लालढांग-चिलरखाल रोड पर राज्य के आग्रह को केंद्र ने ठुकराया
गढ़वाल और कुमाऊं को जोड़ने वाली कंडी रोड (रामनगर-कालागढ़-चिलरखाल-लालढांग) के लालढांग-चिलरखाल हिस्से के निर्माण कार्याें में मानकों के शिथिलीकरण के राज्य के आग्रह को केंद्र ने ठुकरा दिया है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून
गढ़वाल और कुमाऊं को जोड़ने वाली कंडी रोड (रामनगर-कालागढ़-चिलरखाल-लालढांग) के लालढांग-चिलरखाल हिस्से के निर्माण कार्याें में मानकों के शिथिलीकरण के राज्य के आग्रह को केंद्र ने ठुकरा दिया है। नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड ने राजाजी टाइगर रिजर्व के बफर जोन से गुजर रही इस सड़क के करीब पौने पांच किलोमीटर हिस्से में पुलों की ऊंचाई आठ मीटर से घटाकर साढ़े पांच मीटर करने की मांग को नहीं माना है। उधर, अब इस सड़क के संबंध में स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड में नए सिरे से प्रस्ताव लाने के लिए कसरत शुरू की जा रही है।
राजाजी टाइगर रिजर्व से गुजरने वाली लालढांग-चिलरखाल (कोटद्वार) रोड का पूर्व में राज्य सरकार ने निर्माण कराने का निर्णय लिया था। इसके तहत करीब छह किमी वन भूमि का हस्तांतरण वानिकी कार्याें के लिए लोनिवि को किया गया था। साथ ही वहां पुलों का निर्माण भी कराया गया। बाद में सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ने इस मसले का संज्ञान लिया और निर्माण कार्य पर रोक लगा दी थी। साथ ही कहा था कि यदि राज्य सरकार चाहे तो राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के मानकों के अनुरूप नए सिरे से इस सड़क के निर्माण के लिए नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड व एनटीसीए से अनुमति ले सकती है।
इसके बाद सरकार ने स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड से इस सड़क के निर्माण का प्रस्ताव पारित कराकर इसे नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड को अनुमोदन के लिए भेजा। इसमें इस सड़क पर पुलों से संबंधित मानकों में शिथिलता देने का आग्रह किया गया। प्राधिकरण का नियम है कि हाथी बहुल क्षेत्रों से गुजरने वाली सड़क पर बनने वाले पुलों की ऊंचाई आठ मीटर होनी चाहिए। राज्य ने यह ऊंचाई साढ़े पांच मीटर करने का आग्रह किया था।
वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत के अनुसार इस माह के पहले हफ्ते में हुई नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड की बैठक में पुलों की ऊंचाई में शिथिलता देने के आग्रह को स्वीकार नहीं किया गया। बोर्ड ने सड़क के निर्माण पर रोक नहीं लगाई है। उन्होंने बताया कि अब नए सिरे से निर्माण से संबंधित प्रस्ताव स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड की बैठक में रखा जाएगा। इसके बाद बोर्ड से इसे अनुमोदन के लिए नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड को भेजा जाएगा।
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