Dehradun News: भारतीय सैन्य अकादमी में 10 दिसंबर को होगी पासिंग आउट परेड, जेंटलमैन कैडेट बनेंगे सेना के अंग
IMA POP 2022 उत्तराखंड के देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी में 10 दिसंबर को पासिंग आउट परेड का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान भारतीय और मित्र देशों के विदेशी कैडेट बतौर अफसर बन अपने अपने सेना के अंग बनेंगे।
जागरण संवाददाता, देहरादून: IMA POP 2022 भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) में पासिंग आउट परेड आगामी 10 दिसंबर को होगी। इसमें शिरकत कर देश-विदेश के जेंटलमैन कैडेट बतौर अधिकारी अपने-अपने देश की सेना का अभिन्न अंग बनेंगे।
आइएमए आया था एक अक्टूबर 1932 को अस्तित्व में
बता दें, आइएमए एक अक्टूबर 1932 को अस्तित्व में आया था। पिछले 90 वर्षों में अकादमी ने अपनी प्रशिक्षण क्षमता 40 से 1650 जैंटलमैन कैडेट तक बढ़ा दी है। अभी तक 64,145 जैंटलमैन कैडेट अकादमी से पास आउट हुए हैं। इसमें 34 मित्र देशों के 2813 विदेशी कैडेट भी शामिल हैं।
अकादमी प्रबंधन परेड की तैयारियों में जुटा
10 दिसंबर में होने वाली पासिंग आउट परेड के लिए सेना के तमाम वरिष्ठ अधिकारी, देश-विदेश के गण्यमान्य व कैडेट के स्वजन भी परेड देखने दून पहुंचेंगे। अकादमी प्रबंधन परेड की तैयारियों में जुटा हुआ है। पासिंग आउट परेड की जेंटलमैन कैडेट जमकर रिहर्सल कर रहे हैं।
परेड से पहले अकादमी में होंगे कई कार्यक्रम
परेड से पहले भी अकादमी में कई कार्यक्रम आयोजित होंगे। अकादमी अधिकारियों के अनुसार दो दिसंबर को ग्रेजुएशन सेरेमनी आयोजित होगी, जिसमें आर्मी कैडेट कालेज विंग के कैडेट को जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की डिग्री से दीक्षित किया जाएगा।
सात दिसंबर को होगी कमांडेंट अवार्ड सेरेमनी
इसके बाद एसीसी विंग के यह कैडेट अकादमी का हिस्सा बन जाएंगे। सात दिसंबर को कमांडेंट अवार्ड सेरेमनी आयोजित होगी। जिसमें सैन्य प्रशिक्षण के दौरान उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले कैडेट को पुरस्कृत किया जाएगा। आठ दिसंबर की सुबह कमांडेंट परेड होगी, जबकि मुख्य पासिंग आउट परेड से एक दिन पहले यानी नौ दिसंबर को अकादमी में मल्टी एक्टिविटी डिस्प्ले शो आयोजित किया जाएगा।
आइएमए है लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी की पिस्तौल
आइएमए में पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी की पिस्तौल रखी हुई है। जो भावी सैन्य अफसरों में जोश भरती है। यह पिस्तौल ईस्टर्न कमांड के जनरल आफिसर कमांडिंग ले. जनरल अरोड़ा ने आइएमए के गोल्डन जुबली वर्ष 1982 में प्रदान की थी।
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