जागरण संवाददाता, ऋषिकेश: International Yoga Festival: परमार्थ निकेतन में पर्यटन मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय, आयुष मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से आयोजित 35वां अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव का फूल और हर्बल रंगों की होली के साथ श्रीगणेश हो गया है। योग महोत्सव में 90 देश से 1100 से अधिक योग जिज्ञासु, 25 देशों के 75 योगाचार्य जुटे हैं।
इस अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि) गुरमीत सिंह ने दुनिया भर से पहुंचे योग प्रेमियों को संबोधित करते हुए कहा कि योग हमारी आध्यात्मिक प्रगति का मार्ग है। विश्वगुरु भारत के संकल्प को पूरा करने में योग विद्या का महत्वपूर्ण योगदान होने वाला है। योग शरीर, मन और आत्मा का योग बनाता है।
उन्होंने कहा की सर्वे सन्तु निरामयाः ’सब निरोगी हों, इस भावना के साथ पूरी दुनिया में आज योग स्वस्थ जीवन शैली का एक बड़ा जन आंदोलन बन चुका है। भारत जी-20 की अध्यक्षता के साथ ’वसुधैव कुटुम्बकम’ की महान भावना का विस्तार कर रहा है। ’एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ का जो संकल्प है उसमें योग एक महान साधन बन रहा है।
स्वामी चिदानंद सरस्वती ने योग के माध्यम से ‘लाइफस्टाइल फार एनवायरनमेंट’ का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि योग का तात्पर्य ही है प्रकृति, पर्यावरण और मानवता के साथ संयोग। आज पूरे विश्व को पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली अपनाने की जरूरत है।
उत्तराखंड योग की जन्मभूमि है और यहां पर हिमालय की कंदराओं में रहकर ही हमारे ऋषियों ने योग, ध्यान, पारंपरिक भारतीय जीवन शैली के परिष्कृत रूपों की खोज की हैं जो कि हर युग के लिए प्रासंगिक है। इसलिए योग के साथ उसके मूल स्वरूप, सिद्धांत और सार तत्व को भी अंगीकार करना जरूरी है।
साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि हम सभी का परम सौभाग्य है कि हमें योग की जन्मभूमि ऋषिकेश में आकर योग को आत्मसात करने का अवसर प्राप्त हुआ। कोविड के बाद पूरी दुनिया ने योग के महत्व को स्वीकार किया। आप सब जब यहां से जाएं तो योग के प्रति और जागरूक होकर जाएं।
योग से आरोग्य होने के साथ बदली जीवन की धारा
योगनगरी ऋषिकेश में इन दिनों दुनियाभर से लोग अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में हिस्सा लेकर विभिन्न आसनों के अलावा जीवन के नए आयाम भी सीख रहे हैं। अमेरिका, इटली, ब्राजील समेत 88 देशों के करीब एक हजार से अधिक साधक कुछ नया सीखने के लिए योगनगरी पहुंचे हैं।
परमार्थ निकेतन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में विदेशी साधक योग साधना में लीन हैं। इनमें अधिकतर ऐसे हैं जो पिछले कई वर्षों से लगातार योग महोत्सव में हिस्सा ले रहे हैं और योग को अपनाकर जीवन की धारा बदल चुके हैं।
भारत के ऋषि-मुनियों की गहन साधना के फल योग को जीवन में अपनाकर विदेशी अभिभूत हैं। ब्राजील के मार्केलो जिमरस दसवीं बार योग महोत्सव में पहुंचे हैं।
योग महोत्सव को लेकर खासे उत्साहित मार्केलो जिमरस से जब बात की गई तो वह बेबाकी से बोले कि योग ने उनके जीवन पर गहरा प्रभाव डाला है। उनके जीवन का उद्देश्य ही बदल गया। अब वह ब्राजील में अन्य व्यक्तियों को योग सिखाने का लक्ष्य लेकर काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि योग महोत्सव में हर बार कुछ न कुछ नया सीखने को मिलता है।
ब्रिटेन से स्टेवर्ट गिलक्रिस्ट अपने कुछ शिष्यों के साथ योग महोत्सव में पहुंचे हैं। स्टेवर्ट स्वयं योगाचार्य हैं और कई बार योग महोत्सव का हिस्सा बन चुके हैं। स्टेवर्ट का मानना है कि योग सूक्ष्म विज्ञान पर आधारित आध्यात्मिक विषय है।
यह मन एवं शरीर के बीच सामंजस्य स्थापित करता है। पूरी दुनिया में योग साधना से लाखों व्यक्तियों को लाभ हो रहा है। साथ ही योग हमारी मानसिकता को भी बदलने का भी काम कर रहा है। स्टेवर्ट मानते हैं कि विश्व में शांति के लिए योग सबसे उपयुक्त माध्यम बन सकता है।
इटली निवासी फेड्रिका पहली बार अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में शामिल हो रही हैं। फेड्रिका बताती हैं, वह इससे पहले चार बार भारत आ चुकी हैं, लेकिन कभी योग महोत्सव में शामिल नहीं हो पाई। अब जाकर उन्हें यह मौका मिला है। उन्होंने पांच वर्ष पहले योग करना शुरू किया था, जिसके बाद उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से बड़ा परिवर्तन महसूस हुआ। अब योग उनके जीवन का हिस्सा बन गया है।
अमेरिका की डा. काते जाने पहली बार अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में योग शिक्षिका के रूप में शामिल हुई हैं। डा. काते पिछले कई वर्षों से योग, वैदिक ज्योतिष तथा विश्व धर्म अध्ययन पर काम कर रही हैं। लंबे समय तक गलत खानपान और दिनचर्या के कारण वह बीमारियों से घिरने लगी थी। लेकिन, जबसे उन्होंने योग को जीवन में उतारा है, सब कुछ बदल गया है। वह प्रत्येक व्यक्ति को योग करने और योगिक जीवन पद्धति अपनाने की सलाह देती हैं।