सुनिए वित्त मंत्री जी: आर्थिक पैकेज से उबरेगा उद्योग जगत, इन समस्याओं का भी होना चाहिए समाधान
वैश्विक महामारी ने देश के उद्योग जगत को सर्वाधिक नुकसान पहुंचाया है। इससे उबरने में समय लगेगा। तत्काल राहत के लिए केंद्र सरकार को आगामी बजट में बड़े आर्थिक पैकेज की घोषणा करनी होगी ताकि उद्योग जगत मंदी से उबरकर गति पकड़ सकें।
जागरण संवाददाता, देहरादून। वैश्विक महामारी ने देश के उद्योग जगत को सर्वाधिक नुकसान पहुंचाया है। इससे उबरने में समय लगेगा। तत्काल राहत के लिए केंद्र सरकार को आगामी बजट में बड़े आर्थिक पैकेज की घोषणा करनी होगी, ताकि उद्योग जगत मंदी से उबरकर गति पकड़ सकें।
पहले ही आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहे उद्योग जगत को कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन ने जोर का झटका दिया। हालांकि केंद्र सरकार ने जुलाई से सितंबर 2020 तक कई आर्थिक डोज देकर उद्योगों को राहत दी। अब आम बजट से बड़ी उम्मीदें हैं। अब नए साल में वित्तमंत्री औद्योगिक ढांचागत विकास के लिए बड़े निवेश की घोषणा करें और उद्योगों को करों में रियायत दें तो पहिया तेजी से घूम सकता है।
कोरोनाकाल में एमएसएमई सेक्टर के उद्योगों पर 12 से 18 फीसद जीएसटी भारी पड़ रहा है। पैकेजिंग उद्योगों के कच्चे माल पर भी 12 फीसद जीएसटी अधिक है। इसे पांच फीसद तक घटाने की उद्योगपति उम्मीद कर रहे हैं। नमकीन उद्योग संचालक लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि उनपर जीएसटी पांच फीसद रखा जाए, लेकिन आज तक इसपर कोई निर्णय नहीं हुआ है।
इंडस्ट्री एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड से जुड़े उद्यमियों का कहना है कि वर्ष 2020 कोरोना संक्रमण महामारी के बीच बीत गया। अब वैक्सीन आने से सुधार की उम्मीद है। उनकी मांग है कि केंद्र सरकार को आम बजट में एमएसएमई सेक्टर के लिए वन टाइम सेटेलमेंट पॉलिसी फिर से लागू करनी चाहिए। लघु उद्योग भारती से संबद्ध उद्योगपतियों का मानना है कि केंद्रीय स्तर के साथ स्थानीय समस्याओं का यदि समाधान तलाशा जाए तो उद्योगों में उत्पादन क्षमता बढ़ेगी। जिससे निवेश बढ़ेगा और रोजगार के अधिक अवसर पैदा होंगे।
इन समस्याओं का चाहिए तुरंत समाधान
- पिटकुल व सिडकुल औद्योगिक क्षेत्र में भूमिगत केबल बिछाने को एनओसी मिले, ताकि संचार सेवा अपग्रेड हो सके।
- पिछले दो साल से एमएसएमई इकाइयों की सब्सिडी उद्योग निदेशालय में लंबित है।
- सेलाकुई स्थित औद्योगिक क्षेत्र में तीन वर्ष पूर्व साडा की ओर से लगाई गई 75 स्ट्रीट लाइटें खराब पड़ी हैं।
- औद्योगिक क्षेत्र में बनाई गई ड्रेनेज को आज तक कवर नहीं किया गया है। बरसात में यहां जलभराव की समस्या हो जाती है।
- सेलाकुई औद्योगिक क्षेत्र में पिटकुल की ओर से 220 केवीए का पॉवर स्टेशन लंबित है।
- पटेलनगर औद्योगिक क्षेत्र में सड़कें क्षतिग्रस्त हैं। बरसात के दौरान यहां पैदल चलना तक मुश्किल हो जाता है।
- पटेलनगर क्षेत्र में जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हैं। ऐसे में यहां बीमारियां फैलने की आशंका है।
- लॉकडाउन के दौरान उद्योगों को बिजली सब्सिडी का भुगतान तुरंत किया जाए।
उद्यमियों के सुझाव
- कोरोनाकाल में बंद हुए उद्योगों को दोबारा शुरू करने की राज्य सरकार पहल करे।
- बंदी की कगार पर पहुंचे रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश के लिए उद्योगपतियों को प्रोत्साहित किया जाए।
- बैंक छोटे उद्यमियों को कार्यशील पूंजी लेने के दौरान औपचारिकता में न उलझाएं।
- किसी भी उद्योग के कच्चे माल पर जीएसटी पांच फीसद से अधिक न हो।
- स्टेट इंडस्ट्रीयल डेवलपमेंट ऑथरिटी (सीडा) और पिटकुल के कार्य क्षेत्र निर्धारित हों।
- पैकेजिंग उद्योगों पर 12 से 18 फीसद जीएसटी को घटाकर पांच फीसद किया जाए।
- नमकीन उद्योग से 12 फीसद जीएसटी घटाकर पांच फीसद किया जाए।
प्रदेश में उद्योग, निवेश, रोजगार
बड़े उद्योग, 360, 39 हजार करोड़, एक लाख 93 हजार
एमएसएमई
63,466, 17743 करोड़, 3.44 लाख
उत्तराखंड इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज गुप्ता का कहना है कि कोरोना संक्रमण के बाद उद्योग मंदी के दलदल में फंसे हैं। इससे उबरने के समग्र प्रयास की सख्त दरकार है। बाजार में खरीदारों का विश्वास बढ़ाना होगा। एमएसएमई सेक्टर में जीएसटी रिफंड में जो दिक्कतें आ रही हैं, उन्हें सरल बनाने की जरूरत है। केंद्रीय आम बजट से उद्योग जगत को काफी आशाएं हैं। उत्तराखंड राज्य परिषद के अध्यक्ष सीआइआइ के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, औद्योगिक मंदी का बड़ा कारण कोरोना संक्रमण के चलते आमजन की क्रय क्षमता घटना है। जब बाजार में सामान का क्रय कम होगा तो डिमांड भी घटेगी और उत्पादन पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा। आम बजट में आर्थिक सुधारों को लेकर तत्काल बड़े फैसले लेने की जरूरत है। तभी उद्योग गति पकड़ेंगे।
वहीं, फूड इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के संरक्षक अनिल मारवाह का कहना है कि कोरोना संक्रमण के बाद परिस्थितियां बदली हैं। केंद्र सरकार को बजट में कर सुधारों से लेकर औद्योगिक जगत के ढांचागत विकास पर जोर देना होगा। केंद्रीय वित्तमंत्री आर्थिक सुधारों की दिशा में सकारात्मक कदम उठाएं। बड़े आर्थिक पैकेज की घोषणा करें, तभी उद्योग जगत मंदी के दौर से बाहर निकल पाएगा। इंडियन इंडस्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश भाटिया का कहना है कि कोरोना संक्रमण के कारण प्रदेश में लॉकडाउन लगाया गया। जिससे करीब सत्तर दिन उद्योग बंद रहे। इसके बाद कोविड गाइडलाइन लागू हैं। ऐसे में करीब दो साल उद्योगों को उबरने में लगेंगे। केंद्र सरकार को एमएसएमई सेक्टर के उद्योगों को बड़ी राहत देनी चाहिए। तभी उद्योगों की स्थिति में सुधार होगा।
यह भी पढ़ें- मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत बोले, कोविड-19 टीकाकरण के लिए पुख्ता इंतजाम किए जाएं