पौने तीन लाख लीटर का केरोसिन घोटाला, जानिए क्या है पूरा मामला
देहरादून में केरोसिन आवंटन का बड़ा घोटाला सामने आया है। बीते दिसंबर में दो लाख 82 हजार लीटर केरोसिन उठाई गई। जबकि इतनी अधिक संख्या में पात्र परिवार हैं ही नहीं।
देहरादून, जेएनएन। देहरादून जिले में केरोसिन आवंटन में बड़ा घोटाला सामने आया है। चौंकाने वाली बात यह कि बीते दिसंबर में जिले में दो लाख 82 हजार लीटर केरोसिन उठाई गई, जबकि जिले में इतनी अधिक संख्या में पात्र परिवार हैं ही नहीं। हैरात की बात यह भी कि जिला पूर्ति विभाग ने केरोसिन वितरण में केंद्र सरकार के निर्धारित नियमों की भी अनदेखी की है। राशन विक्रेता हर महीने विभाग को फर्जी पात्रों की सूची सौंपते रहे और विभागीय अधिकारी बिना सत्यापन के विक्रेताओं को केरोसिन कोटा लुटाते रहे। यह हाल सिर्फ दिसंबर माह का नहीं, बल्कि पिछले एक वर्ष से ऐसे ही केरोसिन की बंदरबांट होती रही। सवाल उठ रहा है कि जब पात्र परिवार हैं ही नहीं, तो आखिर इतनी बड़ी मात्रा में केरोसिन कहां गया। इस घोटाले का खुलासा सूचना का अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी से हो पाया।
आरटीआइ से प्राप्त जानकारी के अनुसार, दिसंबर माह में जिले में दो लाख 82 हजार लीटर केरोसिन का वितरण हुआ है। वहीं, पिछले आठ महीने की बात करें तो इन महीनों में भी इतनी ही मात्रा में केरोसिन वितरण किया जाता रहा है। यानि नौ महीने में 25 लाख 38 हजार लीटर केरोसिन राशन विक्रेताओं को दिया गया। हर महीने डेढ़ लाख से अधिक परिवारों को के रोसिन वितरण दिखाया गया। केंद्र सरकार के नए शासनादेश के अनुसार, कैरोसिन के लिए वही परिवार पात्र होंगे, जिनके पास एलपीजी व बिजली कनेक्शन नहीं हैं।
विभागीय सूत्रों ने बताया कि जिले में नई पात्रता के आधार पर दो से तीन हजार ही पात्र परिवार हैं। जबकि, राशन विक्रेताओं द्वारा सौंपी गई पात्र परिवारों की सूची में हाजारों नाम शामिल हैं। कहा गया कि केरोसिन का कोटा खपाने के लिए पूर्ति निरीक्षक राशन विक्रेताओं से सूची मांगते हैं, लेकिन इसका सत्यापन तक नहीं किया जाता। राशन विक्रेता इस कोटे को कालाबाजारी में खपाते हैं और मोटा मुनाफा कमाते हैं।
सूत्र बताते हैं कि बाजार में केरोसिन कहीं नहीं मिल रहा है। ऐसे में विक्रेता 50 से 100 रुपये प्रति लीटर की दर से कैरोसिन बेचते हैं। जबकि, उन्हें विभाग से केरोसिन महज 14 रुपये लीटर की दर से मिलता है। इस लिहाज से इस घोटाले में एक करोड़ रुपये से ज्यादा के हेरफेर का अनुमान है। वहीं, इसमें विभागीय अधिकारियों की भूमिका भी पूरी तरह से संदिग्ध नजर आ रही है।
यह हैं नए नियम
पहले केरोसिन के लिए अंत्योदय कार्डधारक पात्र माने जाते थे। लेकिन, एक वर्ष पहले केंद्र सरकार ने नियम में संशोधन करते हुए ऐसे परिवारों को पात्र घोषित किया जिनके पास एलपीजी व बिजली कनेक्शन नहीं हैं। इसका उद्देश्य यह था कि किसी अपात्र परिवार को केरोसिन न दी जा सके। क्योंकि सरकार सौभाग्य योजना के जरिए बिजली कनेक्शन व उज्ज्वला योजना के जरिए एलपीजी कनेक्शन दे रही है। इसमें मैदानी क्षेत्रों में पात्र परिवार को एक लीटर व ग्रामीण क्षेत्र में तीन लीटर कैरोसिन दिया जाता है।
यूपीसीएल-तेल कंपनियों ने जताई हैरानी
यूपीसीएल के अधिकारियों ने कहा कि जिले में शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में सभी को बिजली कनेक्शन दिए गए हैं। देहरादून के शहरी क्षेत्रों में भी बिना बिजली कनेक्शन वाले परिवार दर्शाए गए, यह हैरानी भरा है। वहीं, आइओसी, बीपीसी व एचपीसी के अधिकारियों ने भी इतनी अधिक संख्या में एलपीजी कनेक्शन से वंचित परिवारों पर हैरानी जताई।
पॉश इलाकों में भी एलपीजी-बिजली नहीं!
आरटीआइ से प्राप्त जानकारी पर नजर डालें तो हैरानी होना स्वाभाविक है। क्योंकि विभाग ने जिले में कई ऐसे क्षेत्रों में भी कैरोसिन वितरण दिखाया है जो देहरादून के पॉश इलाके माने जाते हैं। इनमें रेसकोर्स, धर्मपुर, क्लेमेनटाउन, डालनवाला, कनॉट प्लेस जैसे क्षेत्र शामिल हैं। वहीं, गौर करने वाली बात यह भी कि ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे कम पात्र परिवार दर्शाए गए।
यह है क्षेत्रवार वितरण
-रायपुर-1,8000
-क्लेमेनटाउन,8000
-ऋषिकेश, 24000
-विकासनगर, 22000
-परिसीमन, 20000
-डालनवाला, 9000
-सहसपुर, 25000
-रायपुर-2, 24000
-डोईवाला/मियांवाला, 36000
-कनाट प्लेस, 9000
-खुड़बुड़ा, 8000
-प्रेमनगर, 19000
-कालसी, 17000
-चकराता, 13000
-त्यूणी, 5000
-लाखामंडल, 3000
-कोरवा, 5000
-अटाल, 3000
-सावड़ा, 3000
-धर्मपुर, 13000
-मसूरी, 8000
कुल, 282000
जिलापूर्ति अधिकारी विपिन कुमार ने बताया कि राशन विक्रेताओं की ओर से जो सूची भेजी जाती थी, उसके आधार पर कैरोसिन वितरण किया गया है। यदि सूची में अपात्र परिवार हैं तो यह गंभीर मामला है। विभाग की ओर से पात्रों का सत्यापन भी कराया जाएगा।
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