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अध्यात्म के बगैर जीवन बिन पानी की नदी जैसा: स्वामी चिदानंद

परमार्थ निकेतन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के तीसरे दिन आध्यात्मिक गुरु मूजी ने योग साधकों को शांति का संदेश दिया। वहीं बौद्धिक सत्र में जूना अखाड़ा के पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी महाराज स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज व गौर गोपालदास ने योग साधकों का मार्गदर्शन किया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 03 Mar 2020 08:57 PM (IST)Updated: Wed, 04 Mar 2020 06:14 AM (IST)
अध्यात्म के बगैर जीवन बिन पानी की नदी जैसा: स्वामी चिदानंद
अध्यात्म के बगैर जीवन बिन पानी की नदी जैसा: स्वामी चिदानंद

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश :

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परमार्थ निकेतन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के तीसरे दिन आध्यात्मिक गुरु मूजी ने योग साधकों को शांति का संदेश दिया। वहीं बौद्धिक सत्र में जूना अखाड़ा के पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी महाराज, स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज, व गौर गोपालदास ने योग साधकों का मार्गदर्शन किया।

परमार्थ निकेतन में गंगा तट पर आयोजित योग महोत्सव में मंगलवार को जॉर्जिया के राजदूत आर्चिल द•ाुलियाष्विली ने भी शिरकत की। वहीं पुर्तगाल निवासी आध्यात्मिक गुरु मूजी ने साधकों को संबोधित करते हुए कहा कि सत्य से युक्त जीवन ही आध्यात्मिक जीवन है। सत्य, सत्य होता है वह कभी भी बदलता नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारा शरीर, हमारा घर है, हम उसमें बहुत सारी चीजें डालते है परन्तु हमें इसके लिए जागरूक होना होगा कि हम क्या विचार डाले। उन्होंने हार्ट इस्टैब्लिशमेंट के विषय में बताते हुए कहा कि आप अपने बीते हुए कल और भविष्य में मत जाइए कुछ क्षणों के लिए वर्तमान में रहने की कोशिश करें। आपके अन्दर विचारों का जो जंगल है उससे बाहर निकलें। मेंटल ट्रैफिक को कम करने के लिये जागरूकता जरूरी है।

परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि अध्यात्म के बिना जीवन वैसे ही है जैसे बिना पानी के नदी और बिना पैसे के बैंक। नदी तब तक ही आनन्द देती है जब तक उसमें जल हो उसी प्रकार अध्यात्म से युक्त जीवन ही आनंददायक होता है। जीवन में अगर अध्यात्म न हो तो जीवन में शांति नहीं आ सकती। साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि योग, सार्वभौमिक है और भारत, योग का जन्मदाता है। योग, शरीर, आत्मा और परमात्मा के मिलन का माध्यम है।


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