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उत्तराखंड में पगार बांटने को बाजार से फिर 300 करोड़ उधार

सेवारत और सेवानिवृत्त कार्मिकों की पगार बांटने में ही राज्य सरकार के दम फूल रहे हैं। इसी माह दोबारा बाजार से कर्ज लिया जा रहा है। सरकार 300 करोड़ का कर्ज उठाएगी।

By Edited By: Published: Tue, 27 Nov 2018 03:01 AM (IST)Updated: Tue, 27 Nov 2018 08:13 PM (IST)
उत्तराखंड में पगार बांटने को बाजार से फिर 300 करोड़ उधार
उत्तराखंड में पगार बांटने को बाजार से फिर 300 करोड़ उधार

देहरादून, [रविंद्र बड़थ्वाल]: सेवारत और सेवानिवृत्त कार्मिकों की पगार बांटने में ही राज्य सरकार के दम फूल रहे हैं। इसी माह दोबारा बाजार से कर्ज लिया जा रहा है। सरकार 300 करोड़ का कर्ज उठाएगी। 

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इसके साथ ही सिर्फ बाजार से कर्ज का आंकड़ा 4750 करोड़ तक पहुंच रहा है। दिसंबर माह से पहले ही तय सीमा से ज्यादा कर्ज लेने की नौबत आने से सरकार के माथे पर बल पड़े हैं। इस वजह से सातवें वेतनमान के भत्ते देने का साहस सरकार जुटा नहीं पा रही है। उधर, केंद्र ने राहत देते हुए बाजार से लिए जाने वाले कर्ज की सीमा बढ़ा दी है। राज्य सरकार चालू वित्तीय वर्ष के आखिरी माह यानी मार्च तक 2400 करोड़ और कर्ज ले सकेगी। 

कर्ज का मर्ज राज्य सरकार के लिए जी का जंजाल बन चुका है। संसाधन सीमित और आमदनी बढ़ाने के उपायों की सुस्त चाल के बीच कार्मिकों की पगार का बोझ साल-दर-साल बढ़ रहा है। वेतन-भत्ते, मानदेय, पेंशन के बढ़ते बोझ की वजह से इस वित्तीय वर्ष के पहले महीने यानी बीते अप्रैल माह से राज्य सरकार को लगातार बाजार से कर्ज उठाना पड़ रहा है। 

आठवें माह यानी नवंबर में बीती 13 तारीख को 300 करोड़ का कर्ज लिया जा चुका है। अब फिर 300 करोड़ कर्ज लिया जा रहा है। इस माह कुल 600 कर्ज लेने के साथ ही बाजार से कर्ज बढ़कर 4750 करोड़ हो जाएगा।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार की ओर से पहले 4500 करोड़ तक ही बाजार से कर्ज लेने की अनुमति दी गई थी। कर्ज राज्य के लिए किस कदर मजबूरी बन चुका है कि उक्त सीमा से अधिक कर्ज अब तक लिया जा चुका है। ऐसे में अधिक कर्ज के लिए केंद्र की अनुमति की प्रतीक्षा की जा रही थी। 

केंद्र ने राज्य को राहत देते हुए वित्तीय वर्ष के अंत तक 2400 करोड़ कर्ज बाजार से उठाने पर हामी भर दी है। इस संबंध में केंद्र सरकार का पत्र राज्य को मिल चुका है। वित्त सचिव अमित नेगी ने केंद्र सरकार का पत्र मिलने की पुष्टि की। राज्य पर ये मेहरबानी उसके रिकॉर्ड को देखते हुए भी की गई है। 

कर्ज लेना भले ही राज्य सरकार की मजबूरी है, लेकिन कर्ज का ब्याज और किश्त देने में सरकार कोताही नहीं बरत रही है। हालांकि, राज्य के लिए केंद्र की ओर से पहले 7034 करोड़ सालाना कर्ज की सीमा निर्धारित की जा चुकी है। इसमें बाजार का कर्ज सीमित था, जबकि अन्य कर्ज के रूप में नाबार्ड से मिलने वाली ऋण राशि और बाह्य सहायतित योजनाओं में ऋण के रूप में दी जाने वाली धनराशि भी उक्त सीमा में शामिल है। 

बाजार का कर्ज बढ़ने से उक्त ऋण सीमा में भी इजाफा होना तय माना जा रहा है। वैसे भी चालू वित्तीय वर्ष में राज्य बनने के बाद से अब तक कर्ज का बोझ 47 हजार करोड़ को पार कर चुका है।

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