इन शिक्षकों की नौकरी पड़ी खतरे में, स्कूलों को ये निर्देश जारी
अप्रशिक्षित शिक्षकों की नौकरी खतरे में है। सीबीएसई ने कुछ ऐसे नियम बनाए हैं जो आने वाले वक्त में इन शिक्षकों की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं।
देहरादून, [जेएनएन]: सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों के अप्रशिक्षित शिक्षकों की नौकरी खतरे में पड़ गई है। बोर्ड ने सभी स्कूलों को निर्देश जारी किए हैं कि अपने यहां कार्यरत शिक्षकों का आधार कार्ड, मोबाइल नंबर और ई-मेल आइडी सीबीएसई की आधिकारिक साइट पर ऑनलाइन एफिलिएटेड स्कूल इंफॉर्मेशन सिस्टम (ओएएसआइएस) में जल्द से जल्द अपलोड करें। सिर्फ इतना ही नहीं स्कूलों को यह भी बताना होगा कि उनके यहां स्थाई और अस्थाई शिक्षक कितने हैं।
दरअसल, बहुत से शिक्षक स्कूल में कार्यरत नहीं हैं, फिर भी उनका नाम बोर्ड परीक्षा और मूल्यांकन के समय भेज दिया जाता है। इस बात की तस्दीक करने के लिए भी बोर्ड ने शिक्षकों का ब्योरा मांगा है। जिस शिक्षक के पास बीएड या डीएलएड की डिग्री है वे ही स्कूल में पढ़ा सकेंगे। जिसके पास ये डिग्रियां नहीं हैं, वह किसी भी कीमत पर स्कूल में पढ़ाने के लिए योग्य नहीं होंगे। बोर्ड ने स्कूलों को साफ निर्देश दिया है कि वे किसी भी ऐसे शिक्षकों को अपने यहा बहाल न करें। स्कूल प्रबंधन को 31 मार्च, 2019 तक सभी टीचिंग व नान टीचिंग स्टाफ का डाटा भी ऑनलाइन करने को कहा है।
बोर्ड परीक्षा में अब नहीं होगी इमरजेंसी एंट्री
सीबीएसई के 10वीं व 12वीं की बोर्ड परीक्षा देने वाले छात्रों को परीक्षा हॉल में देरी से आने पर एंट्री नहीं दी जाएगी। वर्ष-2019 में होने वाली बोर्ड परीक्षा पर यह नियम लागू होगा। सीबीएसई ने साफ किया है कि देरी से आने वाले छात्रों का कोई बहाना नहीं सुना जाएगा। सभी छात्रों को 10:15 तक हर हाल में परीक्षा हॉल में पहुंचना होगा। इस फैसले के पीछे मकसद परीक्षा को ज्यादा सुरक्षित बनाना है। अभी परीक्षा हॉल 9:30 पर खुल जाता है। जिसके बाद 10:15 तक छात्रों को प्रश्न-पत्र बाट दिए जाते थे। वहीं 15 मिनट छात्रों को प्रश्न-पत्र पढ़ने का समय दिया जाता है। जिसके बाद परीक्षा 10:30 बजे शुरू की जाती है।
परीक्षा हॉल में लेट एंट्री 11 बजे तक थी और इमरजेंसी एंट्री 11:15 तक। हेल्थ एंड एक्टिविटी कार्ड सीबीएसई ने इस सत्र से 9वीं से बारहवीं तक के छात्रों लिए स्पोर्ट्स और हेल्थ एजुकेशन अनिवार्य करने के निर्देश जारी किए थे। इसी के तहत अब हेल्थ एंड एक्टिविटी रिकॉर्ड किस तरह से बनाना है, इसके लिए परफॉर्मा जारी किया गया है। इसमें सभी छात्रों की आंख, कान, दांत आदि की पूरी रिपोर्ट जाएगी।
यह रिपोर्ट छात्रों के रजिस्ट्रेशन के साथ स्कूल प्रबंधन को साथ ही ऑनलाइन अपलोड करनी होगी। बोर्ड एग्जाम के लिए रजिस्ट्रेशन तभी होगी जब स्कूल की ओर से स्पोर्ट्स एंड हेल्थ एजुकेशन के तहत करवाई गतिविधियों की रिपोर्ट समय पर अपलोड की जाएगी। परफॉर्मा के अनुसार छात्र और अभिभावकों का आधार कार्ड नंबर भरना वैकल्पिक रखा गया है। जबकि सभी का ब्लड ग्रुप देना अनिवार्य है। अभिभावकों की लंबाई, वजन और जन्म तिथि का भी कॉलम है, पर इसे भी ऑप्शनल रखा गया है। फॉरमेट के नीचे अभिभावकों का हस्ताक्षर होना जरूरी है।
यूओयू में 15 सितंबर तक बढ़ी प्रवेश की तिथि
उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय की ओर से ग्रीष्मकालीन सत्र 2018-19 के लिए प्रवेश लेने की अंतिम तिथि 15 सितंबर तक बढ़ा दी गई है, पहले यह तिथि 31 अगस्त तक निर्धारित थी। विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. राकेश रयाल ने शुक्रवार को जारी बयान में बताया कि यूओयू के तहत चलाए जा रहे सभी पाठ्यक्रमों में नए और पूर्व से अध्ययनरत छात्र दाखिला ले सकते हैं। इसके तहत 15 सितंबर, 2018 तक बिना विलंब शुल्क और 29 सितंबर, 2018 तक 250 रुपये विलंब शुल्क के साथ प्रवेश ले सकते हैं।
उन्होंने बताया कि अब तक विवि में 13120 छात्र-छात्राएं प्रवेश ले चुके हैं। कुल 20 हजार अभ्यर्थी प्रवेश के लिए बैंक चालान से प्रवेश शुल्क जमा कर चुके हैं। डॉ. रयाल ने कहा कि नए छात्रों के लिए बीए, बीबीए, बीसीए, एमए शिक्षा शास्त्र में प्रवेश शुरू कर दिए गए हैं। बाकी छात्र-छात्राएं सेमेस्टरों में प्रवेश ले सकते हैं। कहा कि जिन छात्रों के परीक्षा परिणाम अभी तक नहीं आए हैं वे भी दूसरे सेमेस्टर में प्रवेश ले सकते हैं।
विवि के प्रवेश प्रभारी डॉ. एमएम जोशी ने बताया कि छात्र हितों को ध्यान में रखते हुए शीतकालीन सत्र 2018 के लिए सत्रीय कार्य जमा करने की अंतिम तिथि 31 अगस्त 2018 से बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2018 कर दी गई है। शीतकालीन सत्र के वे सभी छात्र, जिनके सत्रीय कार्य जमा नहीं हो पाए हैं वे अपने अध्ययन केंद्रों पर सत्रीय कार्य जमा कर सकते हैं। यूओयू को यूजीसी का इंतजार यूओयू को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से शेष पाठ्यक्रमों की मान्यता मिलने पर उन पाठ्यक्रमों में भी प्रवेश की अंतिम तिथि बढ़ाई जा सकती है। विश्वविद्यालय की ओर से यूजीसी में प्रतिवेदन भेजा गया है।
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