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Janmashtmi 2020: जन्माष्टमी का व्रत गृहस्थ के लिए 11 और साधु महात्माओं के लिए 12 अगस्त को फलदाई, जानिए कैसा रहेगा राशियों पर प्रभाव

Janmashtmi 2020 सप्तमी युति होने से सालों बाद इस वर्ष जन्माष्टमी पर गृहस्थ भक्तों के लिए ऐश्वर्य शाली योग बन रहा है। जबकि साधु-संतों के लिए 12 अगस्‍त को व्रत लेना श्रेष्ठ रहेगा।

By Sumit KumarEdited By: Published: Sun, 09 Aug 2020 09:13 PM (IST)Updated: Mon, 10 Aug 2020 09:16 AM (IST)
Janmashtmi 2020: जन्माष्टमी का व्रत गृहस्थ के लिए 11 और साधु महात्माओं के लिए 12 अगस्त को फलदाई, जानिए कैसा रहेगा राशियों पर प्रभाव

जागरण, जेएनएन। Janmashtmi 2020 सप्तमी युति होने से सालों बाद इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी ऐसे मुहूर्त पर आ रही है जब रोहिणी नक्षत्र का अभाव रहेगा। लेकिन, अष्टमी पर गृहस्थ भक्तों के लिए परम ऐश्वर्य शाली योग बन रहा है। जबकि, साधु-संतों के लिए 12 अगस्‍त को व्रत लेना श्रेष्ठ रहेगा। ज्‍योतिषाचार्य डॉ. चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने बताया कि यद्यपि विगत काफी वर्षों से  कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत दो दिन क्रमशः गृहस्थ और वैष्णव के लिए मनाई जाती है, लेकिन इस वर्ष दोनों ही दिन रोहिणी नक्षत्र का अभाव रहेगा।

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कृतिका नक्षत्र होने के कारण 11 अगस्त मंगलवार को सुबह सवा आठ बजे तक सप्तमी और इसके बाद अष्टमी तिथि लग जाएगी जो 12 अगस्त को सुबह 10 बजकर 38 मिनट तक रहेगी। निशा व्यापिनी अष्टमी होने से 11 अगस्‍त को ही गृहस्थी लोग व्रत रखेंगे। उनके लिए सप्तमी युक्त अष्टमी होने से इन दिन अति विशिष्ट योग बन रहा है। 

रात 12 बजे रोहिणी नक्षत्र में हुआ था भगवान कृष्ण का जन्‍म 

 डॉ. घिल्डियाल बताते हैं श्रीमद्भागवत पुराण भविष्य पुराण और विष्णु पुराण के अनुसार कृष्ण पक्ष में सप्तमी संयुक्त अष्टमी को ही व्रत लेना श्रेष्ठ होता है। भगवान कृष्ण का जन्म द्वापर युग में बुधवार अष्टमी तिथि रात्रि 12 बजे रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस बार कृतिका नक्षत्र रहेगी, लेकिन इस दिन ही व्रत रखने से पारिवारिक लोगों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। दूसरे दिन यानी 12 अगस्त को अष्टमी को सुबह 10 बजकर 38 मिनट के बाद नवमी रहेगी इसलिए शास्त्रानुसार कुटुंब परिवार वाले लोग अष्टमी के पूर्व भाग और साधु संत अष्टमी के उत्तरार्ध का व्रत करेंगे तो फलदाई रहेगा। 

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इन राशियों पर रहेगा प्रभाव

 इन दिन दिनभर उपवास रखें। घर की सजावट करें, घर के अंदर सुंदर पालने में बाल कृष्ण की मूर्ति स्थापित करें। रात 12 बजे जन्मोत्सव शंख घंटी वादन करें, झूला झुलाकर आरती एवं प्रसाद का वितरण करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। राशि अनुसार जन्माष्टमी व्रत का फल मेष राशि जातकों के लिए राज्य पद प्राप्ति और आकस्मिक धन की प्राप्ति, वृष राशि जातकों के लिए ऐश्वर्य प्राप्ति, मिथुन राशि जाताकों के लिए मनोकामना की पूर्ति,  कर्क के लिए शत्रु बाधा का निवारण, सिंह राशि में आरोग्य की प्राप्ति, कन्या राशि में  दांपत्य सुख प्राप्ति, तुला राशि में संकटों का निवारण, वृश्चिक राशि में आरोग्य प्राप्ति, धनु धर्म राशि में ज्ञान प्राप्ति, मकर राशि में संपत्ति की प्राप्ति, कुंभ राशि में राज सम्मान की प्राप्ति और मीन राशि के जातकों के लिए मनोकामनाएं पूर्ण के योग बन रहे हैं।

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