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उत्तराखंड में बाधा हुई दूर, अब पहाड़ों पर सरपट दौड़ेंगे उद्योग

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में उद्योगों के चढ़ने में बड़ी बाधा सरकार ने दूर कर दी। पर्वतीय क्षेत्रों में अब 12.5 एकड़ या उससे ज्यादा भूमि को औद्योगिक उपयोग के लिए खरीदा जा सकेगा।

By Edited By: Published: Fri, 05 Oct 2018 09:44 PM (IST)Updated: Sat, 06 Oct 2018 09:18 PM (IST)
उत्तराखंड में बाधा हुई दूर, अब पहाड़ों पर सरपट दौड़ेंगे उद्योग
उत्तराखंड में बाधा हुई दूर, अब पहाड़ों पर सरपट दौड़ेंगे उद्योग

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में उद्योगों के चढ़ने में बड़ी बाधा सरकार ने दूर कर दी। पर्वतीय क्षेत्रों में अब 12.5 एकड़ या उससे ज्यादा भूमि को औद्योगिक उपयोग के लिए खरीदा जा सकेगा। 

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साथ ही औद्योगिक उपयोग के लिए भूमि खरीद का उद्देश्य जाहिर करते ही भू-उपयोग खुद-ब-खुद कृषि से अकृषि भूमि में परिवर्तित हो जाएगा। इसके लिए किसान और पूंजी निवेशक को सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। 

त्रिवेंद्र सिंह रावत मंत्रिमंडल ने इस अहम फैसले पर मुहर लगाई। इसके लिए उत्तरप्रदेश जमींदारी उन्मूलन एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 (अनूकूलन एवं उपांतरण आदेश 2001) (संशोधन 2018) अध्यादेश को मंजूरी दी गई। 

मंत्रिमंडल ने अन्य अहम फैसले में सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में प्रवक्ता के 4200 और सहायक अध्यापकों के 834 समेत कुल 5034 रिक्त पदों पर अतिथि शिक्षकों की तैनाती करने का निर्णय लिया है। आगामी सात अक्टूबर से प्रस्तावित दो दिनी इन्वेस्टर्स समिट की तैयारी में जुटी सरकार ने पर्वतीय क्षेत्रों में जाने में उद्योगों की हिचक दूर करने को अहम कदम उठाया। 

सरकार के प्रवक्ता व काबीना मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि मंत्रिमंडल ने पहाड़ी जिलों में औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए भूमि व्यवस्था की धारा 143 में संशोधन कर उसमें उपधारा 143-क जोड़ने का फैसला लिया है। 

नगर निगम, नगर पंचायत, नगर पालिका परिषद और छावनी परिषद के तहत आने वाले क्षेत्रों को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में कृषि भूमि को उद्योगों के उपयोग के लिए खरीदा जा सकेगा। किसी भी भूमिधर को औद्योगिक प्रयोजन के लिए भूमि की अनुमति मिलते ही भूमि का भू-उपयोग स्वत: ही कृषि से अकृषि में तब्दील हो जाएगा। 

इसके लिए संबंधित उपजिलाधिकारी की अनुमति जरूरी नहीं होगी। धारा 143-क का यह प्रतिबंध सिर्फ पिथौरागढ़, उत्तरकाशी, चंपावत, अल्मोड़ा, पौड़ी, टिहरी, नैनीताल जिले के सिर्फ पर्वतीय ब्लॉकों पर लागू रहेगा। यानी औद्योगिक उपयोग के लिए भूमि पर यह छूट सिर्फ उक्त क्षेत्रों पर ही लागू रहेगी। दो साल की अवधि में खरीदी गई या औद्योगिक उपयोग में दर्शाई गई भूमि का उद्देश्य पूरा नहीं हुआ तो यह सरकार में निहित हो जाएगी।

कैबिनेट फैसले

-उत्तरप्रदेश जमींदारी उन्मूलन, भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 (अनूकूलन एवं उपांतरण आदेश 2001) (संशोधन 2018) अध्यादेश को मंजूरी 

-पर्वतीय क्षेत्रों में 12.5 एकड़ से ज्यादा भूमि उद्योग लगाने को खरीदी जा सकेगी 

-औद्योगिक उपयोग जाहिर होते ही खुद-ब-खुद भू उपयोग परिवर्तन -सरकारी विद्यालयों में प्रवक्ताओं के 4200 व सहायक अध्यापकों के 834 रिक्त पदों पर रखे जाएंगे अतिथि शिक्षक 

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