। वक्फ बोर्ड के निर्देशों का पालन भी किया जा रहा है।