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नए रूप में संवरने लगी है केदारपुरी

पांच वर्ष पूर्व जून 2013 में जलप्रलय का दंश झेल चुकी केदारपुरी अब नए कलेवर में संवर रही है। वैसे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए सारे कार्य अगले वर्ष तक पूरे होंगे, लेकिन फिलहाल अभी फोकस तीन कार्यो पर है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Sep 2018 03:04 AM (IST)Updated: Mon, 17 Sep 2018 03:04 AM (IST)
नए रूप में संवरने लगी है केदारपुरी
नए रूप में संवरने लगी है केदारपुरी

राज्य ब्यूरो, देहरादून : पांच वर्ष पूर्व जून 2013 में जलप्रलय का दंश झेल चुकी केदारपुरी अब नए कलेवर में संवर रही है। वैसे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए सारे कार्य अगले वर्ष तक पूरे होंगे, लेकिन फिलहाल अभी फोकस तीन कार्यो पर है। इनमें तीर्थ पुरोहितों के लिए आवास, सरस्वती नदी में घाट और सेंटर प्लाजा शामिल हैं। इन कार्यो को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अगले माह संभावित दौरे से पहले पूरा करने का राज्य सरकार का प्रयास है।

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समुद्र तल से साढ़े ग्यारह हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ धाम करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। वर्ष 2013 में आई जलप्रलय ने मंदिर को छोड़ शेष पूरे परिसर को तबाह कर दिया था। इसके बाद से ही यहां पुनर्निर्माण कार्य चल रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शुमार केदारपुरी का पुनर्निर्माण कार्य अब तेजी पकड़ चुका है। यहां हो रहे कार्य अब नजर भी आने लगे हैं। केदारनाथ पहुंचने पर हेलीपैड से अब लगभग 15 मीटर चौड़ा व 365 मीटर लंबा मार्ग बन रहा है, जो आधा तैयार है। यह सेंट्रल प्लाजा तक पहुंचाता है। सेंट्रल प्लाजा लगभग बन कर तैयार है। यहां अब निर्माण कार्य अंतिम चरण में है, जहां से मंदिर के दर्शन होते हैं।

इससे आगे चौड़ी सीढि़यां मंदिर में जाने के लिए बन कर तैयार हैं। दोनों तरफ स्ट्रीट लाइटें लग चुकी हैं। अब यहां केवल साइड में रेलिंग लगनी बाकी हैं। सीढि़यां समाप्त होते ही लंबा चौड़ा आंगन बन कर तैयार है। इस आंगन में पहुंचते ही मंदिर की दिव्यता व भव्यता के दर्शन होते हैं तो ठीक पीछे हिमाच्छादित पहाड़ियां खासा सुकून देती हैं।

मंदिर के पीछे जाने पर दिव्य शिला के दर्शन होते हैं। जलप्रलय में इसी शिला के कारण मंदिर बचा था। हालांकि, इसके आसपास फैला मलबा देख कर अब भी यह समझा जा सकता है कि आपदा कितनी भयावह रही होगी। मंदिर के दोनों छोर पर मंदाकिनी और सरस्वती में रिटेनिंग वॉल बन रही है। मंदाकिनी में 380 मीटर के हिस्से पर इसे बनाने का काम चल रहा है। यहां काम काफी हद तक पूरा हो चुका है। सरस्वती नदी में 390 मीटर हिस्से पर रिटेनिंग वाल बनाई जा रही है। यहां घाट निर्माण का कार्य अपने अंतिम चरणों पर है।

दोनों नदियों के संगम पर घाट बन कर पूरा हो चुका है। यहां श्रद्धालु स्नान कर पुण्य लाभ ले रहे हैं। श्रद्धालुओं के लिए प्रीफैब्रिकेटेड हट, डोरमैट्री, धर्मशालाएं, टेंट आदि में ठहरने की व्यवस्थाएं पहले से काफी अच्छी हो चुकी है। निम की ओर मनोज सेमवाल, डीडीएमए के पीडब्लूडी खंड के सहायक अभियंता डीसी नवानी और सिंचाई खंड के सहायक अभियंता धीरज डिमरी इन निर्माण कार्यो को अंजाम दे रहे हैं।

रामबाड़ा-गरुड़चट्टी मार्ग पूरा करने की तैयारी

सरकार की मंशा रामबाड़ा से गरुड़चट्टी तक पुराने मार्ग को फिर से बनाने की है। इसका मकसद अब इसे वैकल्पिक मार्ग बनाया जाना है। आठ किमी लंबे इस मार्ग को पुनर्जीवित करने की तैयारी है। इसके लिए रॉक स्टेब्लाइजेशन की रिपोर्ट का इंतजार है। इसके अलावा भूगर्भीय सर्वे की रिपोर्ट का अध्ययन भी किया जा रहा है।


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