Joshimath Sinking: वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के निदेशक ने गिनाए जोशीमठ भूधंसाव के कारण, सुझाए यह उपाय
Joshimath Sinking वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के निदेशक डा कालाचाँद साईं ने जोशीमठ में भूधंसाव के कारण गिनाए और इससे निपटने के उपाय भी सुझाए। उन्होंंने बताया कि यह पूरा क्षेत्र भूकंप के अतिसंवेदनशील जोन पांच में आता है।
जागरण संवाददाता, देहरादूनः Joshimath Sinking: वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के निदेशक डा कालाचाँद साईं ने जोशीमठ में भूधंसाव के कारण गिनाए और इससे निपटने के उपाय भी सुझाए।
जारी प्रेस बयान में निदेशक डा कालाचाँद साईं ने कहा कि जोशीमठ क्षेत्र की साथ कमजोर है। करीब एक सदी पहले आए विशाल भूकंप से उत्पन्न मलबे के ढेर पर यह क्षेत्र बसा है।
उन्होंने कहा कि एटकिंसन ने पहली बार वर्ष 1886 में हिमालयन गजेटियर में जोशीमठ के भूस्खलन के मलबे पर होने का उल्लेख किया था। इसके साथ ही यह पूरा क्षेत्र भूकंप के अतिसंवेदनशील जोन पांच में आता है।
भारी निर्माण किए जाने के चलते खतरा बढ़ गया
- जोशीमठ क्षेत्र की सतह कमजोर होने और समय के साथ यहां भारी निर्माण किए जाने के चलते खतरा बढ़ गया है।
- आबादी का दबाव इस क्षेत्र पर निरंतर बढ़ा है।
- ऐसे में बेतरतीब निर्माण पर रोक लगाए जाने के साथ ही यहां की जमीन की क्षमता का आकलन किया जाना जरूरी है।
- चूंकि यह पूरा क्षेत्र भूकंप के लिहाज से अतिसंवेदनशील है। लिहाजा, भूगर्भीय हलचल से पहले से कमजोर सतह पर अधिक असर पड़ेगा।
- सुझाव दिया कि नागरिकों को सुरक्षित करने के बाद क्षेत्र का माइक्रोजोनेशन प्लान तैयार किया जाना चाहिए।
- साथ ही जल निकासी प्रणाली पर नए सिरे से कम करने की जरूरत भी है।
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बदरीनाथ व मलारी हाइवे के धंसने से बढ़ी चिंता
- धार्मिक सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बदरीनाथ हाइवे भी भूधंसाव के जद में है। हाइवे पर सात से अधिक जगहों में भूधंसाव हो रहा है।
- स्थिति यह है कि एनएच इस दरारों का फिलहाल अस्थाई समाधान कर मिट्टी डाल रहा है।
- यही हाल मलारी हाइवे का भी सेना कैंप के पास धंस रहा है। जोशीमठ नगरी के भूधंसाव का असर प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट आल वेटर रोड पर भी पड़ रहा है।
- बदरीनाथ हाइवे के नाम से जाने जाने वाली इस सड़क का रखरखाव एनएच के पास है। स्थिति यह है कि हाइवे थाने के पास 50 मीटर धंस गया है।
- हाइवे सेना कैंप के पास , सिंहधार के पास , मारवाड़ी के पास , जेपी कालोनी के पास व विष्णुप्रयाग हाथी पहाड़ में भी लगातार धंस रहा है। हाइवे पर भूधंसाव व दरारें लगातार चौड़ी हो रही है। इस हाइवे की स्थिति एक माह पूर्व बिलकुल ठीक थी।
- स्थानीय लोगों को कहना है कि दिसंबर माह में हल्की दरारें आनी शुरू हुईं तो वह लगातार बढ़ रही है।
- इस प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट का हिस्सा यह हाइवे बदरीनाथ धाम व हेमकुंड जाने का एकमात्र जरिया होने के कारण धार्मिक महत्व का है।
- सीमांत क्षेत्र माणा पास के लिए भी बदरीनाथ हाइवे ही एक मात्र साधन है। ऐसे में सामरिक व धार्मिक महत्व के इस हाइवे पर जगह जगह भूधंसाव ने सभी को चिंता में डाल दिया है।
- मलारी हाइवे भी सेना कैंप के पास धंस रहा है। यहां भी दरारें बढ़ रही हैं। नीती पास के लिए यह हाइवे महत्वपूर्ण इसलिए भी है कि यह सीमा पर आवाजाही के लिए एकमात्र साधन है।
सात और प्रभावितों को रखा गया राहत कैंप में
जोशीमठ में आपदा प्रभावितों को राहत कैंपों में ठहराए जाने का क्रम जारी है। शनिवार को प्रशासन ने सात और परिवारों को राहत कैंप में ठहराया है। इसके साथ अब तक कुल 55 परिवारों को राहत कैंपों में ठहराया गया है।
आपदा प्रभावितों को रिलीव कैंपों में भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि गुरूद्वारा में शनिवार से लंगर लगा कर यहां ठहरे हुए 35 से अधिक आपदा प्रभावितों को भोजन व्यवस्था शुरू की गई है।
यहां नगर पालिका सहित राहत कैंपों में ठहराए गए लोगों का कहना था कि राहत कैंपों में वे खुद के खर्चे से भोजन होटलों में कर रहे थे। हालांकि सीएम के आने के बाद राहत कैंपों में भोजन की व्यवस्था शुरू हो गई है। राहत कैंपों में एक बिस्तर में परिवार के दो से तीन सदस्य रह रहे हैं।
इस कैंपों में ठंड से बचने के लिए प्रर्याप्त बिस्तरों की भी कमी है। प्रशासन ने नगर में कुल 20 से अधिक सुरक्षित भवनों में आपदा प्रभावितों को रखने के लिए व्यवस्था की है। इनमें 1300 से अधिक लोगों के रहने का इंतजाम किए जाने का दावा किया गया है।